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लोकतंत्र उत्सव

ढोल नगाड़े झांझ और थाली सारा दिन बजते रहे गली गली गला फाड़ जयकारे लगते रहे रास्ते भर डीजे पर नाचते रहे गली नुक्कड़ पर चर्चा के दौर हथाई पाटों पर चाय का दौर कहीं मिल रहा हलवाऔर पूरी कहीं बढ़ गई भाइयों में दूरी उत्त्साह उमंग का माहौल बना कहीं सुलगता का लाहौर बना घर घर गिनती कम पड़ रही इसलिए दुनियाँ मेरे अपनों को याद कर रही घर घर न्योता मान मनुहार हो रही बालिग लोगों की कीमत बढ़ रही इस सारे उजास उत्सव के बीचोबीच अचानक दिव्य दृष्टी मिली सञ्जय सी मन पढ़ना मष्तिष्क का स्केन करना हे भगवान!! इतने मैले इतने गन्दे तेरे बन्दे? चरों तरफ मैल ही मैल भरा पड़ा कुंठा,घृणा,विश्वाशघात से भरा पड़ा बदला,बैर,चालाकी खेलरही अठखेली ओहो!!!समझा!!समझा!! ये तो थी मेरे हिन्दुस्थान के नवीन उत्सव लोकतंत्र के उत्सव चुनाव की रैली।।

दिवाली विशेष: काव्य रचना

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कोई सुनले मेरे अल्फाज इस लिये बोलता हूँ। कोई समझ ले मेरे अहसास इसलिए लिखता हूँ। अकेला हूँ कोई दे मेरा साथ इसलिए चलता हूँ। हर वक्त जिंदगी में "मनु" आरजू लिए रहता हूँ। आदत नहीं है बेवजह किसीको पुकारने की मुझको। टीस गहराई से उठती है तभी चीख जाता हूँ। अहसाह समझता हूं दुनियां की आंखों से पढ़कर। फिरभी सत्य बोलने की गुस्ताखी रोज करता हूँ। दिवाली पे शुभकामनाएं, , होली का स्नेह रखता हूं कोई आये मेरे दर पे, हर एक के लिए दुआएं मांगता हूं।

संघ का विराट दर्शन

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संघ के विराट स्वरूप की एक झलक के लिए अवश्य पूरा पढ़ें। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्र सेवा में बढ़ते कदम- लक्ष्य एक कार्य अनेक कभी अनाम, अनजान, उपेक्षित और घोर विरोध का शिकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में चर्चा एवं उत्सुकता का विषय बना हुआ है।   संघ की इस यात्रा में ध्यान देने योग्य बात है कि कांग्रेस सरकार द्वारा तीन तीन प्रतिबंधों, कभी अत्यंत शक्तिशाली और क्रूर रहे कम्युनिस्टों, ईसाई और इस्लामिक शक्तियों से एक साथ जूझते हुए आगे बढ़ा है। यह चमत्कार  संघ के स्वयंसेवकों की त्याग, तपस्या और बलिदान के चलते ही हो सका है। आज देश- विदेश के अनेक विश्व विद्यालयों में संघ पर शोध हो रहा है। जिस प्रकार गोमुख को देख कर हरिद्वार की विशाल गंगा या छोटे से बीज को देखकर विराट वटवृक्ष की कल्पना भी कठिन होती है वैसे ही विजयदशमी सन 1925 को नागपुर में डॉ. केशव् बलिराम हेडगेवार के साधारण से घर में 15/20 लोगों में प्रारम्भ हुए संघ से आज के विशाल जनांदोलन या राष्ट्रभक्ति के महाअभियान का रूप धारण कर चुके संघ की कल्पना करना भी कठिन है। आज संघ देशभक्तों की आशा तथा देश विरोधियों

मुस्लिम कोन& फिलॉसफर

#‎बाबर‬ ‪#‎औरंगजेब‬ या ‪#‎राम‬ ? किसके हैं भारत के ‪#‎मुसलमान‬?? जो मुसलमान खुद को बलात्कारी बाबर,अकबर, औरंगजेब की संतति मानकर दम्भ में हैं वो सच्चाई जान लें की उनके पुरखे राम और कृष्ण थे ये राम की धरती है और वो भी राम के रहे हैं। अत्याचार और परिस्थिति वश उन्होंने अपनी पूजा पद्धति बदल ली मगर इससे उनके बाप(पुरखे) नहीं बदल जायेंगे..अब कुछ तथ्य जान लीजिये... ××××××××××××××××××× ◆◆अल्लामा इक़बाल: कश्मीरी पंडित सहज सप्रू के वंशज ◆◆फारुख अब्दुल्ला:कश्मीरी पंडित राघो राम क़ौल के वंशज ◆◆ क्रांतिकारी अब्दुल करीम: आचार्य कृपलानी के सगे भाई । ◆◆मुहम्मद अली जिन्ना : गुजराती कच्छ के हिन्दू के वंशज ◆◆सिकन्दर हयात खान : ब्राम्हण पुरखों के वंशज ◆◆ऐ आर रहमान: पहला नाम दिलीप कुमार बाद में परिवार ने धर्म परिवर्तन कर लिया ◆◆शायर हाफिज जालंधरी: राजपूत पुरखों के वंशज ◆◆कवि मुसाफी : राजपूत पुरखे ◆◆इतिहासकार शिबली नेमानी: राजपूत पुरखे ◆◆ बंगाल के मुख्यमन्त्री फज़ुल हक़:हिन्दू पुरखे ◆◆ हैदराबाद रियासत के प्रधानमंत्री रहे सर अकबर हैदरी: गुजराती हिन्दू के वंशज ◆◆ क्रन्तिकारी एवं लेखक उबेदुल्ला सिंधी