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सितंबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मोदी सरकार -1 के गिनाए जा सकने वाले काम

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BJP भाजपा के एक नहीं, ८०+ काम जो गिनाए जाने चाहिए कृपया भारत से प्यार करनेवाले और भारत का विकास चाहने वाले इसे पूरा अवश्य पढ़ने का प्रयास करें। १. देश का सबसे बड़ा "सरदार सरोवर बांध" को सफलता पूर्ण संपूर्ण कराया, जिसे लौह पुरुष पटेल के नाम से बनने के कारण ६५ वर्षों से अटकाया गया था! २. देश का सबसे लम्बा "भूपेंद्र हजारिका सेतु" ९.१५ किलोमीटर को बना कर पूरा किया, जिसे पिछली सरकारने चीन के डर से रोक रखा था! ३. देश की सबसे लम्बी "चनानी-नौशेरा सुरंग" बना कर पूरी की, जिसे पिछली सरकार ने अटका रखा था! ४. विश्व की सबसे ऊंची रेल्वे ब्रिज चिनाब नदी पर बनाई, जिसका काम २००८ से रोका गया था! ५. "वन रेंक, वन पेंशन" सेना को उसका हक दिलवाया, हर वर्ष ₹४०, ००० करोड. जिसे पिछली सरकार ४५ वर्षों से छल रही थी! ६. २०१४ से पहले मात्र तीन शहरों में मेट्रो आम जनता के लिये चलता था, और २०१४ से २०१९ के बीच मुम्बई, चेन्नई, जयपूर, कोच्चि, हैदराबाद, लखनऊ, अहमदाबाद, नागपूर, में भी मेट्रो ट्रेन जनता के लिये बनाकर खोल दिये गये हैं! ७. मेट्रो ट्रेन का रुट २०१४ में २५० किलोमीटर था! अब

चर्च द्वारा किये जा रहे धर्मातंरण के विरुद्ध जनजातीय समाज का शंखनाद, बड़े आंदोलन की कर रहा तैयारी

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यह एक आश्चर्य की ही बात है कि छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े जनजातीय क्षेत्र बस्तर संभाग में हजारों की संख्या में जनजातीय ग्रामीण अपने संस्कृति, सभ्यता, परंपरा और अधिकारों की रक्षा के लिए सड़कों में उतरे हुए हैं और इस पर कोई चर्चा नहीं हो रही है। छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में जनजातीय समाज ने समाज के भीतर ईसाई मिशनरियों द्वारा किए जा रहे धर्मांतरण के खिलाफ शंखनाद कर लिया है। बीते 5 दिनों से कोंडागांव जिले में जनजातीय समाज के नागरिकों द्वारा सड़क पर जमकर प्रदर्शन किए गए हैं। जनजातीय समाज ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्म परिवर्तन के जाल के खिलाफ प्रशासन और सरकार को स्पष्ट चेतावनी दे रहा है। दरअसल यह पूरा क्षेत्र जनजातीय बहुल क्षेत्र है। यहां पिछले कुछ दशकों में ईसाई मिशनरियों द्वारा स्थानीय जनजातीय ग्रामीणों को बहला-फुसलाकर उनका धर्मांतरण कराया जा रहा है। इस वजह से ना सिर्फ जनजातीय समाज की वर्तमान पीढ़ी अपने रीति-रिवाजों और परंपराओं से कट रही है बल्कि एक ऐसी सभ्यता का अनुसरण कर रही है जो उनकी अपनी नहीं है। इसके अलावा अलग-अलग समय में मिशनरियों पर जनजाति समाज के ऐतिहासिक संस्कृतियों और परंपराओं को अपमा

क्यों करें नमस्कार !

