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अक्तूबर 11, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

राष्ट्र मंदिर के पुजारी सोहन सिंह

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"18 अक्तूबर/जन्म-दिवस" आरएसएस प्रचारक संघ कार्य के लिए जीवन समर्पित करने वाले वरिष्ठ प्रचारक श्री सोहन सिंह जी का जन्म 18 अक्तूबर, 1923 (आश्विन शुक्ल 9, वि.सं. 1980) को ग्राम हर्चना (जिला बुलंदशहर, उ.प्र.) में चैधरी रामसिंह जी के घर में हुआ था। छह भाई-बहिनों में वे सबसे छोटे थे। 16 वर्ष की अवस्था में वे स्वयंसेवक बने। 1942 में बी.एस-सी. करते ही उनका चयन भारतीय वायुसेना में हो गया; पर उन्होंने नौकरी की बजाय प्रचारक कार्य को स्वीकार किया। 1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की विफलता से युवक बहुत उद्विग्न थे। उन दिनों सरसंघचालक श्री गुरुजी युवकों को देश के लिए समय देने का आग्रह कर रहे थे। उनकी प्रेरणा से दिल्ली के 80 युवक प्रचारक बने। उनमें सोहन सिंह जी भी थे। इससे पूर्व वे दिल्ली में सायं शाखाओं के मंडल कार्यवाह थे। 1943, 44 और 45 में उन्होंने तीनों संघ शिक्षा वर्ग पूरे किये। प्रचारक बनने पर उन पर क्रमशः करनाल, रोहतक, झज्जर और अम्बाला में तहसील; करनाल जिला, हरियाणा संभाग और दिल्ली महानगर का काम रहा। 1973 में उन्हें जयपुर विभाग का काम देकर राजस्थान भेजा गया। आपातकाल में वे वहीं गिरफ्...

""ओ मेरे कुम्हार""

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वाह रे मेरे कुम्हार ढूढता रहा तुझे उम्र भर तेरे हाथों की छुअन का एहसास होता रहा मुझे वाह तेरी कारीगरी जमाना सराहता रहा मुझे मुझे बनाया ऐसा कि तृप्त करता रहा सूखे गलों को तर करता रहा दिलोदिमाग फिर से जब दुनिया कर देगी मिट्टी मुझे तू फिर से संभालेगा कंकड़ों से छानेगा फिर से नया रूप देगा और घड़े को बना देगा"सागर"। "सागर"महेंद्र थानवी। यह भी पढ़ें👇👇 अभी तो चलना है मीलों

भगवान वाल्मीकि कौन थे?

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 महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय! बंदउँ मुनि पद कंजु रामायन जेहिं निरमयउ। सखर सुकोमल मंजु दोष रहित दूषन सहित॥  भावार्थ:-मैं उन वाल्मीकि मुनि के चरण कमलों की वंदना करता हूँ, जिन्होंने रामायण की रचना की है, जो खर (राक्षस) सहित होने पर भी (खर (कठोर) से विपरीत) बड़ी कोमल और सुंदर है तथा जो दूषण (राक्षस) सहित होने पर भी दूषण अर्थात्‌ दोष से रहित है॥ वाल्मीकि जी प्राचीन भारतीय महर्षि हैं। ये आदिकवि के रुप में प्रसिद्ध हैं। उन्होने संस्कृत मे रामायण की रचना की। उनके द्वारा रची रामायण वाल्मीकि जी रामायण कहलाई। रामायण एक महाकाव्य हैं। जो कि श्रीराम के जीवन के माध्यम से हमें जीवन के सत्य से, कर्तव्य से, परिचित करवाता हैं। महर्षि वाल्मीकि जी को प्राचीन वैदिक काल के महान ऋषियों कि श्रेणी में प्रमुख स्थान प्राप्त हैं। वह संस्कृत भाषा के आदि कवि तथा आदि काव्य ‘रामायण’ के रचयिता के रूप में प्रसिद्ध हैं। भगवान वाल्मीकि जी के पिता का नाम वरुण तथा मां का नाम चार्षणी था। वह अपने माता-पिता के दसवें पुत्र थे। उनके भाई ज्योतिषाचार्य भृगु ऋषि थे। महर्षि कश्यप तथा अदिति के नौवीं संतान थे पिता वरुण। वरुण का एक न...

