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सितंबर 27, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अटल टनल का शुभारंभ

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चित्र साभर: पंजाब केसरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में दुनिया की सबसे लंबी सुरंग 'अटल टनल' का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने इस दौरान बताया कि कैसे अटल टनल के काम में तेजी लाकर 26 साल के काम को छह साल में पूरा किया गया। उन्होंने उद्घाटन के दिन को ऐतिहासिक बताया। कहा कि आज सिर्फ अटल जी का ही सपना पूरा नहीं हुआ है, बल्कि हिमाचल प्रदेश के करोड़ों लोगों का दशकों पुराना इंतजार खत्म हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि साल 2002 में अटल जी ने इस टनल के लिए अप्रोच रोड का शिलान्यास किया था। अटल जी की सरकार जाने के बाद, जैसे इस काम को भी भुला दिया गया। हालात ये थे कि साल 2013-14 तक टनल के लिए सिर्फ 1300 मीटर का काम हो पाया था। एक्सपर्ट बताते हैं कि जिस रफ्तार से 2014 में अटल टनल का काम हो रहा था, अगर उसी रफ्तार से काम चला होता तो ये सुरंग साल 2040 में जाकर पूरा हो पाती। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "आपकी आज जो उम्र है, उसमें 20 वर्ष और जोड़ लीजिए, तब जाकर लोगों के जीवन में ये दिन आता, उनका सपना पूरा होता। जब विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ना हो, ...

नैतिक लड़खड़ाहट का कोई इलाज नहीं!

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शारीरिक रूप से गिरा हुआ व्यक्ति तो उठ सकता है किंतु नैतिक रूप से गिरा हुआ न उठ सकता है न हिल सकता है। क्योंकि नैतिक लड़खड़ाहट व्यक्ति के संवेदनात्मक ठिये को इतना क्षतिग्रस्त कर देती है कि निदान दुःसाध्य बनकर रह जाता है। आज प्रदेश और देश में यही लड़खड़ाहट शाया हो रही है। जो लोग हाथरस घटना पर राजस्थान में ज्ञापन देना चाहते हैं उन लोगों की नींद अपने ही राज्य में घटी घटनाओं से क्यों नहीं उड़ी। वे लोग अजमेर व सिरोही की घटनाओं पर मुँह में मूंग भरकर क्यों बैठे है? अपने-अपने जिले की कलेक्ट्री में जाकर देते क्यों नहीं ज्ञापन,राजस्थान सरकार की नाकामियों के खिलाफ! क्यों नहीं करते आंदोलन बंगाल के कांडों पर। क्यों सुनाई नहीं देती उन्हें ऑनर किलिंग से उपजी चीखें! बांसवाड़ा गैंग रेप पर राज्य सरकार से जवाब मांगने के बजाए हाथ मे चूड़ियां डालकर प्रदेश सरकार के वारणे क्यों लिये जा रहे है? आखिर झोल क्या है? क्या राजनीति का स्याह धूम्र इतना फैल चुका है कि सही-गलत, नैतिक-अनैतिक सब गड्डमड्ड हो गया है? या अस्मितावाद के घटाटोप ने प्रज्ञा को आवृत कर दिया है? किस बिना पर वितंडा का रातिब परोसा जा रहा है? मैंने पहले भी ल...

गांधी को गांधी ब्रांड से बचाना आज की चुनौती है

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महात्मा गांधी अब एक ब्रांड बन चुके हैं, समय के साथ महात्मा धुँधला होता जा रहा है और पीछे परिवार शब्द जुड़ गया है। बोले तो गांधी परिवार। हमें नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देना चाहिए कि वे इसे फिर से प्रासंगिक बना रहे हैं अन्यथा 1948 के बाद गांधीवाद धीरे से नेहरूवाद में समा चुका था। नोटों पर उनके चेहरे से लोग पहचान लेते हैं और कतिपय पुराने कांग्रेसी, सर्वोदयी, खादी भंडार या सरकारी लायब्रेरी में उनकी पुस्तकें मिल जाती हैं, सरकारी कार्यालयों में चित्र और सरकारी आयोजनों में उन पर कुछ भाषण वगैरह!! सोशल मीडिया की दुनिया में उन पर लेखों से ज्यादा चुटकुले हैं। कभी वामपंथियों ने ही कहा था कि सोशल मीडिया ही जनता की असली आवाज है और वास्तविक जनसंवाद भी यही है। यह वह समय था जब सर्वत्र उनकी तूती बोलती थी। खैर सोशल मीडिया पर विषैला_वामपंथ बहस के जनसंवाद बनते ही, आज वे (वामी) खुद ही रूठकर जा रहे हैं और कमेंटबॉक्स बन्द कर दिए हैं। अभी जो भी गांधीजी पर लिखा बोला जा रहा है, वह सब टेक्निकल फॉर्मलटी है, नहीं लिखा तो लोग क्या सोचेंगे, ऐसी भावना के साथ, न कि मन से, .... श्रद्धा से कोई भी गांधी दर्शन को न पढ़ता है...