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आजकल नमस्कार करने की परिभाषा बदल रही है, ऐसे में हम बच्चों को संस्कारित कैसे करें। अत: यह बताना आवश्यक है कि नमस्कार कब, क्यों और कैसे करें। एक समय था कि नमस्कार की एक विशेष प्रथा थी जिस कारण प्राय: सभी स्वस्थ रहते थे। जब घरों में कोई अतिथि आते हैं तो कुछ खाना-पीना अवश्य होता है। उन अतिथि के साथ परिवार के सदस्य भी खाते हैं, जो कि विशेष रूप से मेहमान के लिए बनाया जाता है, जबकि दैनिक दिनचर्या में हम सात्विक एवं हल्का भोजन ही खाते हैं। इस विशेष रूप से बनाए जाने वाले भोजन को पचाने के लिए व्यायामयुक्त नमस्कार करने की प्रथा बनाई गई है। नमस्कार करने से हमारा अहंकार नष्ट होता है। विनय गुण नम्रता विकसित होती है एवं मन शुद्ध होता है। अत: प्रथम नमस्कार अपनी ओर से ही करना चाहिए। बड़ों को प्रणाम अथवा चरण स्पर्श करने से आयु, सम्मान, तेज और शुभ कार्यों में वृद्धि होती है। संत-महात्माओं के दर्शन मात्र और चरण स्पर्श से तीन जन्मों के पाप नष्ट होते हैं। हमारा कल्याण होता है। संत-महात्माओं ने जिस तप को बड़ी मेहनत करके एवं त्याग-तपस्या से प्राप्त किया है, उस तप को वे खुले दिल से देने के लिए तैयार बैठे ह

नक्सली संगठन में महिला माओवादियों का होता है शोषण, बलात्कर से लेकर मारपीट तक

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हत्या, लूट, बम ब्लास्ट, लोकतंत्र विरोधी गतिविधियां करने वाले माओवादियों का किसान विरोधी, जनजातीय विरोधी, ग्रामीण विरोधी, विकास विरोधी, लोकतंत्र विरोधी और समानता विरोधी रूपी चेहरा हमेशा सामने आता रहा है। सामाजिक बराबरी और नैतिकता की बात करने वाले वामपंथ के इस अतिवादी संगठन जिसे हम नक्सली और माओवादी संगठन या विचारधारा के रूप में जानते हैं वह लगातार महिलाओं का भी शोषण करता रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो कभी मुख्यधारा की खबरों में नहीं आता। नक्सलियों-माओवादियों के संगठन से सरेंडर किए हुए महिला नक्सलियों ने खुद अपने मुंह जबानी इन बातों को कहा है।   माओवादियों के संगठन में महिलाओं के साथ अत्यधिक अत्याचार होता है। महिला नक्सलियों पर ना सिर्फ शादी का दबाव बनाया जाता है बल्कि यदि वो शादी के लिए तैयार ना हो तो उनके साथ शारीरिक संबंध के लिए जबरदस्ती भी की जाती है। नक्सलियों-माओवादियों के संगठन में महिलाओं की स्थिति इतनी खराब है कि यदि कोई महिला नक्सली शादी या शारीरिक संबंध के लिए आसानी से तैयार ना हो तो उस पर इतना दबाव बनाया जाता है की कुछ महिलाएं आत्महत्या तक कर लेती हैं।   माओवादी संगठन में सिर

भगवान शिव के धनुष पिनाक के नाम पर बनी स्वदेशी पिनाका गाइडेड मिसाइल का परीक्षण सफल।