रतन टाटा के नाम खुला_खत

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आदरणीय रतन टाटा जी, सादर नमस्ते, आपको स्मरण कराना आवश्यक है कि अरब से होने वाले आक्रमणों से हुए बर्बर रक्तपात से संतप्त आपके पूर्वज यानि कुछ मुट्ठी भर  पारसी  जन जब अपनी जीवन रक्षा हेतु समुद्र के रास्ते भारत आये थे तब उनके पास अपनी नाव में पवित्र अग्नि और पवित्र जेंदावेस्ता बस ये दो चीजें ही थी। अपनी इन धरोहरों के साथ आपके पूर्वज पहले खम्भात की खाड़ी में भारत के दीव नामक टापू में उतरे थे फिर सन् 716 ई. के लगभग दमन के दक्षिण दिशा में लगभग 25 मील की दूरी पर अवस्थित एक हिन्दू राजा राजा #यादव_राणा के राज्य क्षे‍त्र में बसने गये। उस हिन्दू राजा ने न केवल आपके पूर्वजों को अपने राज्य में शरण दी बल्कि उनके अग्नि मंदिर की स्थापना के लिए भूमि और कई अन्य प्रकार की सहायता भी की और वहां सन् 721 ई. में प्रथम  पारसी अग्नि मंदिर  बना। रोचक बात ये है कि इस मंदिर के बनने की अनुमति के साथ आपके पूर्वजों ने यह शर्त भी रखी थी कि हमारे मन्दिर के कुछ इतने किलोमीटर की परिधि में कोई गैर-पारसी दाखिल न हो सके; क्योंकि उनके दाखिल होने से हम उसे अपवित्र समझेंगे। उस हिन्दू राजा ने उस शर्त को सुना और फिर उसे मानते ह...

आतंकवादी का बेटा बना कश्मीर में प्रशासनिक अधिकारी, सेना से सम्मानित किया

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कश्मीर प्रशासनिक सेवा (केएएस) में 46वीं रैंक हासिल करने वाले गाजी अब्दुल्ला को 10 राष्ट्रीय राइफल्स ने डोडा में सम्मानित किया है। दरअसल गाजी अब्दुल्ला के पिता मोहम्मद अब्दुल्ला एक आतंकवादी थे और वह हिज्बुल मुजाहिदीन आतंकवादी संगठन से जुड़े हुये थे। जब गाजी अब्दुल्ला छोटे थे, तभी सेना ने एक एनकाउंटर के दौरान उनके आतंकी पिता को ढेर किया था। गाजी अब्दुल्ला गुंडना के पिछड़े इलाके से आते हैं। उन्होंने श्रीनगर के एक अनाथालय में रहते हुये कठिन हालात में पढ़ाई की और गरीबी, आतंकवाद, संसाधनों की कमी से लड़ते हुये प्रशासनिक सेवा में पद हासिल किया है। पढ़िए 👇 लेखक कैसे बनें? सेना ने सम्मान कार्यक्रम में उन सभी छात्रों को बुलाया था, जो भविष्य में प्रशासनिक अधिकारी बनना चाहते हैं। सभी छात्रों के लिए यह कार्यक्रम प्रेरक और फलदायी साबित हुआ है। कार्यक्रम के दौरान गाजी अब्दुल्ला ने युवाओं के साथ एक गरीब बच्चे से एक सफल अधिकारी बनने तक के अपने सफर के कहानी को साझा किया और उन्हें जीवन में सफल होने के लिए प्रेरित किया। समारोह के दौरान छात्रों ने कामयाबी का मंत्र पूछा तो गाजी अब्दुल्ला ने कहा कि मेहनत औ...

