भारत के स्वतंत्रता संग्राम में फलोदी परगने का योगदान

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में फलोदी परगने का योगदान विश्व का प्रत्येक राष्ट्र गुलामी को हेय और आजादी को श्रेष्ठ मानता है अतः जब धोखेबाजी के चलते भारत को पहले मुगलों ने एवं बाद में ब्रिटेन के अंग्रेजों ने गुलाम बनाया तो गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने करने के लिए भारतीय जनता बेताब हो गई उस लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार 15 अगस्त 1947 को ब्रिटेन की गौरी सरकार से आजादी प्राप्त कर ली। स्वतंत्रता आंदोलन में फलोदी परगने की जनता का योगदान- अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता यह कहावत मशहूर है। इसी संदर्भ में तत्कालीन भारत के विभिन्न प्रांतों में रहने वाली जनता जंगे आजादी के मैदान में कूद पड़ी। इस संग्राम में राजस्थान के जोधपुर जिला अंतर्गत फलोदी तहसील की जनता का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। यह कहना उपयुक्त होगा की रोजी रोटी रोटी के लिए भारत भर के तत्कालीन प्रांतों में फैली हुई, फलोदी परगने की जनता ने इस आजादी आंदोलन में तन मन धन से दिल खोल कर अपनी आहुति प्रदान की। ब्रिटिश भारत में आजादी आंदोलन का सबसे बड़ा गढ़ मुंबई प्रांत रहा, जो कि सिंध तक फैला हुआ था। फलौदी नगर एवं परगने की जनता का प्रगाढ़ सम्बन्ध भी यहां...