भारत में विश्व मूल निवासी दिवस के षड्यंत्र का पर्दाफाश
9 अगस्त को मनाया जाने वाला "विश्व मूल निवासी दिवस" भारत के संदर्भ में एक गंभीर षड्यंत्र के रूप में देखा जा रहा है। इस दिन का उद्देश्य आदिवासी अधिकारों को प्रोत्साहित करना है, लेकिन भारत में इसे मनाए जाने पर गहरे सवाल उठ रहे हैं। भारत के जनजातीय समाज के गौरव और उनकी समृद्ध संस्कृति को ध्यान में रखते हुए, यह दिवस एक विदेशी षड्यंत्र का हिस्सा लगता है, जिसका उद्देश्य भारत को विभाजित करना और यहां के जनजातीय समुदायों को उनके मूल धर्म से अलग करना है। मूल निवासियों का सफाया: एक ऐतिहासिक षड्यंत्र ईसाई मिशनरियों और औपनिवेशिक शक्तियों ने सदियों से दुनियाभर में मूल निवासियों का सफाया किया है। अफ्रीका से लेकर अमेरिका तक, मिशनरियों ने बाइबिल और प्रार्थना के नाम पर आदिवासियों की भूमि पर कब्जा कर लिया। केन्या के पहले प्रधानमंत्री जोमो केन्याटा ने इस स्थिति को बखूबी समझाया, "जब मिशनरी आए, तो अफ्रीकियों के पास जमीन थी और मिशनरियों के पास बाइबिल थी। उन्होंने हमें सिखाया कि आंखें बंद करके प्रार्थना कैसे की जाती है। जब हमने आंखें खोलीं, तो उनके पास ज़मीन थी और हमारे प...