भगिनी निवेदिता सेवा की प्रतिमूर्ति

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मार्गरेट नोबेल 28 जनवरी,1898 को अपना परिवार, देश, नाम, यश छोड़ कर भारत आई थीं। यहां आने के बाद 25 मार्च, 1898 को स्वामी विवेकानंद उनको ब्रह्मचर्य की दीक्षा दी और निवेदिता नाम भी । 13 अक्टूबर 1911 को 44 साल की उम्र में उन्होंने दार्जीलिंग में अंतिम सांस ली। अपने नाम निवेदिता के अनुरूप ही उन्होंने अपना पूरा जीवन भारतीयों की सेवा में समर्पित कर दिया।  त्याग, सेवा और समर्पण शब्दों की परिभाषा भगिनी निवेदिता के जीवन से उधारणतः स्पष्ट हो जाती है जब आयरलैंड में जन्मी और इंग्लैंड के लंदन शहर में मात्र 17 वर्ष की उम्र में शिक्षिका बनने वाली, लंदन की बौद्धिक मंडली "सीसेमक्लब" में अपने लेखों और व्याख्यानों से स्वयं को प्रतिष्ठित करने वाली, इंग्लैंड के विम्बलडन शहर में अपना विद्यालय शुरू करने वाली 'मार्गरेट एलिजाबेथ नोबल' अपना सब कुछ त्याग कर स्वामी विवेकानंद के आह्वान पर उस समय के गुलाम देश भारत में महिलाओं की शिक्षा और स्वास्थ के क्षेत्र में काम करने आती हैं। 1899 में जब बंगाल में प्लेग महामारी फैलती है तो सड़कों पर उतर कर नालियां और कूड़ा भी साफ़ करती हैं और जन साधारण को जागरू...

बॉलीवुड में मची खलबली

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70 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब पूरा बॉलीवुड एकजुट होकर सामने आया है... कल पूरे बॉलीवुड की तरफ से सुप्रीम_कोर्ट में 2 मीडिया चैनलों के खिलाफ शिकायत डाली गई... शिकायत डालने वालों में ना सिर्फ खान गैंग शामिल था... बल्कि उनके साथ अजय देवगन...अक्षय कुमार जैसे तथाकथित राष्ट्रवादी हीरो भी हैं... और वो 2 मीडिया चैनल हैं...  रिपब्लिक  और  TimesNow   शिकायत ये है कि ये दोनों चैनल बॉलीवुड की छवि को खराब कर रहे हैं... ....बॉलीवुड क्यों एकजुट हुए? सांप और नेवलों को एक ही मंच पर क्यों आना पड़ा? जो एक दूसरे की शक्ल से भी नफरत करते हैं, वो एकजुट क्यों हुए?  वजह है डर...खौफ...जो हाल सड़क2 का हुआ, जो हाल KBC का हुआ जो हाल टीपू_सुल्तान का हुआ जो हाल BigBoss का हुआ वो किसी के साथ भी हो सकता है। किसी की भी फ़िल्म के साथ हो सकता है।  क्योंकि जनता के सामने हर रोज़ बॉलीवुड की एक नई गन्दगी का खुलासा हो रहा है और जनता अब किसी को भी माफ करने के मूड में नहीं है। चाहे वो सदी के महानायक हों, चाहे किंग खान हो, चाहे भाईजान हों, चाहे खिलाड़ी कुमार हों। पब्लिक की नज़र में अब पूरा बॉलीवुड नंगा हो चुका है और इनको ...

