भगवान शिव के धनुष पिनाक के नाम पर बनी स्वदेशी पिनाका गाइडेड मिसाइल का परीक्षण सफल।




✍ पाकिस्तान एवं चीन से भारत को मिल रही चुनौतियों के बीच भारत सरकार आयुध-रक्षा प्रणालियों के स्वदेश में उत्पादन पर जोर दे रही है। इसी क्रम में डीआरडीओ ने अपनी पिनाका मिसाइल को उन्नत करके नए मिसाइल सिस्टम का गत माह राजस्थान में पोकरण स्थित फील्ड फायरिंग रेंज में परीक्षण किया जो पूरी तरह से सफल रहा।

✍पिनाका मिसाइल सिस्टम को उन्नत बनाने के लिये इसमें #
पहली बार एडवांस्ड नेवीगेशन सिस्टम तथा कन्ट्रोल सिस्टम लगाये गये हैं। इनकी सहायता से अब यह अपने लक्ष्य को पहचानकर एकदम सटीक प्रहार करने में सक्षम हो गई है। 
वर्तमान परीक्षण में यह अपने दोनों मानकों पर खरी उतरी है।

✍डीआरडीओ द्वारा विकसित पिनाका मिसाइल सिस्टम की मारक क्षमता पहले चरण में 40 किमी थी, जिसे बढ़ाकर 75 किमी की गई। नए संस्करण में मारक क्षमता 120 किमी तक बढ़ाना प्रस्तावित है।



✍पिनाका मिसाइल सिस्टम विशेष प्रकार के ट्रक पर लगा होता है, इसकी 44 सैकण्ड में 12 गाइडेड राकेट दागने की क्षमता है।
 
✍इन मिसाइलों का उत्पादन डीआरडीओ से तकनीकी हस्तांतरण अनुबंध के तहत निजी कम्पनी द्वारा किया जा रहा है। 

भगवान_शिव_का_धनुष_पिनाक :




🙏भगवान शिव ने जिस धनुष को बनाया था उसकी टंकार से ही बादल फट जाते थे और पर्वत हिलने लगते थे। 
ऐसा लगता था मानो भूकंप आ गया हो। यह धनुष बहुत ही शक्तिशाली था।

🙏इसी के एक तीर से त्रिपुरासुर की तीनों नगरियों को ध्वस्त कर दिया गया था। इस धनुष का नाम पिनाक था।

🙏देवी और देवताओं के काल की समाप्ति के बाद इस धनुष को #
देवरात को सौंप दिया गया था।

🙏उल्लेखनीय है कि राजा दक्ष के यज्ञ में यज्ञ का भाग शिव को नहीं देने के कारण भगवान शंकर बहुत क्रोधित हो गए थे और उन्होंने सभी देवताओं को अपने पिनाक धनुष से नष्ट करने की ठानी। एक टंकार से धरती का वातावरण भयानक हो गया। बड़ी मुश्किल से उनका क्रोध शांत किया गया, तब उन्होंने यह धनुष देवताओं को दे दिया।

🙏देवताओं ने राजा जनक के पूर्वज देवरात को दे दिया। राजा जनक के पूर्वजों में निमि के ज्येष्ठ पुत्र देवरात थे। शिव-धनुष उन्हीं की धरोहरस्वरूप राजा जनक के पास सुरक्षित था। इस धनुष को भगवान शंकर ने स्वयं अपने हाथों से बनाया था। उनके इस विशालकाय धनुष को कोई भी उठाने की क्षमता नहीं रखता था। लेकिन भगवान राम ने इसे उठाकर इसकी प्रत्यंचा चढ़ाई और इसे एक झटके में तोड़ दिया। भगवान राम महादेव का विशेष सम्मान करते है ।

आज हमारे अस्त्र व शस्त्र भी हमारे पूर्वजो के अस्त्रो -शस्त्रो के नाम पर बनाए जा रहे है, हर सनातनी को इस पर गर्व होना चाहिए।

साभार- पाथेय कण सितम्बर 20
सत्य सनातन धर्म की जय हो।

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