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मई, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

राष्ट्रवादी सरकार के 7 वर्ष में हमने क्या पाया?

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मोदी सरकार को सात साल पूरे हो गए हैं। सात साल में पहली बार है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुश्किल में घिरे दिख रहे हैं। शायद ये भी पहली बार है जब सरकार की ओर से इस मौके पर किसी विशेष आयोजन का ऐलान नहीं किया गया। लेकिन, पिछले सात सालों में मोदी सरकार ने कई ऐसे फैसले किए हैं जो चर्चा में रहे। सरकार के सात साल पूरे होने पर आइए जानते हैं ऐसे ही सात फैसलों के बारे में, जिन्होंने न सिर्फ सुर्खियां बटोरी बल्कि हर भारतीय पर असर डाला। क्या बदलाः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीवी पर आकर कहा कि आज रात से 500 और 1000 रुपए के नोट बेकार हो जाएंगे। इन्हें बैंकों में जमा करने की छूट मिली। सरकार का पूरा जोर डिजिटल करेंसी बढ़ाने और डिजिटल इकोनॉमी बनाने पर शिफ्ट हो गया। मिनिमम कैश का कॉन्सेप्ट आया। नॉलेज पार्टः प्रधानमंत्री के फैसले से एक ही झटके में 85% करेंसी कागज में बदल गई। बैंकों में पुराने 500 और 1000 रुपए के नोट जमा हो सकते थे। सरकार ने 500 और 2000 के नए नोट जारी किए। इसे हासिल करने पूरा देश ही ATM की लाइन में लग गया। नोटबंदी के 21 महीने बाद रिजर्व बैंक की रिपोर्ट आई कि नोटबंदी के दौरान रिजर्व बै

आभिजात्य कवयित्रियाँ

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व्यंग्य बाण लेखक प्रवीण मकवाना        ये वे महिलाएँ होतीं हैं, जिनके घर दो से अधिक मेहमान आ जाएं तो खाना बाहर से ऑर्डर करना पड़ता है। वे सुंदर तो होतीं ही हैं, यदि कुछ नहीं होती, तो मेकअप बाबा का आशीष प्राप्त कर लेतीं हैं। अपनी साड़ी को नाभि से अँगुल-अष्ट नीचे बाँधती हैं ... इनका प्रिय रँग होता है - पिंक और ब्लैक। अधिसंख्य के ब्लाउज बैकलेस होते हैं। सोफे पर बैठी होतीं हैं, और इनके चित्त में एक विचार ( सतही विचार... आप इसे दार्शनिकता से जोड़ने का अपराध न करें ) कौंधता है। यही वह क्षण होता है जब इन्हें लगता है कि " मेरे भीतर कवयित्री होने की ठोस प्रतिभा है। " फिर क्या ... अपने बिट्टू की कॉपी का अंतिम पन्ना फाड़ देतीं हैं। चिड़िया, कोयल, पेड़-पत्ते, गुलाब, खुशबू, गलियाँ, अंज़ाम, अज़नबी, जैसे कई कई शब्द असहाय होकर पन्ने पर गिर पड़ते हैं। कुछ उद्भावना, कुछ स्मृति, कुछ आसपास का तो कुछ कवियों का चुराया चेप दिया जाता है ... बन जाता है एक टूटा फूटा गद्य। कच्चा माल तैयार है। अब यह कच्चा माल अपने सोना बाबू को व्हाट्सअप पर भेज दिया जाता है। भाई तो प्रतीक्षा में ही बैठा होता है। अरे बेटू ! यह तूने

इजरायल पर प्रधानमंत्री नेहरू की कथित विदेश नीति पर मुस्लिम तुष्टीकरण हावी..!

