संस्कार युक्त जीवन का आदर्श है नरेंद्र भाई मोदी




नरेंद्र भाई मोदी बचपन से ही संघ (आर.एस.एस.) के सम्पर्क में आ जाने के कारण राष्ट्रदर्शन और सामाजिक संस्कार युक्त जीवन के पथ पर आगे बढ़ते रहे।

प्रथम दिन लोकसभा में जाने से पूर्व लोकसभा की चौखट को दंडवत करना,अपने भाषण में वयं राष्ट्र जागृत्व अर्थात हम सभी अपने राष्ट्र को शाश्वत और जागृत रखेंगे, जैसे राष्ट्रीय भाव का बोध करवाना ही अंत:करण से राष्ट्र के प्रति प्रेम का प्रकटीकरण है।
राजनेता येन-केन प्रकारेण अपने पद/प्रभाव का उपयोग (दुरूपयोग) कर पैसा कमाने व राजनीति में परिवार को स्थापित करने के एकमेव एजेंडे पर चलते हैं। जबकि नरेंद्रभाई मोदी ने मानवता की सेवा में अपने कोष से 103 करोड़ रुपये का सहयोग दिया है।
  • इसके अलावा गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए प्राप्त उपहारों की निलामी से मिले 90 करोड़ रुपये कन्या केलवनी कोष में
  • 2014 में प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने से पहले गुजरात सरकार के कर्मचारियों की बेटियों की पढ़ाई के लिए अपनी बचत से 21 लाख रुपये, 2015 में उपहारों की निलामी से 8.35 करोड़ रुपये
  •  नमामि गंगे अभियान में, गतवर्ष कुंभमेले में स्वच्छता कर्मचारियों के लिए बनाऐ कोष में 21 लाख रुपये, एवं कुंभ मेले में सफाई कर्मियों के पैर धोकर उन्हें अंगवस्त्र भेंट करने,
  • सियोल पीस प्राईज में मिले 1.3 करोड़ रुपये एवं स्मृति चिन्हों की निलामी से प्राप्त 3.40 करोड़ रुपये स्वच्छ गंगा मिशन में
  • हाल ही में बने पीएम केयर्स फंड में 2.25 लाख रुपये देने ।
एसे मानवीय संस्कारों का आदर्श स्थापित करते हुए अपने पद/प्रभाव के लाभ से परिजनों को दूर ही रखा है। प्रधानमंत्री रहते हुए अटलजी की अंतिम यात्रा में लगभग 5 किलोमीटर पैदल चलना भी संस्कार युक्त जीवन की पहचान है!
लेखन -गंगा सिंह राजपुरोहि

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