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✍ पाकिस्तान एवं चीन से भारत को मिल रही चुनौतियों के बीच भारत सरकार आयुध-रक्षा प्रणालियों के स्वदेश में उत्पादन पर जोर दे रही है। इसी क्रम में डीआरडीओ ने अपनी पिनाका मिसाइल को उन्नत करके नए मिसाइल सिस्टम का गत माह राजस्थान में पोकरण स्थित फील्ड फायरिंग रेंज में परीक्षण किया जो पूरी तरह से सफल रहा। ✍पिनाका मिसाइल सिस्टम को उन्नत बनाने के लिये इसमें # पहली बार एडवांस्ड नेवीगेशन सिस्टम तथा कन्ट्रोल सिस्टम लगाये गये हैं। इनकी सहायता से अब यह अपने लक्ष्य को पहचानकर एकदम सटीक प्रहार करने में सक्षम हो गई है।  वर्तमान परीक्षण में यह अपने दोनों मानकों पर खरी उतरी है। ✍डीआरडीओ द्वारा विकसित पिनाका मिसाइल सिस्टम की मारक क्षमता पहले चरण में 40 किमी थी, जिसे बढ़ाकर 75 किमी की गई। नए संस्करण में मारक क्षमता 120 किमी तक बढ़ाना प्रस्तावित है। ✍पिनाका मिसाइल सिस्टम विशेष प्रकार के ट्रक पर लगा होता है, इसकी 44 सैकण्ड में 12 गाइडेड राकेट दागने की क्षमता है।   ✍इन मिसाइलों का उत्पादन डीआरडीओ से तकनीकी हस्तांतरण अनुबंध के तहत निजी कम्पनी द्वारा किया जा रहा है।  भगवान_शिव_का_धनुष_पिनाक : 🙏भगवान शिव ने जिस ध

दीनदयाल उपाध्याय जयंती पर विशेष

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एक बार भोजन के बाद दीनदयाल जी का हाथ साफ करवाते हुए, एक स्वयंसेवक ने पूछा ?दीनदयाल जी इस बार संसद में आपके कितने लोग जीतकर आ रहे हैं ?दीनदयाल जी ने उत्तर दिया जितनी सीटें हैं संसद में उतने ही लोग मेरे जीतकर आ रहे हैं। स्वयंसेवक ने आश्चर्यजनक नजरों से उनकी तरफ देखा! पुनः पंडित दीनदयाल जी उपाध्याय ने कहा हां सभी अपने ही तो है, सभी भारत के हैं ! यदि तुम्हारा मतलब जनसंघ से कितने सांसद जीतेंगे ? तो मेरा उत्तर है 15 से 20 ऐसे थे हमारे पंडित जी! भारत में तीन उपचुनाव हुए एक पर खड़े थे कृपलानी दूसरे पर लोहिया तीसरे पर दीनदयाल जी। यह तीनों विपक्ष के उम्मीदवार कांग्रेस के सामने थी। दीनदयाल जी का चुनाव क्षेत्र था जौनपुर वहां पर जातिवाद फैलाया गया जन संघ के कार्यकर्ताओं ने कहा हम भी आपके नाम के आगे पंडित लगाकर लोगों को कहेंगे आप ब्राह्मण हैं। दीनदयाल जी ने कहा यदि ऐसा प्रचार हुआ तो मैं तुरंत चुनाव क्षेत्र छोड़ दूंगा! और जीत भी गया तो इस्तीफा दे दूंगा। मेरा प्रचार केवल दीनदयाल नाम से करें, फल स्वरूप कृपलानी जी और लोहिया जी जीते दीनदयाल जी चुनाव हार गए। एक बार संघ का एक शीत शिविर लगा हुआ रात

क्या-क्या कुदरती घोषित कर दोगे आप ??

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धारा_377 = वैचारिक पतन का गंदा खेल... तस्वीर में दिख रहा बड़ा सा कुत्ता दरअसल एक आदमी है, जिसे लगता है कि वो सेक्सुअली एक कुत्ता है। वह चाहता है उसे कुत्ते की तरह ट्रीट किया जाये । ये ड्रेस सेक्स टॉयज़ बनाने वाली कंपनियां बनाती हैं, अच्छी कीमत पर बेचती हैं।  हार्मोन्स के इंजेक्शन से सेक्स चेंज की जुगाड़ तो बाजार ने खोज ली है, लेकिन अभी इंसान को कुत्ता बनाने वाले हार्मोन्स नहीं बन सके। लिहाजा मानसिक कुत्तों को ड्रेस ही बेची जा रही है। हो सकता है कि आने वाले सालों में इन्हें बोलना भुलाकर भौंकने की व्यवस्था कोई कंपनी खोज निकाले.! ये कुत्ता कोई तस्वीर नहीं है। ये एक कम्युनिटी है। LGBT की तरह।  ये खुद को 'ह्यूमन_पप्स' कहते हैं।  किसी एक आध शख्स के 'शौक' से शुरू हुई पप्स कम्युनिटी आज हजारों लाखों में पहुंच गई है। ब्रिटेन के एंटवर्प शहर में 'मिस्टर पपी यूरोप' की प्रतियोगिता आयोजित की गई। इनके अपने प्राइड क्लब्स भी हैं, दुनिया के तमाम शहरों में, जहां ये इकट्ठा होकर अपने अंदर के कुत्ते को गर्व से सेलिब्रेट करते हैं। होमोसेक्सुअल्स की तरह ही ये कुत्ते और पिल्ले भी तमाम आयोजन

