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धर्म संस्कॄति के विषय पदार्थ विज्ञान की कसोटी पर क्यों कसें

धर्म की विषय वस्तु भौतिक पदार्थ नही है फिर भौतिक विज्ञान से उसका तर्क निकलना क्यों? . विज्ञान की विषय वस्तु जगत है भौतिक है मेटीरियल है लौकिक है जबकि धर्म की ब्रह्म।धर्म को हमेशा सिद्ध ही किया जाएगा ये जरूरी नहीं है।ये अनुभूति का विषय है न की सिद्ध करने का।जैसे रदरफोर्ड समेत दुनिया के किसी भी वैज्ञानुक ने इलेक्ट्रोन प्रोटोन नही देखा पर उसके लक्षण देख कर अनुभब किया है इसी प्रकार ब्रह्म है। वो लोग इलेक्ट्रॉन प्रोटोन न्यूट्रॉन को कैसे मान लेते है?? क्या उन्होंने कभी उनको देखा?? फिर हम देखते है कि परमाणु विषयक सभी अवधारणा को नई अवधारणा ध्वस्त कर देती है मतलब पिछली फर्जी थी?? अवज्ञेयनिक?? अन्धविश्वास?? यह जरूरी नही की धर्म के हर विषय को आधुनिक वैज्ञानिक सिद्धात की कसौटी पर कसा जाये और वह भी ऐसा विज्ञान जो स्वयम् स्थिर नही। हर नई अवधारणा पुरानी को गलत अर्थात अन्धविश्वाश सिद्ध करती है। वह समय आ गया जब हम अपने ऋषियों के अनुभूति जन्य ज्ञान विज्ञानं धर्म अध्यात्म की कसोटी पर आधुनिक विज्ञानं को कसें फिर उसे माने । आपका क्या विचार है?????

कविता

सोचो अगर तालिबान न होता आतंकवाद न होता तो क्या मलाला "मलाला" होती। आज पाक सेना को मलाल है अपनी करनी पर। ऐसे ही थोड़े ही मिलता है। शांति का नोबल बहुत मलालाएं खोनी पड़ती है एक शांति के नोबल पर। सत्य की अर्थी से उठकर निज सुख को सुला अर्थी पर कोई सत्यार्थी जब निकलता है। तब जाकर किसी किसी को शांति का नोबल मिलता है।

आखिर बच्चों को क्यों मारा???

आखिर बच्चो को क्यों मारा??? . . पेशावर में पेश हुआ एक अजीब मुकदमा क्यों मारा आतंकियो को पाक की नापाक सेना ने? वादी बने है तालिबानी प्रतिवादी सेना पाकिस्तानी| तुम्ही ने जन्म दिया और पाला पोसा बड़ा किया| जो जो तुमने सिखलाया ध्यान लगाकर सबक लिया| जब जब काम दिया तुमने तन मन से पूर्ण किया हमने| हम सब हैवानो के लिए तो "तुम्ही हो अब्बा अम्मी तुम्ही हो तुम्ही हो मोला मोलवी तुम्ही हो" बस हमको एक बात बतलाओ क्या जिस खिलोने से दुनियां में खेल रहे थे हम अब तक घर में खेल लिए क्या गलत किया? क्या कभी किसी अब्बा ने बच्चे की गलती पर बच्चे को मारा है? क्यों मारा आतंकी को? "आखिर वह भी बच्चा तुम्हारा है।" (मनमोहन मनु)

विजय दिवस

आज विजय दिवस पर जानिए ================== जब 1971 के युद्ध जांबाजों ने भारत को दिलाई जीत... 16 दिसम्बर 1971 का युद्ध साल 1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्‍तान को करारी शिकस्‍त दी, जिसके बाद पूर्वी पाकिस्तान आजाद हो गया, जो आज बांग्लादेश के नाम से जाना जाता है. यह युद्ध भारत के लिए ऐतिहासिक और हर देशवासी के दिल में उमंग पैदा करने वाला साबित हुआ. देश भर में 16 दिसम्बर को 'विजय दिवस' के रूप में मनाया जाता है. वर्ष 1971 के युद्ध में करीब 3,900 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि 9,851 घायल हो गए थे. पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी बलों के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने भारत के पूर्वी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगत सिंह अरोड़ा के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था, जिसके बाद 17 दिसम्बर को 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को युद्धबंदी बनाया गया. युद्ध की पृष्‍ठभूमि साल 1971 की शुरुआत से ही बनने लगी थी. पाकिस्तान के सैनिक तानाशाह याहिया ख़ां ने 25 मार्च 1971 को पूर्वी पाकिस्तान की जन भावनाओं को सैनिक ताकत से कुचलने का आदेश दे दिया. इसके बाद शेख़ मुजीब को गिरफ़्तार कर लिया गया. तब

भारत के एकात्म मानववाद का विश्व में प्रमाण

*हाल ही में कम्बोडिया उत्खनन में अगस्त्य ऋषि के शिलालेख मिले *इंडोनेशिया में आज भी रामलीला होती है। *जापान में भारतीय सन्त धर्मबुद्धि के खिलौने बिकते है। *चीन की गुफाओं में 'सिद्धम् लिपि'उत्कीर्ण मिला *साइबेरियन लोग 'मी जम्बू दीपिन' कहते है। *ईरानी शासक ने वेदों का फ़ारसी अनुवाद के लिए 10 लाख रूपये स्वीक्रत किये। *काबा में काले पत्थर के शिव लिंग के अवशेष है। *जर्मनी में स्वस्तिक सम्माननीय है। 🔆🔆"इस सब का श्रेय भारत का चिंतन एकात्म मानववाद है।"🔆🔆