शिक्षक दिवस पर विशेष


आदरणीय शिक्षाविदो, 
राजकीय सेवा में आने से पूर्व तक मेरी यह सोच थी कि शिक्षा स्नातक (B.Ed) या बीएसटीसी की डिग्री लेकर ही शिक्षक बनना कोई आवश्यक नहीं और शायद इन डिग्री धारियों और इन डिग्री विहीन शिक्षकों के अध्यापन में कोई अंतर नहीं है। यहां तक कि यह भी संभव है कि बिना शिक्षा स्नातक डिग्री वाला शिक्षक डिग्री वाले शिक्षक से भी अच्छा पढ़ा सकता है। इसे बल मिला स्वयं द्वारा डिग्री पाने के बाद जब निजी विद्यालय में शिक्षण करवाने लगा। इसका मुख्य कारण रहा B.Ed. करते समय कुछ चुनिंदा टाॅपिक रटकर डिग्री प्राप्त करने वालो के अंक उच्च थे किंतु एक निजी विद्यालय ने पढ़ाने के प्रदर्शन के दौरान उच्च अंक वाले को छोड़कर मेरा चयन किया। मुझे लगा कि बीएड कर लेने के बाद बने शिक्षकों के अपेक्षित व्यवहारगत परिवर्तन से उनकी डिग्री का  कोई लेना-देना नहीं।
 लेकिन सेवाकाल में सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण से जुड़ने का  मुझे 2010 से निरन्तर राज्य स्तर से अखिल भारतीय स्तर तक मौका मिला। तब जाकर ही आभास हुआ कि जब कुछ प्रशिक्षु अध्यापक तैयारी के साथ आते हैं तो संदर्भ व्यक्तियों पर एक सकारात्मक दवाब बनता है।जिससे प्रशिक्षण में सीखने सिखाने का माहौल बनता है।
 शिक्षा के क्षेत्र में रूसो के विचार "बच्चा अपने ज्ञान का मौलिक निर्माता है" को आज भी उतना ही महत्व दिया जाता है। जिसमें शिक्षक एक सुगमकर्ता के रूप में होता है। जो बच्चों को कक्षा में संवाद में बराबर भागीदारी का मौका दें और बच्चों को सवाल पूछने तथा सवालों का जवाब मिल कर तथा खुद से खोजने की दिशा में प्रयास करने हेतु प्रोत्साहित करें।
 सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण में शिक्षा मनोविज्ञान को समझने पर मुझे यह समझ में आया कि बालकों की व्यक्तिगत विभिन्नताओं का क्या महत्व है?
नवीन ज्ञान का विकास पूर्व ज्ञान के आधार पर किस प्रकार किया जाना है?
बालकों के सर्वांगीण विकास में पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओं का कितना महत्व  है? 
बस अब आवश्यकता है कि प्रशिक्षणों के नाम पर खानापूर्ति बंद की जाए। क्योंकि इससे समय की बर्बादी और प्रशिक्षणों के बारे में एक नकारात्मक छवि का निर्माण होता है। अतः प्रशिक्षणों की गंभीरता व उसकी उपयोगिता में विश्वास की बहाली करने हेतु आप सभी से आग्रह है कि ऑनलाइन प्रशिक्षणों को हम गंभीरता से लें और विभाग की अपेक्षाओं पर खरे उतर कर स्वयं को भी शिक्षण प्रक्रिया में दक्ष बनाने का गंभीर प्रयास करें। 
धन्यवाद आपका साथी शिक्षक
मनमोहन पुरोहित व्यख्याता
702307881
मनुमहाराज

टिप्पणियाँ

  1. सार्थक, प्रत्येक शिक्षक को राज्यस्तरीय प्रशिक्षण में भाग लेना चाहिए, इन प्रशिक्षणों से शिक्षण कौशल को और महारत हासिल होगी

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