कोरोनामुक्त भारत के लिए राष्ट्रव्यापी जन-आंदोलन समय की माँग

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जीवन की सुंदरता विपरीत परिस्थिति में भी गतिशीलता में है- जीवन की सबसे बड़ी सुंदरता ही यह है कि वह प्रतिकूल-से-प्रतिकूल परिस्थितियों में भी निरंतर गतिशील रहता है। अपितु यह कहना चाहिए कि गति ही जीवन है, जड़ता व ठहराव ही मृत्यु है। विनाश और विध्वंस के मध्य भी सृजन और निर्माण कभी थमता नहीं। संपूर्ण चराचर सृजनधर्मा है। मनुष्य की तो प्रधान विशेषता ही उसकी संवेदनशीलता एवं सृजनधर्मिता है।  यों तो भारतीय जीवन-दृष्टि प्रकृति के साथ सहयोग, सामंजस्य एवं साहचर्य का भाव रखती आई है। परन्तु यह भी सत्य है कि मनुष्य की अजेय जिजीविषा एवं सर्वव्यापक कालाग्नि के बीच सतत संघर्ष छिड़ा रहता है। जीर्ण और दुर्बल झड़ जाते हैं, परंतु वे सभी टिके, डटे और बचे रहते हैं जिनकी चेतना उर्ध्वगामी है, जिनकी प्राणशक्ति मज़बूत है, जो अपने भीतर से ही जीवन-रस खींचकर स्वयं को हर हाल में मज़बूत और सकारात्मक बनाए रखते हैं। यह भी पढ़ें कोर्पिरेट जगत में जाग्रत होता राष्ट्रभाव कोरोना काल योद्धाओं का साक्षी यह कोविड-काल ऐसे ही योद्धाओं का साक्षी रहा है। इस कोविड काल में ऐसे तमाम योद्धा समय के सारथि रहे। उन्होंने अपना सलीब अपने ही कंधों पर...

बूंदी की विश्व प्रसिद्ध 84 खम्बों की छतरी

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देवा राव राजा अनिरुद्ध सिंह की धाय मां का पुत्र होने के कारण वह उन्हें बेहद प्रिय था. देवा का अल्प आयु में निधन हो जाने से अत्यंत दुखी हुये राव राजा अनिरुद्ध सिंह ने उसकी याद को चिरस्थाई बनााने रखने के लिए 84 खम्भों की छतरी का निर्माण करवा कर उन्हें समर्पित किया था. कुंए-बावड़ियों के शहर के नाम से विख्यात और गली गली में मंदिर वाली छोटी काशी बूंदी में स्थित प्रमुख स्मारको में से एक विश्व प्रसिद्ध 84 खम्भों की छतरी है. यह एक तरह के बूंदी का प्रतीक चिन्ह बन चुकी है. स्थापत्य कला की शानदार प्रतीक यह दो मंजिला छतरी 84 खम्भों पर टिकी होने के कारण ही इसे चौरासी खम्भों की छतरी के नाम से पुकारा जाता है. क्या भारत हिन्दू राष्ट्र है? चबूतरेनुमा ऊंची चौकी पर बनी दो मंजिला इस उत्कृष्ट छतरी के चारों ओर जंघा भाग पर पाषाण पट्ट लगे हैं. इन पर उकरे गये हाथी घोड़े और अन्य पशुओं की विभिन्न आकृतियों के पैनल के साथ साथ उच्च तीक्ष्ण विधि से शिव पार्वती, राधा कृष्ण, विष्णु वराह अवतार, नाभी से ब्रह्मा की उत्पत्ति, ढोला-मारू, गजलक्ष्मी और समुंद्र मंथन जैसे पौराणिक विषयों के मनमोहक आकर्षक ढंग से उकेरे गये चित्र ...