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संविधान सभा में 4 दिसंबर, 1947 को भारत की विदेश नीति पर जवाहरलाल नेहरू ने कहा – अरब और यहूदियों के मामले का समाधान फिलिस्तीन कमेटी की माइनॉरिटी रिपोर्ट है. इस पर भारत सरकार ने हस्ताक्षर किये थे. हालाँकि, कमेटी की रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र संघ के अधिकतर देशों ने स्वीकार नहीं किया था. इसके अनुसार यहूदियों को फिलिस्तीन के अंतर्गत स्थानीय स्वायित्व दिए जाने का प्रस्ताव था. यानि यहूदियों के लिए एक स्वतंत्र देश की मांग को बाधित करने की दिशा में यह एक कदम था, जिसमें प्रधानमंत्री नेहरू भी शामिल हो गए थे. भारत संयुक्त राष्ट्र संघ की फिलिस्तीन पर विशेष समिति का सदस्य था, जिसने फिलिस्तीन की 55 प्रतिशत जमीन इजरायल को देने का एक प्रस्ताव रखा था. समिति में भारत की तरफ से सदस्य अब्दुल रहमान ने इस विभाजन को एकदम नकार दिया और प्रधानमंत्री नेहरू द्वारा मध्यस्ता का एक नया प्रस्ताव रखा गया. भारत ने अरब देशों को सुझाव दिया कि फिलिस्तीन को मुसलमान और यहूदियों का एक महासंघ बना दिया जाए. जिसे सभी मुस्लिम देशों विशेषकर इजिप्ट ने सिरे से ख़ारिज कर दिया. एक तरफ प्रधानमंत्री नेहरू की अजीबो-गरीब कल्पनाओं को मध्य ए

आतंक से पीड़ित विश्व को इज़राईल जैसा जीवट चाहिए

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जहां एक तरफ इस्लामिक आतंकवाद से पूरी दुनिया त्रस्त हैं और तथाकथित बुद्धिजीवी नव-वामपंथी इस सच को झुठलाने में लगे है। वे आज भी आतंकवाद का धर्म तलाश नहीं पाए है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प ने अवश्य हिम्मत करके इस्लामिक आतंक शब्द का उपयोग किया था। वहीं दूसरी तरफ इशलमिक आतंक से निपटने में जैसी जीवटता मात्र 87 लाख यहुदी आबादी वाले एक मात्र देश इजराइल ने दिखाई है, वैसी जीवटता दुनिया की कोई जाति/देश आज तक नहीं दिखा सका। इजरायल ने विगत दिनों में जिन हमास कमांडरों (इस्लामिक आतंकियों) और संचालकों को ढेर किया है उनमें से 14 खूंखार आतंकियों की बाकायदा तस्वीरें भी जारी की है। तस्वीरें जारी करते हुए कहा कि हमास के ये चौदह कमांडर अब इजरायल के लिए कोई खतरा नहीं रह गए हैं! इजरायल ने उन 14 हमास कमांडरों की लिस्ट भी जारी की है। ये वो कमांडर है जिन्होंने पिछले कुछ दिनों से पूरे देश की नाक में दम कर रखा था। किंतु इजरायल ने साथ ही ये भी कहा है कि अब इनमें से कोई भी इजरायल की नाक में दम नहीं कर सकता। क्योंकि इजरायली सुरक्षा बलों ने उन्हें ढेर कर दिया है। इजरायल द्वारा ढ़ेर किये गए इन 14 आतंकिय
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चाईनीज़ कोरोनावायरस: कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के 18 वैज्ञानिकों ने लिखा पत्र, WHO से चीन को मिले क्लीन चिट पर जताया संदेह जिस तरह से पूरी दुनिया यह जान चुकी है कि चाईनीज़ कोरोनावायरस की उत्पत्ति चीन से हुई है और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने लगातार लापरवाही बरतते हुए या जानबूझकर पूरे विश्व में वायरस को फैलाने की नियत से इसकी जानकारियों को छुपाए रखा और वर्तमान में भी वायरस से संबंधित किसी भी जानकारी को सार्वजनिक नहीं कर रहा है। इसके अलावा जिस तरह से कई अहम दस्तावेज और सबूत सामने आए हैं कि चीन कैसे जैविक हथियार बनाने का प्रयास कर रहा था और हथियार का उपयोग करने की साजिश रच रहा था। इन दस्तावेजों और रिपोर्ट के सामने आने के बाद यह बात भी कही जा रही है कि चाईनीज़ कोरोनावायरस कोई प्राकृतिक वायरस नहीं बल्कि चीन का एक जैविक हथियार है। इसकी उत्पत्ति को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन अर्थात डब्ल्यूएचओ ने चीन में जांच करने के बाद चीनी कम्युनिस्ट सरकार को पूरी तरह से क्लीनचिट दे दिया है। लेकिन इस मामले को लेकर दुनिया भर के वैज्ञानिकों की राय बिल्कुल अलग है। दुनिया भर के वैज्ञानिक इस बात का खंडन करने से इ

