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जलते पुस्तकालय, जलती सभ्यताएं

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अभी हाल ही में फ्रांस में पुलिस की गोली से एक व्यक्ति के मरने के बाद दंगे भड़के। सुनने में आया कि वहां 850 वर्ष पुरानी लाइब्रेरी (पुस्तकालय) को जला दिया गया। बहुत आश्चर्य नहीं हुआ। क्योंकि की यह पहली बार नही हुआ है। फोटो साभार गूगल  इतिहास ऐसी घटनाओं से भरा पड़ा है जब बर्बर लोगों ने संसार के ज्ञान भंडार को नष्ट किया। 1199 में बख्तियार खिलजी ने नालन्दा पर आक्रमण कर उसके पुस्तकालय को जलाया। कहते है कि इसके पुस्तकालय में लगी आग 6 माह तक जलती रही थी। इस पुस्तकालय में दुनियां भर का ज्ञान सुरक्षित था। जिसे जलाया गया था। बख्तियार खिलजी यहीं नहीं रुका। संसार का कोई भी सभ्य व्यक्ति पुस्तकों को नहीं जलाता। सभ्यता कोई भी हो, पुस्तकों को जलाया जाना सभ्य आचरण नहीं माना जा सकता। किंतु यह भी सत्य है कि हजारों वर्षों से पुस्तकालय जलाए जाते रहे हैं...     नालन्दा में इतनी किताबें थीं कि एक व्यक्ति को सब पढ़ने के लिए कई कई जन्म लेने पड़ते। फिर कहीं से एक असभ्य व्यक्ति निकल कर आया और अपने दो सौ लुटेरे साथियों के साथ संसार में ज्ञान के सबसे बड़े भंडार को फूंक दिया।    बख्तियार खिलजी यहीं नहीं रुका!