संदेश

सितंबर 15, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

भारत में अब कोई कानून नही बनता जिसमे "जम्मू कश्मीर को छोड़कर" लिखा हो।

चित्र
कभी आतंकवाद के गढ़ के रूप में जाने जाने वाले अनंतनाग, पुलवामा, त्राल और शोपियां जैसे क्षेत्रों में आज हालात बदल चुके हैं। इन क्षेत्रों में शांतिपूर्ण मतदान हो रहा है, जो इस बात का प्रमाण है कि कश्मीर घाटी में स्थितियाँ सामान्य हो रही हैं और वहां के लोग अब लोकतांत्रिक प्रक्रिया में उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं। यह वही क्षेत्र हैं जो कभी आतंकवाद और अलगाववाद के कारण चर्चा में रहते थे, लेकिन अब वहाँ के लोग भी विकास और शांति की चाहत में हैं। श्यामा प्रसाद मुखर्जी के 'एक देश, एक विधान, एक प्रधान' के संकल्प को पूरा करने की दिशा में भाजपा ने धारा 370 और 35A को हटाकर एक ऐतिहासिक कदम उठाया। यह धारा जम्मू-कश्मीर के लिए विशेषाधिकार प्रदान करती थी, जिसके चलते वहां का अलगाववादी और उग्रवादी तत्व मजबूत होता गया था। इन धाराओं के हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर में न केवल शांति और स्थिरता आई है, बल्कि वहां के लोग भी मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं। इससे पहले, जब भी कोई राष्ट्रीय कानून बनता था या प्रस्ताव पारित होता था, तो उस पर लिखा होता था, "जम्मू-कश्मीर को छोड़कर।" यह एक असमानत...