हर राष्ट्र विरोधी के पक्ष में खड़े आते कुछ स्थाई लोग और पार्टियां

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हर हिन्दू विरोधी, हर राष्ट्रविरोधी का बचाव कहीं न कहीं एक राजनीतिक पार्टी करती नजर आती है। फादर स्टेन स्वामी के साथ काँग्रेस-झामुमो, भीमा-कोरेगाँव हिंसा में ‘एक्टिविस्ट पादरी’ को NIA ने किया है गिरफ्तार। फादर स्टेन स्वामी पर दो साल पहले महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगाँव में हुई हिंसा व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचने में संलिप्तता का आरोप है। बताया जा रहा है कि स्टेन स्वामी पर भीमा-कोरेगाँव मामले में एनआईए ने आतंकवाद निरोधक क़ानून (यूएपीए) की धाराएँ भी लगाई गई हैं। एनआईए की एक टीम ने नामकुम स्टेशन परिसर में फादर स्टेन स्वामी को गिरफ्तार किया था। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अब भीमा-कोरेगाँव हिंसा मामले में आरोपित पादरी स्टेन स्वामी के समर्थन में उतर आए हैं। स्टेन स्वामी को NIA ने हिरासत में लिया है। हेमंत सोरेन ने पूछा, “गरीब, वंचितों और आदिवासियों की आवाज़ उठाने’ वाले 83 वर्षीय वृद्ध ‘स्टेन स्वामी’ को गिरफ्तार कर केंद्र की भाजपा सरकार क्या संदेश देना चाहती है?” साथ ही कहा है, “अपने विरोध की हर आवाज को दबाने की ये कैसी जिद?“ कांग्रेस नेता भी स्टेन स्वामी के बचाव में आ ग...

संकीर्ण मानसिकता और अवसरवादी राजनीति!

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   हाथरस प्रकरण में जहाँ पीड़ित परिवार को बार-बार दलित बोलकर, जातीय भावनाओं को उभारने का प्रयास किया जा रहा है, उसकी सबको निंदा करनी चाहिए !     कांग्रेस अपना खोया जनाधार पाने के लिए दलित- मुस्लिम अपवित्र गठजोड़ को साकार करने का प्रयास कर रही है। जिसके लिए वह किसी भी स्तर तक गिर सकती है! यह इस देश का दुर्भाग्य है कि अपराध को उसकी निकृष्टता से नहीं बल्कि अपराधी व पीड़ित की जाति, उसके धर्म और उसकी हैसियत के चश्मे से देखा जा रहा है! हाथरस में जो विभत्स घटना हुई उसकी भर्त्सना प्रत्येक भारतीय को करनी चाहिए। नकली भौजी क्या षड्यंत्र के अंतर्गत आई थी? प्रदेश सरकार पर उसे न्याय दिलाने का दबाव भी पड़ना चाहिए। लेकिन ठीक इसी तरह की घटना जब बलरामपुर में घटती है, और पीड़ित वर्ग उसी जाति से है जिस जाति के लिए भीम-आर्मी और मृतप्राय: कांग्रेस नकली टेंसुए बहाती है। उसके लिए मौन रहना संशय प्रद है।क्या इसका कारण वहां  आरोपी मुस्लिम होने के कारण भीम-आर्मी और कांग्रेस एक शब्द भी बोल नहीं पाती? क्योंकि इससे उनको मिलने वाला 6प्रतिशत वोट बैंक भी खिसकता नजर आता है?  घटना की गंभीरता को नजरअंदाज कर कांग्रेस यहां ...

कॉरपोरेट जगत में जाग्रत होते राष्ट्रभाव का स्वागत करिए

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पारले कंपनी का महत्वपूर्ण फैसला खतरनाक कंटेंट प्रसारित करने वाले चैनल्स को नहीं देंगे विज्ञापन। यह स्वगत योग्य है। इंडियन सिविल लिबर्टीज यूनियन ने ट्वीट के जरिए दी जानकारी। बीते कुछ दिनों में न्यूज चैनल के बीच मची टीआरपी की होड़ और सनसनीखेज खबरें पेश करने के चक्कर में ऐसे कंटेंट दिखाए जा रहे हैं, जो बेहद खतरनाक हैं। इस बात को गंभीरता से लेते हुए पारले कंपनी ने एक महत्वपूर्ण फैसला किया है। कंपनी अब ऐसे न्यूज चैनल पर विज्ञापन नहीं देगी, जो समाज में खबर के नाम पर नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं। किसी कम्पनी का यह पहला फैसला है। इसका खुलकर भरपूर समर्थन किया जाना चाहिए। यह भी पढ़िए जोहो कम्पनी के मालिक श्रीधर एक स्वदेश प्रेमी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर पारलेजी ट्रेंड कर रहा है। कंपनी के इस फैसले की सभी तारीफ कर रहे हैं। इंडियन सिविल लिबर्टीज यूनियन ने एक ट्वीट करते हुए कंपनी के फैसले की जानकारी दी है। पारले के इस फैसले को एक सकारात्मक कदम के तौर पर भी देखा जा रहा है। यह खबर सोशल मीडिया के आधार पर लिखी गई है। इसी तरह राष्ट्रभाव का जगरण धीरे धीरे ही सही लेकिन हो रहा है। यह...