विश्व-बंधुत्व की भावना को सच्चे अर्थों में साकार करता है - एकात्म मानवदर्शन

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सरलता और सादगी की प्रतिमूर्त्ति पंडित दीनदयाल उपाध्याय बहुमुखी एवं विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। उनका जीवन परिश्रम और पुरुषार्थ का पर्याय था। वे कुशल संगठक एवं मौलिक चिंतक थे। सामाजिक सरोकार एवं संवेदना उनके संस्कारों में रची-बसी थी। उनकी वृत्ति एवं प्रेरणा सत्ताभिमुखी नहीं, समाजोन्मुखी थी। एक राजनेता होते हुए भी उन्होंने जीवन और जगत के सभी पक्षों एवं प्रश्नों पर गहन चिंतन किया और उसका युगानुकूल चित्र खींचने और उत्तर देने का सार्थक प्रयास भी। और इस नाते वे एक राजनेता से अधिक राष्ट्र-ऋषि थे। आज भारतीय जनता पार्टी जिस भिन्न एवं विशिष्ट वैचारिक अधिष्ठान और मज़बूत सांगठनिक आधार पर खड़े और टिके रहने का दावा करती है, उसके वास्तविक शिल्पी और प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय ही थे। बल्कि यह कहना चाहिए कि उन जैसे ध्येयनिष्ठ साधकों की अहर्निश साधना एवं समर्पण के बल पर ही भाजपा को सत्ता की सिद्धि प्राप्त हो सकी है। वे एक ऐसे राजनेता के रूप में हमारे समक्ष आते हैं, जिन्होंने न केवल स्वयं भारत को भारत के दृष्टिकोण से जानने-समझने-देखने की दृष्टि विकसित की, अपितु बहुतेरों को भी वैसी ही दृष्टि प्रदान की। भार

मतीरे की राड़

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मतीरे_की_राङ (1644ई.) मेरे राजस्थानी मित्ररों को इसकी जानकारी जरूर हैं.... राजस्थान के राजाओं के बीच विभिन्न कारणों से कई युद्ध लड़े गए लेकिन एक मतीरे (तरबूज) के लिए बीकानेर और नागौर की सेना के बीच एक अनोखा युद्ध लड़ा गया। बीकानेर की जमीन पर उगी बेल ढाई बिलांग नागौर रियासत की जमीन तक फैल गई और उस पर लगे मतीरे के मालिकाना हक को लेकर दोनों रियासतों की सेना के बीच युद्ध हुआ.... मतीरा भी साइज में काफी बङा था... तो डाकीचूळा उठना तो लाजमी था....। वर्ष 1644 में बीकानेर पर राजा करणसिंह और नागौर में राव अमरसिंह का शासन था। बीकानेर रियासत का सीलवा गांव और नागौर का जाखणियां के बीच दोनों राज्यों की सीमा रेखा थी....। सीमा रेखा के निकट सीलवा में उगी मतीरे की एक बेल नागौर की सीमा में फैल गई...। इस पर एक गपतालिस किले का मतीरा उगा...। भारी भरकम मतीरे पर दोनों रियासतों के लोग दावा करने लगे....। बीकानेर का दावा था कि यह बेल हमारे क्षेत्र में उगी है इस कारण इस पर हमारा हक है। वहीं नागौर के लोगों का कहना था कि यह मतीरा उनके सीमा क्षेत्र में उगा है इस पर हमारा हक हैं। मतीरे को लेकर दोन