इसी वर्ष भारत में सम्पूर्ण वेक्सिनेशन हो जाएगा, रोडमेप जारी किया

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भारत में तबाही मचा रही कोरोना की दूसरी लहर से लड़ने के लिए केन्द्र सरकार युद्धस्तर पर कार्य कर रही है। इसी के साथ केंद्र सरकार ने 18 वर्ष से ऊपर के सभी लोगो को 2021 के अंत तक कोरोना टीकाकरण के अभियान को पूरा करने का रोडमैप प्रस्तुत  कर दिया है। इस साल के अंत तक 18 वर्ष की आयु से अधिक के सभी लोगो को कोरोना वैक्सीन के दोनों डोज़ लग जाएंगे। जुलाई तक 51.6 करोड़  वैक्सीन के डोज़ की उपलब्धता होगी। जिस प्रकार से काँग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां वैक्सीन की कमी पर लगातार केन्द्र सरकार पर तंज कस रहे थे उसे देखते हुए केन्द्र सरकार ने देश के लोगो के प्रति अपनी निष्ठा और जिम्मेदारी को सबके सामने दर्शाया है ताकि सभी विपक्षियों को ये साफ समझ आये की केन्द्र सरकार देश की आम जनता की जान और माल को लेकर  बहुत  गंभीर है।  • वैक्सीन टास्क फ़ोर्स प्रमुख डॉ. पाल ने लगाया चीन के आकड़ो पर प्रश्नचिन्ह चीन ने जिस प्रकार से अपने देश मे कोरोना वैक्सीनेसन का आंकड़ा जाहिर किया है उसपर सवालिया निशान उठाते हुए वैक्सीन टास्क फ़ोर्स के प्रमुख डॉ. वी.के. पाल ने कहा कि अमेरिका ही पूरे विश्व मे एक अकेला ऐसा देश है

मंदिरों में आया करोड़ों का दान आखिर जाता कहाँ है?

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हर न जानने वाले व्यक्ति की यही शिकायत है कि हिंदू मंदिरों मे करोड़ों दान आता है पर ये पैसा हिंदुओं के कल्याण में खर्च क्यों नहीं करते..? सत्य जानना है तो कानून क्या है पढ़िये... कड़वा अनजान सच "हिंदू धर्म दान एक्ट" 1951 "The Hindu Religious and Charitable Endowment Act of 1951” इस एक्ट के जरिए कांग्रेस ने राज्यों को अधिकार दे दिया कि वो किसी भी सनातनी मंदिर को सरकार के अधीन कर सकते हैं। इस एक्ट के बनने के बाद से आंध्र प्रदेश सरकार नें लगभग 34,000 मंदिर को अपने अधीन ले लिया था। कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु ने भी सनातनी मंदिरों को अपने अधीन कर दिया था। इसके बाद शुरू हुआ मंदिरों के चढ़ावे में भ्रष्टाचार का खेल। उदाहरण के लिए तिरुपति बालाजी मंदिर की सालाना कमाई लगभग 3500 करोड़ रूपए है। मंदिर में रोज बैंक से दो गाड़ियां आती हैं और मंदिर को मिले चढ़ावे की रकम को ले जाती हैं। इतना फंड मिलनें के बाद भी तिरुपति मंदिर को सिर्फ 7% फंड वापस मिलता है, रखरखाव के लिए। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री YSR रेड्डी ने तिरुपति की 7 पहाड़ियों में से 5 को सरकार को देने का आदेश

