बॉलीवुड निर्माताओं का जिहादी एजेंडा

भारत देश एक लोकतांत्रिक देश है,यहाँ सबको बोलने और रहने की आजादी है, यहाँ तक कि हम अपने देश को धर्मशाला भी मानते हैं जहाँ पर दूसरे देशो के नागरिकों के साथ-साथ देश के दुश्मनों को भी अच्छी देखभाल व ख़िलाफ़त की आज़ादी प्रदान की जाती है। इसी कड़ी में अगर हम फ़िल्मी दुनिया की बात करे तो यह गलत नही होगा कि भारत का सिनेमा तो क़ाबिले तारीफ है मगर भारत के सेक्युलर जमात, टुकड़े-टुकड़े गैंग, वामपंथीयो के द्वारा भारतीय सिनेमा मैं क्या-क्या जनता को एक एजेंडे के रूप परोसा जाता हैं,शायद ही इस देश की भोली जनता समझ पाये, भारत के लोग जब इन वैचारिक गिद्दों की फिल्में देखते हैं,तो उन्हें भारत हमेशा कठघरे मैं खड़ा दिखाई देता है, चाहें भारत-पाक पर बनी फिल्म हो या देश के सामाजिक मुद्दों से जुड़ी कोई फ़िल्म हो या भारत के अशान्त राज्य के ऊपर बनी फ़िल्म हो, इन फिल्मों मैं एक एजेंडा तय होता है, भारत देश की छवि को एक आपराधिक पृष्ठभूमि मैं फंसे हुए लोकतंत्र की तरह प्रस्तुत किया जाता है। बहुसंख्यक समुदाय को निशाना बनाना ही इनका मुख्य उद्देश्य होता है,इन फ़िल्म निर्माताओं का काम हिन्दू समाज को अतिवादी का रूप देना,उसके...