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हिन्दू दर्शन

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हिन्दू दर्शन --------------- आजकल मिडिया में ओबामा के बयान को लेकर चर्चा हो रही है। हिन्दू दर्शन पर चलने वाले इस बयान से क्षुब्ध है तो दूसरी तरफ विरोधी खुश है। कुछ ऐसे भी है जो हिन्दू दर्शन के क ख ग को जानते नही फिर भी गाल बजा रहे है। इन परिस्थितियों में लगता है कि हम इस दर्शन को समझे और यह भी समझें कि केवल और केवल हिन्दू दर्शन ही भारतीय दर्शन है साथ में यह वेश्विक भी है। इसे मानाने वालों की सहिष्णुता की परीक्षा लेने का कोई दुस्साहस न करे। हमारे देश की हजारों वर्ष पुरानी एक विशिष्ठ पहचान है और वह पहचान "हिंदुत्व" है। यदि हिंदुत्व को निकाल देते है तो यह देश केवल एक भूखण्ड रह जायेगा। हमारे दर्शन को मानाने और चलने वाला हर कोई हिन्दू ही है चाहे उसकी पूजा पद्दति कोई भी है। सबसे पहले हमे हिन्दू संस्कृति और सभ्यता को समझना होगा।     सभ्यता-- सभ्यता और संस्कृति में थोडा अंतर है। सभ्यता मुख्यत: भौतिक अवस्था है।यह समाज का बाह्य प्रकटीकरण है। सभ्यता का सम्बन्ध विज्ञान और अर्थ से है। जेसे जेसे वैज्ञानिक खोज आगे बढ़ती है सभ्यता विकसित होती है। समाज का आर्थिक पक्ष प्रमुख रहत