राजनीति में रामविलास पासवान का स्थान

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राजनीति में रामविलास पासवान का स्थान किसी व्यक्ति की महत्ता उसके जाने के बाद ही समझ आती है। भारत के वंचित-दलित-शोषित समाज से आने वाले बड़े नेता रामविलास पासवान राजनीति में निश्चित एक रिक्तता छोड़ जाएँगें। इस कोरोना-काल में उनका जाना सरकार के लिए एक अपूरणीय क्षति है। खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गरीब कल्याण अन्न योजना को ज़मीन पर उतारने में उनकी महत्त्वपूर्ण एवं सक्रिय भूमिका रही। वे किसी विचारधारा या गठजोड़ के भरोसेमंद कितने रहे, कितने नहीं, यह मुद्दा आज गौण है। इसका भी कोई विशेष महत्त्व नहीं कि उन्हें मौसम का मिज़ाज पहचानने वाले नेता के तौर पर प्रस्तुत कर उनके विरोधी उनका उपहास उड़ाते रहे। महत्त्व इस बात का है कि वे जनता के मन और मिज़ाज को समझते थे। वे राजनीति का मर्म समझने तथा जनता की नब्ज़ पढ़ने-परखने वाले व्यावहारिक राजनेता थे। इसलिए उन्हें पता होता था कि जनता की नज़रों में किस राजनीतिक दल का पलड़ा कितना भारी है। जिस पक्ष में भी वे रहे, वहाँ बड़ी सक्रियता से अपनी भूमिका निभाते रहे। उनका कद सचमुच बड़ा था। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के बाद वे दलितों क...

जानिए कौन है जोहो सॉफ्वेयर कम्पनी के मालिक राष्ट्रभक्त श्रीधर

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उनका अगला लक्ष्य, प्राइवेट जेट खरीदना होना चाहिए था। वैसे भी, किसी की कुल सम्पत्ति अगर 18 हज़ार करोड़ रूपए की हो, तो 300 करोड़ रूपए के प्राइवेट जेट विमान खरीदने पर ऑडिटर भी एतराज नहीं करेगा। और जब पैसा अथाह हो तो फिर मुश्किल ही क्या है ? यूँ भी, लक्ष्मी जब छप्पर फाड़कर धन बरसाती हैं, तो ऐसे फैसले किसी को खर्चीले नहीं लगते। शायद इसलिए एक खरबपति के लिए जेट विमान ख़रीदना ऐसा ही है जैसे किसी मैनजेर के लिए मारुती कार खरीदना। लेकिन  जोहो कॉर्पोरेशन  के चेयरमैन, श्रीधर वेम्बू पर लक्ष्मी के साथ साथ सरस्वती भी मेहरबान थीं। इसलिए उनके इरादे औरों से बिलकुल अलग थे। प्राइवेट जेट खरीदना तो दूर, उन्होंने अपनी कम्पनी बोर्ड के निदेशकों से कहा कि वे अब कैलिफ़ोर्निया (अमेरिका) से जोहो कारपोरेशन का मुख्यालय कहीं और ले जाना चाहते हैं। श्रीधर के इस विचार से कम्पनी के अधिकारी हतप्रभ थे.. क्यूंकि सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री के लिए कैलिफ़ोर्निया के बे-एरिया से मुफीद जगह दुनिया में और कोई है ही नहीं। गूगल, एप्पल, फेसबुक, ट्विटर या सिस्को, सब के सब इसी इलाके में रचे बसे, फले फूले। पर श्रीधर तो और भी बड़ा अप्रत्याशित फैसला ले...

