नेपाल ने कदम वापिस खींचे






नेपाल को आई अक्ल?

धूर्त चीन के दबाव में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के हिस्से लिपुलेख, कालापानी और लिपियाधुरा को नेपाली संसद द्वारा सर्वसम्मति से अपना बताकर उच्चतर माध्यमिक स्तर तक की पुस्तकों में प्रकाशन करवाने के निर्णय को बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा है!

   बदले हालात में लद्दाख सीमा पर भारत की सुदृढ़ स्थिति को देखते हुए एवं विश्व स्तर पर चीन की हो रही किरकिरी को ध्यान में रखकर नेपाल ने अपनी गलती स्वीकारते हुए विवादित नक्शे वाली किताबों पर रोक लगा दी है, एवं उपलब्ध पुस्तकों के वितरण पर भी रोक लगा दी है। 

     नेपाली मीडिया रिपोर्ट के अनुसार विदेश मंत्रालय और भू-प्रबंधन मंत्रालय ने इस किताब में कई तथ्‍यात्‍मक गल्तियां और अनुचित टिप्पणियां होना स्वीकार करते हुए किताब के प्रकाशन पर रोक लगाना आवश्यक समझा है। कानून मंत्री शिवमाया ने भी कई गलत तथ्‍यों के साथ संवेदनशील मुद्दों पर किताब के प्रकाशन को गलत माना है! नेपाल की आज की कैबिनेट बैठक में शिक्षा मंत्रालय को निर्देश दिये गए हैं, कि कक्षा 9 से 12 तक की पाठ्य पुस्तक की किसी भी किताब को वितरित और मुद्रित नहीं किया जाए। वहीं भूमि सुधार और सहकारिता मंत्री जनक राज जोशी ने भी शिक्षा मंत्रालय के पास नेपाल के भौगोलिक क्षेत्र को बदलने के अधिकार पर प्रश्न चिन्ह खड़े करते हुए पुस्तक में हुई तथ्यात्मक भूलों को सुधारने के निर्देश सम्बंधित अधिकारियों को दिये है।
            
             -गंगा सिंह राजपुरोहित

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