बांग्लादेश में तख्ता पलट का षड्यंत्र: अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का एक नमूना


बांग्लादेश में हाल ही में जो घटनाएँ घटीं, वे एक बड़े षड्यंत्र की ओर इशारा करती हैं, जिसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कुछ शक्तिशाली देशों और उनके सहयोगियों द्वारा रचा गया था। इस षड्यंत्र के प्रमुख पात्र बांग्लादेश के राष्ट्रपति, सेना प्रमुख, और माइक्रोफाइनेंस बैंकिंग विशेषज्ञ मोहम्मद यूनुस थे। इसके अलावा, इसमें खालिदा जिया का बेटा और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI भी शामिल थी। यह पूरा प्रोग्राम अमेरिका की बाइडेन सरकार और ब्रिटेन की लेबर पार्टी की सहमति से चलाया गया।

षड्यंत्र की पृष्ठभूमि

इस षड्यंत्र की नींव तब रखी गई जब बांग्लादेश के चुनाव में विपक्ष की किसी भी पार्टी ने भाग नहीं लिया। यह एक चाल थी जिससे जनता के बीच यह संदेश दिया जा सके कि शेख हसीना एक तानाशाह हैं। चुनावों में विपक्ष के भाग न लेने के कारण शेख हसीना की पार्टी ने अधिकतर सीटें जीत लीं, जिससे उनकी सत्ता और भी मजबूत हो गई।
इसके बाद बांग्लादेश के कोर्ट में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आरक्षण के पक्ष में एक याचिका डाली गई, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। अदालत ने आरक्षण को फिर से लागू करने का फैसला सुनाया, जिससे देश में तनाव बढ़ गया। इस फैसले के बाद, जब देश में हिंसा भड़क उठी और पुलिस ने सख्ती दिखाई, तो अदालत ने एक और विवादास्पद फैसला सुनाया, जिसमें न केवल स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आरक्षण को समाप्त किया गया, बल्कि विकलांग, महिला, और पिछड़े जिलों के लिए आरक्षण भी खत्म कर दिया गया। इससे हिंसा और बढ़ गई, लेकिन सेना और राष्ट्रपति ने इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया।

षड्यंत्र का परिणाम

हिंसा के चरम पर पहुँचने के बाद, सेना प्रमुख ने शेख हसीना को धमकी दी कि या तो वे देश छोड़ दें, या फिर उनकी मॉब लिंचिंग करके हत्या कर दी जाएगी। शेख हसीना ने त्यागपत्र देने की पेशकश की, लेकिन सेना प्रमुख ने इसे अस्वीकार कर दिया। अंततः, शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा।

भारत के लिए चेतावनी

इस घटना का प्रभाव भारत पर भी देखा जा सकता है। यह षड्यंत्र सिर्फ बांग्लादेश तक सीमित नहीं है; इसे भारत में भी अस्थिरता फैलाने के उद्देश्य से सक्रिय किया जा रहा था। यह याद रखना जरूरी है कि जिस तरह से बांग्लादेश में हिंदू पहचान को हाशिये पर धकेला गया, वही स्थिति भारत में भी उत्पन्न हो सकती है।


बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति भारत के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है। यह समय है कि समस्त हिंदू और राष्ट्रवादी शक्तियाँ एकजुट होकर इसके विरोध में प्रचंड आंदोलन करें। यदि अब चूके, तो इसका खामियाजा करोड़ों लोगों को भुगतना पड़ सकता है। इतिहास साक्षी है कि सभ्यता और सहनशीलता को बर्बरता निगल जाया करती है।

"ॐ नमः शिवाय।"

टिप्पणियाँ

  1. एकांत में अपने सीने पर हाथ रखकर अपने आप से पूछिए की बांग्लादेश वाली स्थिति में अपने परिवार की सुरक्षा के लिए आपकी तैयारी क्या है ❓

    यदि उत्तर मिल जाए तो बताइएगा ❓

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  2. समाज जागरण के लिए महत्वपूर्ण लेखन

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  3. संस्कृति के प्रति सजगता बचपन से होनी जरूरी है।

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