दृढ़ संकल्प, सजगता, धैर्य व सामूहिक प्रयासों से कोरोना संकट पर निश्चित ही विजय प्राप्त होगी – डॉ. मोहन भागवत

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नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत ने कहा कि दृढ़ संकल्प, सतत प्रयास व धैर्य के साथ भारतीय समाज कोरोना पर निश्चित ही विजय प्राप्त करेगा. यह समय गुण-दोषों के बारे में चर्चा करने का नहीं है, बल्कि इस समय समाज के सभी वर्गों को एक साथ मिलकर सामूहिक प्रयास करने होंगे ताकि इस संकट से हम पार पा सकें. सरसंघचालक ‘हम जीतेंगे— पाज़िटीविटी अनलिमिटेड’ व्याख्यानमाला के पांचवें व अंतिम दिन संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि सब लोग परस्पर एक टीम बन कर काम करेंगे तो सामूहिकता के बल पर हम अपनी और समाज की गति बढ़ा सकते हैं. इस समय अपने सारे मतभेद भुलाकर हमें एक साथ मिलकर काम करना होगा. उन्होंने कहा कि पहली लहर के बाद हम गफलत में आ गए और अब तीसरी लहर आने की बात हो रही है. इससे अर्थव्यवस्था, रोजगार, शिक्षा आदि पर गहरा प्रभाव पड़ा है. आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था पर और असर पड़ सकता है, इसलिए इसकी तैयारी हमें अभी से करनी होगी. भविष्य की इन चुनौतियों की चर्चा से घबराना नहीं है, बल्कि ये चर्चा इसलिए जरूरी है ताकि हम आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए समय रहते तैयारी कर सक

5 मई कार्ल मार्क्स का जन्म दिन, जिसके विचार ने दुनियां में 10 करोड़ लोगों की हत्या की

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आज 5 मई को वैश्विक इतिहास के सबसे बुरे और क्रूरतम विचार को रखने वाले इंसानों में से एक कार्ल मार्क्स का जन्मदिन है। कार्ल मार्क्स के विचार की वजह से बीते एक सदी में विश्व में 10 करोड़ से अधिक लोगों की हत्या की गई। इन हत्याओं से कार्ल मार्क्स के दर्शन का सीधा सा संबंध है। सिर्फ हत्याएं ही नहीं बल्कि रूस और चीन से लेकर वियतनाम कंबोडिया उत्तर कोरिया और तमाम कम्युनिस्ट देशों में स्थित गुलामों के कारावास और डिटेंशन कैंप यह सभी नर्क रूपी विचार कार्ल मार्क्स के दर्शन साम्यवाद की ही देन है। साम्यवाद वही है जिसे हम वामपंथी या कम्युनिज्म के नाम से जानते हैं। और इसी साम्यवाद या कम्युनिज्म की वजह से विश्व भर में अरबों लोग नकारात्मक रूप से प्रभावित हुए, करोड़ों लोग मारे गए और लाखों लोग आज भी अपनी बुरी और पीड़ित जिंदगी जी रहे हैं। साम्यवाद का विचार दुनिया को देने वाले कार्ल मार्क्स का जन्म आज से 203 वर्ष पूर्व वर्ष 1818 में जर्मनी में हुआ था। कार्ल मार्क्स आधुनिक विश्व इतिहास के सबसे विवादित विचारक में से एक है। जब हेनरिक और हेनरिटे मार्क्स ने अपने बेटे को जन्म दिया था तब उन्हें जरा सा भी यहां अंदाज