दीनदयाल उपाध्याय जयंती पर विशेष




एक बार भोजन के बाद दीनदयाल जी का हाथ साफ करवाते हुए, एक स्वयंसेवक ने पूछा ?दीनदयाल जी इस बार संसद में आपके कितने लोग जीतकर आ रहे हैं ?दीनदयाल जी ने उत्तर दिया जितनी सीटें हैं संसद में उतने ही लोग मेरे जीतकर आ रहे हैं। स्वयंसेवक ने आश्चर्यजनक नजरों से उनकी तरफ देखा!
पुनः पंडित दीनदयाल जी उपाध्याय ने कहा हां सभी अपने ही तो है, सभी भारत के हैं !
यदि तुम्हारा मतलब जनसंघ से कितने सांसद जीतेंगे ?
तो मेरा उत्तर है 15 से 20
ऐसे थे हमारे पंडित जी!
भारत में तीन उपचुनाव हुए एक पर खड़े थे कृपलानी दूसरे पर लोहिया तीसरे पर दीनदयाल जी। यह तीनों विपक्ष के उम्मीदवार कांग्रेस के सामने थी।
दीनदयाल जी का चुनाव क्षेत्र था जौनपुर वहां पर जातिवाद फैलाया गया जन संघ के कार्यकर्ताओं ने कहा हम भी आपके नाम के आगे पंडित लगाकर लोगों को कहेंगे आप ब्राह्मण हैं। दीनदयाल जी ने कहा यदि ऐसा प्रचार हुआ तो मैं तुरंत चुनाव क्षेत्र छोड़ दूंगा! और जीत भी गया तो इस्तीफा दे दूंगा।
मेरा प्रचार केवल दीनदयाल नाम से करें, फल स्वरूप कृपलानी जी और लोहिया जी जीते दीनदयाल जी चुनाव हार गए।
एक बार संघ का एक शीत शिविर लगा हुआ रात को 2:00 बजे अपने बेडिंग के साथ जिसे होल्डॉल भी कहते हैं दीनदयाल जी आए। रक्षा में खड़े एक स्वयंसेवक ने कहा जीवन में कोई अनुशासन है या नहीं ?
मर्जी आए तब चले आते हैं, अभी अधिकारी सो रहे हैं।
आपके पद वेस की आवाज आ रही है उनकी नींद खुल जाएगी, चुपचाप अपना बिस्तर यहीं पर लगाओ !और सवेरे सीटी अर्थात बिसिल बजने पर अपने आवास में चले जाना जिस जिले से आए हो जिले का नाम श्यामपट्ट पर अंकित है सो जाओ।
सवेरे परम पूजनीय गुरुजी जब भ्रमण में निकले तो देखा सुरक्षा वालों के टेंट के पास दीनदयाल जी जैसा बिस्तर लगा हुआ है! गुरुजी आए ठंड के दिन थे देखा चद्दर हटाकर पंडित जी गहरी नींद में सो रहे थे।
गुरु जी ने उनको जगाया नमस्कार हुआ, गुरुजी ने विनोद में कहा कैसा लगा पंडित जी अधिकारी कक्ष।
पास में खड़े रक्षा के स्वयंसेवक सर झुकाए खड़े थे, उन्होंने गुरुजी को कहा इन्होंने बताया नहीं कि यह पंडित दीनदयाल उपाध्याय है।
गुरु जी ने कहा अब तो इनका विस्तर ले जाओ।

ऐसे थे हमारे पंडित जी जो असमय में कुछ बड़े दलों के षड्यंत्र के शिकार हो गए और हमसे बिछड़ गए ऐसे पंडित जी को जन्मदिन पर सच्ची श्रद्धांजलि होगी कि उनकी सुचिता सरलता विवेक प्रज्ञा देश भक्ति पर हमें भगवान चलना सिखाए।

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