हाथरस केस: योगी सरकार को बदनाम करने के लिए पाकिस्तान से किए गए ट्वीट्स, पुलिस के हाथ लगे अहम सुराग

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हाथरस केस: योगी सरकार को बदनाम करने के लिए पाकिस्तान से किए गए ट्वीट्स, पुलिस के हाथ लगे अहम सुराग। हाथरस परिवार में रही नकली भौजी का सच क्या है? हाथरस की घटना को लेकर एक और बड़ा खुलासा हुआ है। सोशल मीडिया पर किए जा रहे फर्जी ट्वीट्स की पड़ताल करने वाली पुलिस टीम को सुराग हाथ लगे हैं कि हाथरस कांड में भ्रम फैलाने के लिए ट्वीट पाकिस्तान और मध्य एशिया के ट्विटर हैंड से किए गए। इसके पीछे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार को बदनाम करना मुख्य उद्देश्य था। जांच एजेंसियां अब इसकी गंभीरता से पड़लात कर रही हैं। नए दौर की तरफ भारत बंग्लादेश रिश्ते सोशल मीडिया पर हाथरस कांड को लेकर भ्रम फैलाने के मामले में पीएफआई की संलिप्तता का पहले ही खुलासा हो चुका है। जांच कर रही एजेंसियों का दावा है कि ऐसा प्रदेश की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार को बदनाम करने के लिए सोशल मीडिया पर बड़ी साजिश रची गई थी। घटना को जातीय हिंसा का रंग देने के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से कई झूठे तथ्य प्रचारित किए गए। इसके लिए योगी सरकार को निशाना बनाते हुए बड़ी संख्या में पाकिस्तान और मध्य एशिया के देशों से ट्वीट कराए गए। ...

मैं अपने लिए नहीं, अपनों के लिए हूं!

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मैं अपने लिए नहीं, अपनों के लिए हूं!  इस लक्ष्य पर चलते हुए नानाजी देशमुख ने विकास से अवरुद्ध देश के कई गांवो की तस्वीर ही बदल कर रख दी थी।  11 अक्टूबर, 1916 को महाराष्ट्र के परभणी  में नानाजी का जन्म हुआ। बचपन से ही संघ के संस्कारों में पले बढ़े नानाजी देशमुख ने भारतीय राजनीति में उन लोगों में स्थान बनाया जिन्होंने आदर्श की मिशाल स्थापित की है ! भगवान राम की तपो- भूमि चित्रकूट को अपनी कर्मभूमि बनाकर भगवान राम की तरह ही सबसे पिछड़े व्यक्ति/परिवार के उत्थान का लक्ष्य लेकर उन्होंने आस पास के गांवो में ग्रामीण आधारित विकास की अवधारणा को पुष्ट किया। जयप्रकाश नारायण को पटना के आयकर चौराहे पर 👮 लाठियों में से सुरक्षित निकाल कर लाने वाले नानाजी  ने आपातकाल के बाद बलरामपुर से लोकसभा का चुनाव जीतकर मोरारजी मंत्रिमंडल में यह कहकर शामिल होने से मना कर दिया कि,  60 वर्ष की उम्र के बाद संसदीय राजनीति से दूर रहकर सामाजिक/सांगठनिक कार्य करने चाहिए !  पंडित दीनदयाल उपाध्याय     की संघ निष्ठा, बौद्धिक क्षमता, आदर्शवादी प्रकृति और सहज- सरल स्वभाव के प्रति आत्मीयता व ऋद्धा भाव जो उन्हें विरासत में मिले ...