खगोलविज्ञान और ज्योतिषी के ज्ञाता थे महर्षि वाल्मीकि

भारत वर्ष ॠषि, मुनियों, महर्षियों की जन्म भूमि एवं देवी-देवताओं की लीला भूमि है। हमारी सनातन संस्कृति विश्व मानव समुदाय का मार्गदर्शन करती है, यहाँ वेदों जैसे महाग्रंथ रचे गए तो रामायण तथा महाभारत जैसे महाकाव्य भी रचे गये, जिनको हम द्वितीयोSस्ति कह सकते हैं क्योंकि इनकी अतिरिक्त विश्व में अन्य कोई महाकाव्य नहीं रचे गये जो जन-जन तक प्रसारित हुए तथा आज भी जन-जन में लोकप्रिय हैं। ऐसे ही एक महाकाव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि हुए हैं। महर्षि वाल्मीकि को आदिकवि कहा जाता है क्योंकि वाल्मीकीय रामायण संस्कृत साहित्य का एक आरम्भिक महाकाव्य है जो संस्कृत भाषा में अनुष्टुप छन्दों में रचित है। इसमें श्रीराम के चरित्र का उत्तम एवं विस्तारित विवरण काव्य रूप में किया गया है। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित होने के कारण इसे ‘वाल्मीकीय रामायण’ कहा जाता है। वर्तमान में राम के चरित्र पर आधारित जितने भी ग्रन्थ उपलब्ध हैं उन सभी का मूल महर्षि वाल्मीकि कृत ‘वाल्मीकीय रामायण’ ही है। ‘वाल्मीकीय रामायण’ के प्रणेता महर्षि वाल्मीकि को ‘आदिकवि’ माना जाता है। महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर संस्कृत के इस आदि क...