एक घुमक्कड़ फक्कड़

Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) #यहाँ_दीपक_नहीं_जीवन_जलते_हैं... आज जो लिख रहा हूँ... मुझे अपने पर विश्वास नहीं कि इन संवेदनाओं को शब्द दे भी पाऊँगा या नहीं..?? इसीलिए केवल पढ़ने से समझ नहीं आएगा.. और महसूस करने पर कुछ शेष नहीं रहेगा...!! क्योंकि शब्द विचारों को व्यक्त कर सकते हैं किंतु संवेदनाओं को नहीं..!! लेकिन यदि ईश्वर है तो आज मेरी सहायता ज़रूर करेगा। हमारे साथ ही एक प्रचारक हैं “फक्कड़”... जो कुछ हैं इसी नाम की तरह ही हैं। (संघ का प्रचारक अविवाहित रहता है, संघ जहाँ और जिस काम में भेजता है.. अपने पूरे सामर्थ्य से वही काम करता है) हमेशा हँसता, खिल-खिलाता... निश्छल व्यक्तित्व.. निराशा भरे वातावरण में आशा और साहस भरने वाला साहचर्य.. जीवंतता की प्रतिमूर्ति.. अल्हड़पन और मौज में उनका कोई सानी नहीं...!! अपने माता-पिता के एकलौते पुत्र, माँ का कुछ समय पहले कैन्सर से लड़ते-लड़ते देहावसान हो गया..पिताजी मानसिक पीड़ा के शिकार। घर में कोई देखरेख करने वाला नहीं... सब भगवान भरोसे...!!! कुछ दिनों पहले अपनी प्रचारक टोली के साथ ही कहीं घूमने गये थे। धार्मिक स्थल पर गये.. इसलिए पहुँचते ही एक पंड...