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दिसंबर 6, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

विजय दिवस विशेष

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16 दिसंबर को हम सभी विजय दिवस के रूप में मनाते है। 16 दिसंबर 1971 को भारत की पाकिस्तान पर विजय की स्मृति के रूप में इस दिवस को हम पिछले 49 वर्षों से मनाते आ रहे हैं क्या है। इस दिन का महत्व क्या है? इस युद्ध में कैसे विजय मिली? युद्ध के दौरान क्या-क्या घटनाएं हुई? इस युद्ध के मुख्य नायक कौन-कौन थे? इस विजय का इतना अधिक महत्व क्यों हैं? क्या है 93000 पाक सैनिकों के आत्मसमर्पण का सच? वर्तमान पीढ़ी इन सब से अनभिज्ञ है। आइए इस आलेख के माध्यम से इसके बारे में सब कुछ जानने का प्रयास करते हैं। नए संसद भवन की 10 विशेताएँ ऐतिहासिक पृष्ठभूमि- भारत से अंग्रेजों का जाना सुनिश्चित होने के काफी पहले से उन्होंने अपनी कूटनीति के चलते भारत के टुकड़े करने की योजना पर कार्य प्रारंभ कर दिया था। वैसे तो अंग्रेजों ने 1857 से ही भारत विखंडन के कार्य पर काम प्रारंभ कर दिया। किंतु इस दिशा में विश्व युद्ध के बाद उन्होंने तेजी से काम किया। भारत का हिंदू मुस्लिम आबादी के अनुसार विभाजन हुआ। जिसका परिणाम पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान का उदय के रूप में हुआ। पाकिस्तान के उदय के बाद से ही हमारा देश ...

नए संसद भवन की 10 विशेषताएं जानिए

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नया संसद भवन राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बनेगा। अब भारत बदल रहा है। एक एक करके गुलामी के प्रतीकों से निजात पा रहा है। राष्ट्रीय गौरव का भान जब जागता है तब पुराने प्रतीकों को नष्ट करना, अर्थात पहले की लकीर को मिटाना यह सामान्य इंसानों के व्यवहार में देखा जाता है। किंतु मोदीजी जैसे महामानवों का चिंतन, विचार और व्यवहार उच्च कोटि का है। वे छोटी  लाइन को मिटाने के स्थान पर उसके पास और अधिक बड़ी लाइन खींचने में विश्वास करते है। इसी नीति का पालन करते हुए, नया भव्य आवश्यकता के अनुरूप संसद भवन बनने जा रहा है। भारत के संसद भवन की तस्वीर अब बदलने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिल्ली में नए संसद भवन की नींव रख दी है। आजादी के 75 साल पूरे होने तक ये नई बिल्डिंग तैयार हो जाएगी। यह नया भवन मौजूदा बिल्डिंग से अधिक बड़ा, आकर्षक और आधुनिक सुविधाओं वाला है। नए संसद भवन से जुड़ी 10 खास महत्वपूर्ण बातें इस प्रकार हैं- 1. पुराने संसद भवन से इतर नई बिल्डिंग में आधुनिक तकनीक और जरुरतों का ध्यान रखा जा रहा है। अगस्त 2019 में मौजूदा लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की ओर से नए संसद...

संघ नींव में विसर्जित पुष्प भाग १

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संघ संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को आज कौन नहीं जानता ? भारत के कोने-कोने में इसकी शाखाएँ हैं। विश्व में जिस देश में भी हिन्दू रहते हैं, वहाँ किसी न किसी रूप में संघ का काम है। संघ के निर्माता डा. केशवराव हेडगेवार का जन्म एक अपै्रल, 1889 (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, वि. सम्वत् 1946) को नागपुर में हुआ था। इनके पिता श्री बलिराम हेडगेवार तथा माता श्रीमती रेवतीवाई थीं। केशव जन्मजात देशभक्त थे। बचपन से ही उन्हें नगर में घूमते हुए अंग्रेज सैनिक, सीताबर्डी के किले पर फहराता अंग्रेजों का झण्डा यूनियन जैक तथा विद्यालय में गाया जाने वाला गीत ‘गाॅड सेव दि किंग’ बहुत बुरा लगता था। उन्होंने एक बार सुरंग खोदकर उस झंडे को उतारने की योजना भी बनाई; पर बालपन की यह योजना सफल नहीं हो पाई। वे सोचते थे कि इतने बड़े देश पर पहले मुगलों ने और फिर सात समुन्दर पार से आये अंग्रेजों ने अधिकार कैसे कर लिया ? वे अपने अध्यापकों और अन्य बड़े लोगों से बार-बार यह प्रश्न पूछा करते थे। बहुत दिनों बाद उनकी समझ में यह आया कि भारत के रहने वाले हिन्दू असंगठित हैं। वे ज...