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खगोलविज्ञान और ज्योतिषी के ज्ञाता थे महर्षि वाल्मीकि

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भारत वर्ष ॠषि, मुनियों, महर्षियों की जन्म भूमि एवं देवी-देवताओं की लीला भूमि है। हमारी सनातन संस्कृति विश्व मानव समुदाय का मार्गदर्शन करती है, यहाँ वेदों जैसे महाग्रंथ रचे गए तो रामायण तथा महाभारत जैसे महाकाव्य भी रचे गये, जिनको हम द्वितीयोSस्ति कह सकते हैं क्योंकि इनकी अतिरिक्त विश्व में अन्य कोई महाकाव्य नहीं रचे गये जो जन-जन तक प्रसारित हुए तथा आज भी जन-जन में लोकप्रिय हैं। ऐसे ही एक महाकाव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि हुए हैं। महर्षि वाल्मीकि को आदिकवि कहा जाता है क्योंकि वाल्मीकीय रामायण संस्कृत साहित्य का एक आरम्भिक महाकाव्य है जो संस्कृत भाषा में अनुष्टुप छन्दों में रचित है। इसमें श्रीराम के चरित्र का उत्तम एवं विस्तारित विवरण काव्य रूप में किया गया है। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित होने के कारण इसे ‘वाल्मीकीय रामायण’ कहा जाता है।  वर्तमान में राम के चरित्र पर आधारित जितने भी ग्रन्थ उपलब्ध हैं उन सभी का मूल महर्षि वाल्मीकि कृत ‘वाल्मीकीय रामायण’ ही है। ‘वाल्मीकीय रामायण’ के प्रणेता महर्षि वाल्मीकि को ‘आदिकवि’ माना जाता है। महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर संस्कृत के इस आदि क...

क्या डॉ भाभा भी सुभाष चंद्र बोस की तरह किसी षड्यंत्र के शिकार हुए थे!!!

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केवल राजनेताओं की जयंतिया याद रखने वाले हे मेरे परम सम्मानीय देशवासियों!!  आज देश की एक महान विभूति की जयंती है जिनकी प्रतिभा एवं दूर दृष्टि के कारण ही आज हम ना केवल परमाणु शक्ति संपन्न है वरन दुनिया की आंख से आंख मिलाकर बात करने का दम भी रखते हैं। आज भारत के परमाणु कार्यक्रम के जनक संस्थापक स्वप्न द्रष्टा डॉ होमी जहांगीर भाभा का जन्मदिन है। उनके जन्मदिन के अवसर पर आज जानिए उनके व्यक्तित्व की (होमी जहांगीर भाभा की) अनसुनी बातें। भारत के महान परमाणु वैज्ञानिक डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 को मुंबई के एक समृद्ध पारसी परिवार में हुआ था। उन्हें भारत के परमाणु उर्जा कार्यक्रम का जनक कहा जाता है।  उन्होंने देश के परमाणु कार्यक्रम के भावी स्वरूप की मजबूत नींव रखी जिसके चलते भारत आज विश्व के प्रमुख परमाणु संपन्न देशों की पंक्ति में आगे खड़ा है। उन्होंने जेआरडी टाटा की मदद से मुंबई में ‘टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च’ की स्थापना की और वर्ष 1945 में इसके निदेशक बने। देश के आजाद होने के बाद उन्होंने दुनिया भर में रह रहे भारतीय वैज्ञानिकों से भारत लौटने की अपील की थी। वर्ष...

सऊदी का भारत को दीपावली गिफ्ट

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सऊदी अरब ने भारत को दीपावली का सबसे शानदार उपहार दे दिया है। इस उपहार को लेकर सारी दुनिया हैरानी में पड़ गई है। यह भारत की कूटनीतिक विजय की श्रंखला की एक और कड़ी है। दरअसल सऊदी ने पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए कश्मीर (POK) और गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान के नक्शे से हटा दिया है। इस नक्शे को लेकर भारत में बहुत प्रसन्नता है। लेकिन पड़ोसी देश इस पर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। इस नक्शे को लेकर POK कार्यकर्ता अमजद अयूब मिर्जा ने ट्वीट पर नक्शे की तस्वीर भी ट्वीट की है। सऊदी अरब ने 21-22 नवंबर को जी-20 शिखर सम्मेलन के आयोजन के तहत बैंकनोट पर प्रदर्शित विश्व मानचित्र में गिलगित-बाल्टिस्तान और कश्मीर को पाकिस्तान के हिस्सों के रूप में नहीं दिखाया है। यह नक्शा पाकिस्तान के अपमान रूप में सऊदी ने पेश किया है। जानकारी के लिए बता दें कि पूर्व में भारत ने गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव पर आपत्ति जताई थी। इसी तरह से पाक अक्सर हर मंच पर कश्मीर मुद्दा उठाता है। लेकिन हर बार भारत की सरकार एक ही बात कहती है कि- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, तथाकथित गिलगित और बाल्टिस्तान सहित, भारत का एक अभिन्न हिस्सा ...

करपात्री महाराज ने इंदिरा गांधी को क्यों श्राप दिया?

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भारतीय इतिहास में संसद भवन पर पहला हमला! हमलावर साधु संत! गौ रक्षक! जिस तरह से तुम ने साधु संतों पर गोलियाँ चलवायी हैं, ठीक इसी तरह से एक दिन तुम भी मारी जाओगी।  - स्वामी करपात्री द्वारा इंदिरा गांधी को दिया श्राप दिन - 7 नवम्बर 1966 मृतक संख्या - 10? 250? 375? 2500? या ज़्यादा? आइए जानते हैं भारतीय इतिहास की इस महत्वपूर्ण तारीख़ का जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है। राजीव, इंदिरा और संजय गांधी, प्रश्न में जिन तीनों की मौत का ज़िक्र किया गया है, वो हैं इंदिरा गांधी व उनके दोनों पुत्र संजय गांधी ऐंव राजीव गांधी। जानते हैं पहले करपात्री महाराज को।, स्वामी करपात्री (1907 - 1982) भारत के एक तत्कालीन सन्त, प्रकाण्ड विद्वान्, गोवंश रक्षक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं राजनेता थे। उनका मूल नाम हरि नारायण ओझा था, किन्तु वे "करपात्री" नाम से ही प्रसिद्ध थे क्योंकि वे अपने अंजुली का उपयोग खाने के बर्तन की तरह करते थे। धर्मशास्त्रों में इनकी अद्वितीय एवं अतुलनीय विद्वता को देखते हुए इन्हें 'धर्मसम्राट' की उपाधि प्रदान की गई। इंदिरा गांधी और स्वामी करपात्री, 1965 से भारत के ...