🕊️ अहमदाबाद विमान दुर्घटना : जब सपनों का सफर राख में बदल गया लेखक: मनमोहन पुरोहित तिथि: 13 जून 2025 ✈️ कर्णावती की दोपहर जब चुप हो गई 12 जून 2025 , दोपहर 13:40 बजे। एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 , एक बोइंग 787 ड्रीमलाइनर , जब सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से लंदन के लिए उड़ान भर रही थी, तभी नियति ने अपना क्रूर प्रहार किया। प्लेन कर्णावती के मेघाणी नगर इलाके में स्थित BJ मेडिकल कॉलेज के अतुल्य हॉस्टल के पीछे , सिविल अस्पताल के निकट क्रैश हो गया। 🔥 मौत की विभीषिका: तबाही की सूची यात्रियों की संख्या: 242 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली, 1 केनेडियन, 12 क्रू मृत्यु: लगभग 300 घायल: 60+ 📍 नुकसान का ब्यौरा: अतुल्य हॉस्टल पूरी तरह जर्जर सैकड़ों वाहन जलकर राख पोस्टमार्टम हॉल क्षमता से अधिक शवों से भर गया सिविल अस्पताल के तीन केंद्रों में काम जारी: ट्रॉमा सेंटर पोस्टमार्टम यूनिट ओल्ड ट्रॉमा यूनिट 🧑🤝🧑 जब मानवता ने संभाला मोर्चा: स्वयंसेवकों की सेवा जब हर तरफ च...
पाकिस्तान, जो कभी भारत का ही हिस्सा था, अपनी स्थापना से पहले ही भारत के खिलाफ षड्यंत्र रचने लगा था। विभाजन के बाद भी वह अपने "जन्मदाता" भारत को मिटाने के मंसूबे पालता रहा। इन्हीं साजिशों का परिणाम था 1971 का युद्ध, जो केवल 13 दिनों में पाकिस्तान की हार और एक नए देश, बांग्लादेश, के जन्म का कारण बना। लेकिन आज, जिस बांग्लादेश के लिए भारतीय सैनिकों ने बलिदान दिया, वही अब पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत के खिलाफ षड्यंत्र रच रहा है। 1971: दुनिया का सबसे छोटा निर्णायक युद्ध 1971 का युद्ध इतिहास में सबसे छोटे लेकिन निर्णायक युद्धों में गिना जाता है। यह संघर्ष 3 दिसंबर को शुरू हुआ और 16 दिसंबर को समाप्त हुआ, लेकिन इसकी पृष्ठभूमि बहुत पहले से तैयार हो रही थी। 1947 में विभाजन के समय, बंगाल का पूर्वी हिस्सा पाकिस्तान का हिस्सा बना और "पूर्वी पाकिस्तान" कहलाया। लेकिन भाषा और संस्कृति के मतभेद शुरू से ही गहराते गए। पूर्वी पाकिस्तान के बंगाली लोग अपनी भाषा, संस्कृति और पहचान को बनाए रखना चाहते थे, जबकि पाकिस्तान के शासक उन पर उर्दू और अरबी थोपना चाहते थे। 194...
बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रही घटनाएं समस्त सनातनियों के लिए एक गंभीर चुनौती प्रस्तुत करती हैं। जहां जहां हिन्दू कम हुआ वहां वहां इस्लाम का आतंक अराजकता फैलती गई। यह स्थिति हमारे समाज के लिए चिंतन का विषय है, क्योंकि यह उन ऐतिहासिक गलतियों की याद दिलाती है जो गांधी और नेहरू जैसे नेताओं के द्वारा की गई थीं। जब धर्म के आधार पर देश का विभाजन हो गया था तब सम्पूर्ण जनसख्या की अदला बदली हो जानी चाहिए थी। किन्तु जिन नेताओं के प्रति हिंदू समाज ने लंबे समय तक आस्था बनाए रखी, आज उनकी नीतियों के परिणामस्वरूप हिंदू समाज को गंभीर परिणाम भुगतने पड़े हैं। जिन क्षेत्रों अफगानिस्तान और पाकिस्तान में हिंदू समुदाय लगभग समाप्त हो गया, और बांग्लादेश में भी यह संख्या 33% से घटकर मात्र 7% रह गई है। यह एक ऐसा आंकड़ा है जो समाज को झकझोर देता है। स्थितियां यहां तक ही नही रुक रही है। भारत के अनेक राज्यो में हिन्दू अल्प संख्यक हो गया है। सीमावर्ती अनेक जिले है जो जहां से हिन्दू विलुप्त हो रहा है। आज दुनिया भर में इजरायल द्वारा फिलिस्तीनियों के खिलाफ की गई कार्रवाई पर आवाज उठाने वाले इ...
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