मोदी सरकार -1 के गिनाए जा सकने वाले काम

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BJP भाजपा के एक नहीं, ८०+ काम जो गिनाए जाने चाहिए कृपया भारत से प्यार करनेवाले और भारत का विकास चाहने वाले इसे पूरा अवश्य पढ़ने का प्रयास करें। १. देश का सबसे बड़ा "सरदार सरोवर बांध" को सफलता पूर्ण संपूर्ण कराया, जिसे लौह पुरुष पटेल के नाम से बनने के कारण ६५ वर्षों से अटकाया गया था! २. देश का सबसे लम्बा "भूपेंद्र हजारिका सेतु" ९.१५ किलोमीटर को बना कर पूरा किया, जिसे पिछली सरकारने चीन के डर से रोक रखा था! ३. देश की सबसे लम्बी "चनानी-नौशेरा सुरंग" बना कर पूरी की, जिसे पिछली सरकार ने अटका रखा था! ४. विश्व की सबसे ऊंची रेल्वे ब्रिज चिनाब नदी पर बनाई, जिसका काम २००८ से रोका गया था! ५. "वन रेंक, वन पेंशन" सेना को उसका हक दिलवाया, हर वर्ष ₹४०, ००० करोड. जिसे पिछली सरकार ४५ वर्षों से छल रही थी! ६. २०१४ से पहले मात्र तीन शहरों में मेट्रो आम जनता के लिये चलता था, और २०१४ से २०१९ के बीच मुम्बई, चेन्नई, जयपूर, कोच्चि, हैदराबाद, लखनऊ, अहमदाबाद, नागपूर, में भी मेट्रो ट्रेन जनता के लिये बनाकर खोल दिये गये हैं! ७. मेट्रो ट्रेन का रुट २०१४ में २५० किलोमीटर था! अब...

चर्च द्वारा किये जा रहे धर्मातंरण के विरुद्ध जनजातीय समाज का शंखनाद, बड़े आंदोलन की कर रहा तैयारी

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यह एक आश्चर्य की ही बात है कि छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े जनजातीय क्षेत्र बस्तर संभाग में हजारों की संख्या में जनजातीय ग्रामीण अपने संस्कृति, सभ्यता, परंपरा और अधिकारों की रक्षा के लिए सड़कों में उतरे हुए हैं और इस पर कोई चर्चा नहीं हो रही है। छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में जनजातीय समाज ने समाज के भीतर ईसाई मिशनरियों द्वारा किए जा रहे धर्मांतरण के खिलाफ शंखनाद कर लिया है। बीते 5 दिनों से कोंडागांव जिले में जनजातीय समाज के नागरिकों द्वारा सड़क पर जमकर प्रदर्शन किए गए हैं। जनजातीय समाज ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्म परिवर्तन के जाल के खिलाफ प्रशासन और सरकार को स्पष्ट चेतावनी दे रहा है। दरअसल यह पूरा क्षेत्र जनजातीय बहुल क्षेत्र है। यहां पिछले कुछ दशकों में ईसाई मिशनरियों द्वारा स्थानीय जनजातीय ग्रामीणों को बहला-फुसलाकर उनका धर्मांतरण कराया जा रहा है। इस वजह से ना सिर्फ जनजातीय समाज की वर्तमान पीढ़ी अपने रीति-रिवाजों और परंपराओं से कट रही है बल्कि एक ऐसी सभ्यता का अनुसरण कर रही है जो उनकी अपनी नहीं है। इसके अलावा अलग-अलग समय में मिशनरियों पर जनजाति समाज के ऐतिहासिक संस्कृतियों और परंपराओं को अपमा...