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नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 विशेषताएं और चुनोतियाँ

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भारत सरकार द्वारा लगभग 5 वर्षों तक राष्ट्र की शिक्षा हेतु परामर्शदाताओं, हितधारकों, शिक्षा संचालकों, आमजनता आदि के साथ कार्यशालाएं आयोजित करने के बाद, गहन विचार विमर्श करने के बाद, विभिन्न सेमिनार आयोजित कर लेने के पश्चात नई शिक्षा नीति को लागू किया गया है। अब यह सर्वजन के सम्मुख सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध है। कोई भी नीति दस्तावेज सरकार की मंशा का विवरण होता है। जो दिशा निर्देश प्रदान करता है। इस शिक्षा नीति दस्तावेज को उसमें उल्लेखित सभी नियमों और निर्देशों का पालन करके एक प्रक्रिया तथा प्रोटोकॉल के रूप में लागू किया जाना है। भारतीय शिक्षा में क्रांति लाने के लिए तय मार्ग को तोड़ते हुए बड़ी परिवर्तनकारी पहल के साथ ही साथ इसमें संरचनात्मक परिवर्तन किए गए हैं जो पूर्व की शिक्षा नीतियों में नहीं पाए गए हैं। नई शिक्षा नीति की अनेक विशेषताएं हैं, अनेक नवीनताएं हैं।इस आलेख में उन विशेषताओं को संक्षिप्त में लिया जाएगा जो इस प्रकार से है:-  21वीं सदी के कौशल युक्त मूल्यों को मानने वाले तथा जीवन कौशल संयुक्त व्यक्तियों की उपेक्षा किए बिना समग्र एकीकृत व्यापक और सभी समावेशी उच्च गुणवत्ता वाली श

आरएसएस के बारे में भ्रम दूर करें, सरल सत्य पढ़ें

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जो लोग संघ   को नही जानते है वे समय-समय पर बुद्धि पिशाचों द्वारा रचे गए षड्यंत्र को सच मानकर भ्रमित हो जाते हैं। इसलिए आवश्यकता है कि आप और हम कुछ सामान्य बातों को, संघ पद्धति को, प्रक्रिया को सरल शब्दों में समझ लें। वैसे तो संघ को समझना है, तो शाखा आना ही होगा फिर भी इस आलेख में अल्प प्रयास किया गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ  आरएसएस ने अपने प्रारंभ में ही तय कर लिया था कि " संघ कुछ नहीं करेगा स्वयंसेवक कुछ ना छोड़ेगा।" संघ केवल व्यक्ति निर्माण करेगा। राष्ट्र के लिए जैसा चरित्र चाहिए वैसे व्यक्तियों के निर्माण की कार्यशाला, जिसे आप और हम शाखा नाम से जानते हैं, केवल उसी शाखा को चलाना संघ ने तय किया। जैसे-जैसे स्वयंसेवकों का निर्माण होता गया का निर्माण होता गया वैसे वैसे समाज के विभिन्न क्षेत्रों की ओर ध्यान गया। जिन जिन स्वयंसेवकों को जैसा जैसा समझ में आया और आवश्यकता लगी, उन उन क्षेत्रों में वैसा वैसा संगठन खड़ा होता गया। जैसे विश्व हिंदू परिषद, भारतीय मजदूर संघ, वनवासी कल्याण आश्रम, सेवा भारती, संस्कार भारती, संस्कृत भारती, भारत सेवा परिषद आदि आदि। यह भी प

भ्रामक विमर्श से बचें, संजीदा सत्य पढ़ें।

भ्रामक विमर्श से बचें, संजीदा सत्य  पढ़ें। https://wp.me/p6CPzy-4e

जुझार गाथा

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आज फिर एक क्रन्दन हुआ। " मेरी गायें बचा लीजिए!"  महिला स्वर में। कहने वाली ने कहकर अपना कर्त्तव्य पूरा कर लिया। काश ! मेरा भी कर्त्तव्य इतनी जल्दी पूरा हो पाता। वो नहीं जानती कि इस एक वाक्य के बाद इतिहास आरम्भ होने वाला है। वो इतिहास जिसे बाद वाली पीढ़ियाँ इतिहास मानने से ही इनकार कर देगी। मेरे रावले से दो ऑंखें झिर्री में से आशंकित हुई। उसकी अनुमति भी नहीँ ली। चार नन्हे हाथ बेफिक्र हलचल कर रहे थे। ये जाने बिना कि "जी सा" अब कभी नहीं आने वाले। घोड़ा और तलवार। न कोई संगी न साथी। तीन प्रहर दिन गए।रावले में समाचार पहुँचा। सारी गायें बचा ली गई। "रावल जी" नहीँ रहे। वो सारी बातें हुई जो ऐसे मौके पर होती है। सर कहीँ और गिरा तो धड़ कहीँ और। वर्षों बाद किसी ने एक चबू5तरा बनाया,जहाँ शीश गिरा था। जिसकी गायें थी,उसके वंशजों ने नहीँ। वे तो किसी महानगर में शिफ्ट हो गए हैं। एक एन जी ओ चलाते हैं,सामन्त शाही के खिलाफ। "थान"तो एक एस टी के परिवार ने बनाया। वे हर वर्ष आते हैं।अपनी "ग्राम्य" भाषा में रात भर करुण और हृदय विदारक Uस्तुति गाते हैं। वे गाते है वीर

चिंता बढ़ाती मॉरीशस की जलयान की दुर्घटना

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लगभग 1 माह पूर्व 25 जुलाई