धनबल के दम पर धर्मांतरण पर लगे रोक


चित्र साभार गूगल



केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 13 ईसाई संगठनों के विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA) लाइसेंस को सस्पेंड कर दिया है।
आपके लिए यह खबर कितना महत्व रखती है यह आपको तय करना है। लेकिन इससे पहले यह समझना है कि मिशनरी संगठनों के लिए अति महत्वपूर्ण है। इसका साधारण सा एक कारण है। उनको दुनिया भर में फैलाव की जिद है किसी भी कीमत पर, क्या आपको घर बचाने की परवाह है? वे प्रसार वादी है। सबको निगल जाने को आतुर है। क्या आप स्वयं के रक्षण की परवाह करते है? वे सम्पूर्ण जगत को ईसायत की छतरी के नीचे लाने को मचल रहे है क्या सभी मार्ग उस ईश्वर तक ले जाते है इस गीता के इस वाक्य को मानने वाले (आप) इस विचार को जिंदा रखने की संरक्षित रखने की तरफ कुछ करने को तत्पर है?
 वे निरन्तर बाहुबल, धनबल, सत्ताबल, मीडिया बल, के सहारे अपना जनबल बढ़ाने में लगे है क्या आप अपने आत्मबल को मजबूत कर डटे रहकर आपको बचाने आने वाले की बात सुनने और अपनी बात कहने की हिम्मत दिखा सकते है?
अब विचार करिए। यह खबर कितना महत्व रखती है।

वैसे मंत्रालय ने यह निर्णय पिछड़े इलाकों में आदिवासियों को प्रलोभन देकर उनके धर्मांतरण कराए जाने की रिपोर्ट के बाद ली है। और ऐसा करना अपराध है। कानून विरुद्ध भी है। लेकिन क्या आप ऐसे निर्णय का स्वागत करने की मानसिकता में है?
जिन 13 ईसाई संगठनों का FCRA लाइसेंस सस्पेंड किया गया है, उनके बैंक अकाउंट भी फ्रिज कर लिए गए हैं। कुछ राज्यों के पिछड़े इलाके खासकर झारखंड से आई इंटेलिजेंस रिपोर्ट की मानें तो ये संस्था आदिवासियों को लोभ-लालच देकर उनका धर्मांतरण कर उन्हें ईसाई बना रहे थे। कई कई वर्ष तो भोले भाले वनवासियों को पता ही नही चलता कि वे अब ईसाई हो गए है। भगवा वेश में जैसे रावण ने सीता हरण किया कुछ ऐसा ही खेल विदेशी पैसे के दम पर चल रहा है।

ऐसा नहीं कि भारत सरकार ने कोई एक तरफा कार्यवाही की हो। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जिन 13 ईसाई संगठनों का FCRA लाइसेंस सस्पेंड किया है, उन्हें पहले ‘कारण-बताओ’ नोटिस भेजा था। लेकिन तय समय-सीमा के भीतर किसी ने भी जवाब नहीं दिया। अभी तक सिर्फ एक संगठन की ओर से जवाब आया है, वो भी तय समय-सीमा के बाद। मंत्रालय के अनुसार भेजा गया जवाब संतुष्टि के लायक नहीं है। ये स्वयं को भारत के कानून से ऊपर मानते है। इन्हें इस देश के कानून की भी परवाह नहीं।


चित्र साभार गूगल


भारत सरकार की उक्त कार्यवाही पहली बार नही हुई है। गृहमंत्रालय सतत नजर बनाए हुए है, कार्यवाही कर रहा है। कुछ दिन पहले भी केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 4 ईसाई संगठनों के विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA) लाइसेंस को सस्पेंड कर दिया था। जिन चार ईसाई समूहों का FCRA सस्पेंड किया गया है, उनमें
1) झारखंड का Ecreosoculis North Western Gossner Evangelical, 2) मणिपुर का Evangelical Churches Association (ECA),
3) झारखंड का Northern Evangelical Lutheran Church
4) मुंबई स्थित New Life Fellowship Association (NLFA) शामिल हैं।

क्या आप जानते है, क्या है विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA)?
नहीं न? संक्षेप में जान जाएं कि-

किसी भी संगठन के लिए विदेश से चंदा प्राप्त करने के लिए गृह मंत्रालय से FCRA की मँजूरी होना अनिवार्य है। इस लाइसेंस के नहीं होने से संस्थान या संगठन विदेश से चंदा या वित्तीय योगदान मँगाने में कानूनी रूप से सक्षम नहीं होता है।
देश के कानून के अनुसार ऐसे अनुचित कार्यो के लिए प्रावधान है। विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA) 2010 के प्रावधानों के अनुसार प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराना गैर-कानूनी है। इस अधिनियम के सेक्शन 12(4) के अनुसार सक्षम अधिकारी किसी NGO या संगठन को धार्मिक गतिविधियों से परे लोभ-लालच-प्रलोभन देकर धर्मांतरण करने की स्थिति में उसका लाइसेंस सस्पेंड कर सकते हैं। मांग तो यह होनी चाहिए कि अनुचित लोभ, लालच, भय, हिंसा या किसी भी प्रकार के धर्मांतरण के विरुद्ध शख्त कानून बनाया जाए। देश की संस्कृती, देश की सभ्यता और पहचान बनाए रखने के लिए धर्मांतरण रुकना ही चाहिए।।

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