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दिवाली विशेष: काव्य रचना

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कोई सुनले मेरे अल्फाज इस लिये बोलता हूँ। कोई समझ ले मेरे अहसास इसलिए लिखता हूँ। अकेला हूँ कोई दे मेरा साथ इसलिए चलता हूँ। हर वक्त जिंदगी में "मनु" आरजू लिए रहता हूँ। आदत नहीं है बेवजह किसीको पुकारने की मुझको। टीस गहराई से उठती है तभी चीख जाता हूँ। अहसाह समझता हूं दुनियां की आंखों से पढ़कर। फिरभी सत्य बोलने की गुस्ताखी रोज करता हूँ। दिवाली पे शुभकामनाएं, , होली का स्नेह रखता हूं कोई आये मेरे दर पे, हर एक के लिए दुआएं मांगता हूं।