विजयादशमी पर विशेष: सांस्कृतिक राष्ट्रभाव की ओर बढ़ता भारत का मूल समाज

जड़ों की तरफ बढ़ते कदम- वर्तमान में भारत अपनी जड़ों की तरफ कदम बढ़ा चुका है। भारत अपने उस अतीत की ओर जो गौरवशाली है, उस अतीत की ओर जो वैभवशाली है लौट रहा है। आज उन करोड़ों भारतीयों का जीवन उद्देश्य साकार रूप ले रहा है, जो परतंत्रता के काल में सैकड़ों वर्षो के दौरान इस वैभवशाली स्थिति को प्राप्त करने के लिए संघर्षरत रहे है। भारत आज पुनः भारतवर्ष बनने की ओर कदम बढ़ा चुका है। भारत की सर्वांगीण सुरक्षा, स्वतंत्रता और विकास के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास प्रारंभ हो रहे हैं। वास्तव में इस सबके लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 1925 से अविरत कार्यरत है। इस दिशा में अपनी स्थापना दिवस विजयादशमी के अवसर पर संघ प्रतिवर्ष एक कदम और आगे बढ़ जाता है। संघ राष्ट्र जागरण का एक मौन सशक्त आंदोलन बन चुका है। संघ स्वयंसेवकों का प्रखर राष्ट्रवाद आज भारत के कोने कोने में देश प्रेम, समाजसेवा, हिंदू जागरण और राष्ट्रीय चेतना की अलख जगा रहा है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैले विशाल हिंदू समाज के प्रत्येक पंथ, जाति, वर्ग के अनुयायियों की सम्मिलित विजयशालिनी शक्ति के आज जो दर्शन हो रहे हैं, उसके पीछे संघ का ही अथक, अविरत पर...