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सीट और भारत

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     जब भी पड़ौसी देशों की अवांछनीय हरकतों की चर्चा होती है, तो नेहरू  की गलतियों का 70 वर्षो से दंश झेल रहा भारत अपनी नीतियों पर पुनर्विचार के लिए विवश हो जाता है! नेहरू की गलतियों के कारण भारत ने अपना बड़ा भूभाग खोया. संयुक्त राष्ट्र का संस्थापक सदस्य भारत, संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले 26 देशों में भी भारत! स्वतंत्रता के बाद ये नेहरू की मूर्खता के कारण हाथ में आई हुई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की सीट दो बार चीन को सौंप दी गई! 1947 में नेहरू ने प्रधानमंत्री के साथ साथ विदेश मंत्री का पदभार भी संभाला. वो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और रूस की साम्यवादी विचारधारा से बहुत ही अधिक प्रभावित थे। इसलिए जब 1949 में माओत्से तुंग ने कुओमितांग पार्टी को खदेड़ कर पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना का गठन किया तो उसे सबसे पहले मान्यता देने वालों में भारत ही था। नेहरू को भरोसा था कि एक दिन भारत और चीन दोस्ती की नयी मिसाल बनायेंगे। उन्हें यकीन था हिंदी चीनी भाई भाई बनेंगे। जनसँख्या की दृष्टि से भारत उस वक़्त भी दूसरा सबसे बड़ा देश था।  जबकि ताइवान भारत के मुकाबले एक बहुत ही छोटा द्वीप। उन्ही

नए दौर की तरफ भारत बांग्लादेश रिश्ते

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भारत और बांग्लादेश के संबंध किसी भी दक्षिण एशियाई पड़ोसियों की तरह सभ्यता, संस्कृति, सामाजिक एवं आर्थिक आदि विषयों के साथ जुड़े हैं। इसके अतिरिक्त बहुत कुछ है जो दोनों देशों को एक सूत्र में बांधता है। हमारी साझा संस्कृति है। हमारा एक साझा इतिहास है। एक साझी विरासत, एक साझा भाषा है। हमारा सांस्कृतिक मेल, साहित्य, संगीत और कला से प्रेम तथा भारत के साथ बांग्लादेश का न केवल स्वाधीनता संग्राम का संघर्ष और मुक्ति की साझी विरासत है, अपितु दोनों देश एक दूसरे के अंतरंग भावनाओं को भ्रातृत्व भाव से अनुभव करते हैं। हमारी यही साझेदारी बांग्लादेश के साथ बहुआयामी संबंधों के विभिन्न स्तर के क्रियाकलापों में भी झलकती है। उच्च स्तरीय आदान-प्रदान, यात्राएं, बैठकें  नियमित रूप से चलती रहती है। बांग्लादेश स्थित भारतीय दूतावास प्रतिवर्ष लगभग आधा मिलियन वीजा जारी करता है। हजारों बंगलादेशी छात्र अपने छात्र अपने स्वयं के खर्चे पर तथा 100 से अधिक भारत सरकार की वार्षिक छात्रवृत्ति पर भारत में अध्ययन करने आते हैं। -1905 में अंग्रेजों (कर्जन) के षड्यंत्र बंग भंग के समय दोनों और के बंगाल वासियों ने मिलकर संघर्ष कि

