संदेश

मार्च, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

स्वयंसेवको का परिवार भाव ही संघ की अनन्त शक्ति

चित्र
संघ की अपनी विशिष्ट कार्य पद्धति है, जो सतत 95 वर्ष से विकसित होती गई है। बहुत वरिष्ठ स्वयंसेवक कार्यकर्ता कभी कभी कहते है, संघ कार्य एक तरह से अनफोल्डिंग जैसा है, जो नित नूतन, चिर पुरातन जैसा है। इसमें चिर पुरातन जो है वह यह कि स्वयंसेवक के मन, मस्तिष्क आत्मा में राष्ट्र के प्रति अगाध श्रद्धा और दूसरे स्वयंसेवक के प्रति परिवार भाव। किंतु हाल ही में राहुल गांधी ने संघ परिवार शब्द को चर्चा में ला दिया है। वैसे तो आजकल राहुल गांधी की बातों को गंभीरता से कोई समझदार व्यक्ति नहीं लेता है। लोग उनकी ऊल-जलूल बातों को गंभीरता से लेना स्वयं की तोहीन समझने लगे हैं। ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है जो राहुल गांधी की बातों को हल्के में लेने लगे हैं। आजकल वे ट्विटर पर ट्वीट बम जैसा कुछ कुछ करने की जुगत में भी लगे हुए दिखाई देते हैं। उनके ट्वीट को ट्वीट बम कहना भी बम की तोहीन होगी। जब पालघर में दो साधुओं की पीट-पीट कर हत्या की जाती है, तो वे चुप रहते हैं। लेकिन जब किसी आसिफ को दो थप्पड़ पड़ जाते हैं तो ये उसे कई गुना बड़ा मुद्दा बना देते हैं। पादरियों पर लगे बलात्कार के असंख्य आरोपों पर वे शांत रह

शिव के पूजन का सर्वोत्तम तरीका क्या है?

चित्र
भूतभावन भोलेनाथ को प्रसन्न करने की सर्वाधिक प्रचलित विधि है, रुद्राभिषेक, आइए रूद्राभिषेक के बारे में विस्तार से जानते है। सर्वदोष नाश के लिये रुद्राभिषेक विधि!! रुद्राभिषेक अर्थात रूद्र का अभिषेक करना यानि कि शिवलिंग पर रुद्रमंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। जैसा की वेदों में वर्णित है शिव और रुद्र परस्पर एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। शिव को ही रुद्र कहा जाता है। क्योंकि- रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: यानि की भोले सभी दु:खों को नष्ट कर देते हैं। हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार हमारे द्वारा किए गए पाप ही हमारे दु:खों के कारण हैं। रुद्राभिषेक करना शिव आराधना का सर्वश्रेष्ठ तरीका माना गया है। रूद्र शिव जी का ही एक स्वरूप हैं। रुद्राभिषेक मंत्रों का वर्णन ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद में भी किया गया है। शास्त्र और वेदों में वर्णित हैं की शिव जी का अभिषेक करना परम कल्याणकारी है। रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारे पातक-से पातक कर्म भी जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि