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संघ का विराट दर्शन

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संघ के विराट स्वरूप की एक झलक के लिए अवश्य पूरा पढ़ें। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्र सेवा में बढ़ते कदम- लक्ष्य एक कार्य अनेक कभी अनाम, अनजान, उपेक्षित और घोर विरोध का शिकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में चर्चा एवं उत्सुकता का विषय बना हुआ है।   संघ की इस यात्रा में ध्यान देने योग्य बात है कि कांग्रेस सरकार द्वारा तीन तीन प्रतिबंधों, कभी अत्यंत शक्तिशाली और क्रूर रहे कम्युनिस्टों, ईसाई और इस्लामिक शक्तियों से एक साथ जूझते हुए आगे बढ़ा है। यह चमत्कार  संघ के स्वयंसेवकों की त्याग, तपस्या और बलिदान के चलते ही हो सका है। आज देश- विदेश के अनेक विश्व विद्यालयों में संघ पर शोध हो रहा है। जिस प्रकार गोमुख को देख कर हरिद्वार की विशाल गंगा या छोटे से बीज को देखकर विराट वटवृक्ष की कल्पना भी कठिन होती है वैसे ही विजयदशमी सन 1925 को नागपुर में डॉ. केशव् बलिराम हेडगेवार के साधारण से घर में 15/20 लोगों में प्रारम्भ हुए संघ से आज के विशाल जनांदोलन या राष्ट्रभक्ति के महाअभियान का रूप धारण कर चुके संघ की कल्पना करना भी कठिन है। आज संघ देशभक्तों की आशा तथा देश विरोधियों