कमीशनखोरी पर चोट

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मंडी में किसान अपना माल फैला कर एक कोने में हाथ बांध कर मज़दूरों की तरह बैठ जाता है और बार बार मंडी के दलाल से विनती करता रहता है कि साहब मेरे माल की भी बोली लगवा दो। दलाल:- रुक जा, देख नहीं रहा, कितने लोग है लाइन में.? किसान:- चुपचाप एक कोने में बैठा, थोड़ी देर में फिर दलाल के पास जकर बोलता है, साहब अब तो देख लो। तभी दलाल किसान पर एहसान जताते हुए आता है और एक मुट्ठी अनाज अपने हाथ मे लेकर बोलता है - “उफ्फ इस बार फिर सी ग्रेड का माल ले आया।” जो भी है साहब ये ही है। ठीक है अभी देखता हूं, 50 रुपये सस्ते में जायेगा पर ये माल। जैसा भी आप सही समझो साहब..!! थोड़ी देर में दलाल आता है और उसका माल उठवाता है..!! “कुल 18क्विंटल माल बैठा है।” पर साहब घर से तो 20क्विंटल तोल कर लाया था...! “तेरे सामने ही तो तोला है, मैं थोड़े ही खा गया 2क्विंटल माल। बता पैसे अभी लेगा या बाद में लेकर जाएगा।” अभी देदो साहब,घर में बहुत जरूरत है। इसमें 5% कमिशन कट गया, 9% मंडी का टैक्स.., 200 रुपए सफाई वाली के.., 1000 रुपये बेलदार के.. 200 रुपये चौकीदार भी मांगेंगे... 500 रुपये की तुलाई लग गई....। “ये ले भाई तेरा सारा हिसाब

लॉक डाउन लाया भुखमरी

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5 साल के राजू को भूख लगी, तो मां ने एक चम्मच आटे को पानी में घोलकर पिला दिया. वहीं पास रहने वाले रामू का परिवार दो दिन से रोटी के 5 टुकड़े कर जैसे-तैसे अपना पेट भर रहा था. 6 महीने के बच्चे की मां ने पिछले दो दिन से कुछ नहीं खाया था, अब तो तन से दूध भी सूख गया था. यह कल्पना नहीं, राजधानी दिल्ली में यमुना खादर के उस हिस्से की हकीकत है, जहां आज भी लोग बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से दूर, शहर से अलग – थलग नदी के बीचों-बीच, टापू पर अपना जीवन बसर कर रहे हैं. यहां पीने का पानी भी 5 किलोमीटर दूर ओखला से कन्टेनरों में भरकर लाया जाता है. बच्चे पढ़ने के लिए स्कूल नाव में बैठकर जाते हैं. मछलियां व सब्जियां बेचने वाले इन मजदूरों के लिए दिल्ली का टोटल लॉकडाऊन भुखमरी लेकर आया. सेवाभारती के प्रांत संगठन मंत्री, शुकदेव जी स्वयंसेवक साथियों व बहनों के साथ, नाव पर राशन, कपड़े, सेनेटरी नैपकिन, दवाइयां, पीने का पानी, लेकर यमुना खादर पहुंचे तो नजारा कुछ यूं था. नाव अभी तो किनारे पर लगी ही थी, कि छोटे से लेकर बड़े, करीब 60-65 लोगों की आंखें उन्हें कुछ पाने की उम्मीद से देख रही थी. बस्ती की झोपड़ियों

नक्सली सप्ताह के दौरान सुरक्षा एजेंसियां सतर्क

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नक्सली-माओवादी 21 सितंबर, सोमवार से अपना स्थापना सप्ताह मना रहे हैं। इस दौरान माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में माओवादी अपनी मौजूदगी दिखाने के लिए कुछ घटनाओं को भी अंजाम देते रहे हैं। इसे देखते हुए माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाबलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। दरअसल 21 सितंबर 2004 में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (एमएल) पीपुल्स वॉर ग्रुप और कम्युनिस्ट सेंटर ऑफ इंडिया के विलय से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की स्थापना की गई थी। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) को भारत सरकार द्वारा उसकी आतंकी गतिविधियों की वजह से आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है। यही माओवादी-नक्सली लगातार प्रभावित क्षेत्रों में आतंक फैलाकर स्थानीय ग्रामीणों को अपना शिकार बनाते हैं। माओवादी-नक्सली सप्ताह शुरू होने की वजह से सुरक्षाबलों द्वारा सर्च ऑपरेशन की भी तैयारी की गई है। नक्सल सप्ताह के दौरान माओवादी ग्रामीण इलाकों में बंद की मांग भी करते हैं। इसके अलावा इसी दौरान ग्रामीणों को संगठन से जुड़ने का दबाव भी बनाया जाता है। माओवादी सड़क में पेड़ गिराकर, काटकर या अन्य तरीकों से मार्ग अवरुद्ध कर अपनी मौजूदगी साबित

