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मजारो पर क्यों सर पटकते हो

दादू दुनिया बावरी कबरे पूजे ऊत जिनको कीड़े खा चुके उनसे मांगे पूत कब्र मे मुर्दे को खाने वाले कीड़े भी कुछ सालो मे नष्ट हो जाते हैं। परन्तु  हिन्दू उनपर सिर रगड़ते हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में एक शहर है,बहराइच ।बहराइच में हिन्दू समाज का मुख्य पूजा स्थल है गाजी बाबा की मजार। मूर्ख हिंदू लाखों रूपये हर वर्ष इस पीर पर चढाते है। इतिहास का जानकार हर व्यक्ति जानता है,कि महमूद गजनवी के उत्तरी भारत को १७ बार लूटने व बर्बाद करने के कुछ समय बाद उसका भांजा सलार गाजी भारत को दारूल इस्लाम बनाने के उद्देश्य से भारत पर चढ़ आया । वह पंजाब ,सिंध, आज के उत्तर प्रदेश को रोंद्ता हुआ बहराइच तक जा पंहुचा। रास्ते में उसने लाखों हिन्दुओं का कत्लेआम कराया, लाखों हिंदू औरतों के बलात्कार हुए, हजारों मन्दिर तोड़ डाले। राह में उसे एक भी ऐसा हिन्दू वीर नही मिला जो उसका मान मर्दन कर सके। इस्लाम की जेहाद की आंधी को रोक सके। परंतु बहराइच के राजा सुहेल देव पासी ने उसको थामने का बीडा उठाया । वे अपनी सेना के साथ सलार गाजी के हत्याकांड को रोकने के लिए जा पहुंचे। महाराजा व हिन्दू वीरों ने सलार गाजी व उसकी दानवी सेना को मू

क्लास 6 विज्ञान पढ़ाने की शुरुआत

पहले दिन क्लास में जाने के बाद मैंने तय  किया कि कुछ लीक से हट कर किया जाये।मैंने सबसे पहले बच्चो का स्तर पता लगाना ठीक समझा। एक एक बच्चे को मेरे पास बुलाकर पाठ्यपुस्तक का पहला पाठ"भोजन:यह कहाँ से आता है" पढने के लिये कहा।18 बच्चे उपस्थित थे। उसमे से मात्र 4 बच्चे ठीक ठीक पढ़ पाए। मेने डायरी में दर्ज किया कि आधे अक्षरों पर काम करना है। 4 बच्चे ऐसे निकले जिनको थोडा सहारा मिले तो अटक अटक कर पढ़ लेते है। 4बच्चो को "आ"की मात्रा से शुरू करना होगा,लगभग सभी वर्णों को पहचानते है। शेष 6 को तो वर्ण ज्ञान से ही सिखाना होगा।         बच्चो की स्थिति प्रधनाचर्य को बताई ।उनकी व्यंग पूर्ण हंसी और दुसरे लोगो की अरुचि एक बार काम का जोश और जूनून कम कर देती है ऐसा मुझे लगा।

22 वर्ष बाद जब फिर से क्लास 6 को पढ़ने गया।

एक मोटा हाथी झूम के चला। मकड़ी के जल में जा के फंसा। असंभव!!!मगर सत्य?? आजकल मेरी हालत कुछ ऐसी ही है। 24 वर्ष के सेवाकाल में दूसरी बार क्लास 6 को विज्ञान विषय पढ़ने का अवसर मिला। पहली बार1992 में और दूसरी बार 2014 में। प्रवेशगति धीमी होने से कल 10 जुलाई को पहली बार क्लास में गया। पिछले 3 वर्षो से शिक्षक प्रशिक्षणों में सक्रिय प्रशिक्षक और राज्य सन्दर्भ व्यक्ति का दाइत्व भी निभा रहा हूँ सो इस गर्व के साथ और पेडागोगी/शिक्ष्ण तकनीको को याद करते हुए बरामदे में बेठी क्लास6,7,8में से क्लास 6 को तलाश कर पहुचा। वहाँ तो समस्याएं मुँह बाये खड़ी थी। -रोज क्लास 11,12पढ़ता हूँ। ये बच्चे बहुत छोटे लगे। -क्लास बरामदे में -ब्लेक बोर्ड नहीं -15 मेसे कोई बच्चा मेरी तरफ ध्यान ही नही दे रहा जैसे तैसे मेने स्थिति सम्हाली पढ़ना शुरू किया तो दिल धक् से रह गया। यह क्या????? बच्चो को किताब पढना नही आता!!!! 7-8 बच्चो को खड़ा करने पर उन्होंने साफ साफ कह दिया गुरूजी मुझे पढना नही आता??? क्या करूं?? कैसे करूँ?? प्रधानाचार्य तो टाइम टेबल बदलेगा नही। कोई सुझाव हो तो.....