चिंता बढ़ाती मॉरीशस की जलयान की दुर्घटना

लगभग 1 माह पूर्व 25 जुलाई 


2020 को मॉरीशस के तट के निकट जापानी जहाज एम बी वकाशियो  की दुर्घटना ने पर्यावरण विदों की चिंता बढ़ा दी है। बताया जाता है कि इस जहाज में 4000 टन कच्चा तेल था। जहाज की एक चट्टान से टक्कर के बाद करीब 800 टन तेल समुद्र में फैल गया। जहाज के भारतीय कप्तान सुनील पर लापरवाही के आरोप लगे हैं।
हालांकि इससे पूर्व विश्व में इससे भी बड़ी बड़ी दुर्घटनाएं हुई है। जिसमें मेक्सिको में हुई दुर्घटना में 4लाख टन तेल का रिसाव हुआ था। फिर भी उसकी तुलना में यह दुर्घटना पर्यावरण  की दृष्टि से चिंता 10 गुना अधिक बढ़ा देती है। मॉरीशस के प्रधानमंत्री जगन्नाथ पर भी इस तेल की सफाई अभियान में शिथिलता बरतने और आम जनता को इस सहायता से दूर रखने के आरोप लग रहे हैं। सरकार ने तट पर जाने से आम जनता पर रोक भी लगा दी है। प्रधानमंत्री का कहना है कि कच्चे तेल में पाए जाने वाले रसायन आम जनता के लिए हानिकारक है। इसलिए उन्हें स्वास्थ्य कारणों से रोका गया है।
इस दुर्घटना से पर्यावरणविदों की चिंता इस कारण भी बढ़ जाती है कि इसके नजदीक ही 2 संरक्षित समुद्री इकोसिस्टम है और ब्लू बे मरीन पार्क रिजर्व भी स्थित हैं जो अंतरराष्ट्रीय महत्व का है। हिन्दमहासागर में इस तथ्य के बारे में सब लोग ही जानते होंगे, अधिकांश लोगो ने बॉलीवुड फिल्मों में नीले रंग के जल वाले समुद्र के तट को अवश्य देखा होगा। यह मॉरीशस का वहीं तक है, जहां पर हादसा हुआ। वर्तमान में वहां पर तेल के कचरे की मोटी परत जम गई है। जिस कारण वहां का पानी काला अथवा भूरा दिखाई दे रहा है। यहां एकदम साफ व सुंदर नीला जो समुद्री  दिखाई देता है यह मॉरीशस का तटीय गांव मेहेबर्ग है इसके आसपास हरे रंग की लैगून हैं। इस कारण इस कारण विशिष्ट दिखाई देता है।
सेटेलाइट चित्र में तेल का रिसाव पॉइंट D एसनिके मैनलैंड पर  फैला हुआ दिखाई देता है। यहां पर आश्चर्यजनक रूप से जैव विविधता का अत्यधिक विकास हुआ है। यहां पौधे और जंतुओं की कुल मिलाकर 1700 से अधिक प्रजातियां रहती है। इनमें से आठ सौ से अधिक मछलियों की प्रजातियां रहती है। कोरल चट्टानों से भरा यह तट हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का उत्कृष्ट स्थान है। यहां पर 17 समुद्री स्तनधारी रहते हैं तथा दो कछुआ जातियां भी यहां पर पाई जाती है। कोरल रीफ समुद्री घास और मैंग्रोव वनस्पति इसे बहुत समृद्ध बनाते हैं । इनके कारण ही यहां तूफान अधिक तीव्रता से नहीं आते तथा तट का कटाव भी कम होता है । अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट के मुताबिक विश्व में 1000000 जीव प्रजातियां विलुप्त के खतरे में है। इस दुर्घटना ने कोढ़ म् खाज का काम किया है।
हालांकि जापान ने इसकी सफाई के लिए सहायता की है। भारत ने भी सहायता के लिए अपना एक क्रू भेजा है। किंतु स्थानीय लोगों का मानना है कि जो तेल पानी में मिल गया वह अवश्य हानिकारक होगा। हाल ही में वहां 13 डॉल्फिन मरी हुई मिली है। जिन की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आनी बाकी है।  मॉरीशस सरकार से आग्रह है कि पर्यावरण विदों की चिंता को ध्यान में रखते हुए इस सफाई कार्य में तेजी लाकर वैश्विक पर्यावरण में अपना महत्वपूर्ण और सक्रिय योगदान दें। यह उनकी जिम्मेदारी भी है।
लेखक
मनमोहन पुरोहित (मनुमहाराज)
7023078881
फलोदी राजस्थान

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