नेपाल ने कदम वापिस खींचे

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नेपाल को आई अक्ल? धूर्त चीन के दबाव में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के हिस्से लिपुलेख, कालापानी और लिपियाधुरा को नेपाली संसद द्वारा सर्वसम्मति से अपना बताकर उच्चतर माध्यमिक स्तर तक की पुस्तकों में प्रकाशन करवाने के निर्णय को बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा है!    बदले हालात में लद्दाख सीमा पर भारत की सुदृढ़ स्थिति को देखते हुए एवं विश्व स्तर पर चीन की हो रही किरकिरी को ध्यान में रखकर नेपाल ने अपनी गलती स्वीकारते हुए विवादित नक्शे वाली किताबों पर रोक लगा दी है, एवं उपलब्ध पुस्तकों के वितरण पर भी रोक लगा दी है।       नेपाली मीडिया रिपोर्ट के अनुसार विदेश मंत्रालय और भू-प्रबंधन मंत्रालय ने इस किताब में कई तथ्‍यात्‍मक गल्तियां और अनुचित टिप्पणियां होना स्वीकार करते हुए किताब के प्रकाशन पर रोक लगाना आवश्यक समझा है। कानून मंत्री शिवमाया ने भी कई गलत तथ्‍यों के साथ संवेदनशील मुद्दों पर किताब के प्रकाशन को गलत माना है! नेपाल की आज की कैबिनेट बैठक में शिक्षा मंत्रालय को निर्देश दिये गए हैं, कि कक्षा 9 से 12 तक की पाठ्य पुस्तक की किसी भी किताब को वितरित और मुद्रित नहीं किया जाए। वहीं भूमि सुधार और स

अजेय शक्ति का निर्माण: विचार नवनीत

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   हमारी सदा यही प्रार्थना रही है "सभी सुखी हो, सभी की सदा अनिष्ठ से मुक्ति हो" जबकि वर्तमान का पश्चिम " अधिकतम संख्या का अधिकतम हित" के आदर्श वाक्य से आगे नहीं बढ़ पाया है। हमारा उद्दात आदर्श रहा है, प्राणी मात्र का पूर्ण कल्याण, मातृभूमि, समाज एवं परंपराओं के प्रति श्रद्धा, जो कि राष्ट्र की कल्पना के अंतर्गत आती है जो व्यक्ति में वास्तविक सेवा और बलिदान की भावना को प्रेरित करती है।  राष्ट्रवाद नष्ट नहीं किया जा सकता है और ना ही उसे नष्ट करना चाहिए।   हिंदू समाज की अप्रतिम राष्ट्रीय प्रतिभा के अनुरूप उसे पुनः संगठित करने का पवित्र कर्तव्य जिसके द्वारा हम राष्ट्रों के मध्य सामंजस्य पूर्ण सहयोग चाहते हैं उसका विलोपन नहीं, तथा जिसको राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने ग्रहण किया है न केवल भारत के ही सच्चे राष्ट्रीय पुनरुत्थान का एक कार्यक्रम मात्र है अपितु संसार की एकता एवं मानव कल्याण के स्वप्न को चरितार्थ करने की अनिवार्य पूर्व भूमिका है।  हमारे ऊपर हिंदू समाज को इसलिए स्वस्थ दशा में सुरक्षित रखने का पवित्र कर्तव्य है। भारत के बाहर के संसार ने आत्मा के शास्त्र का अध्ययन