राजनीति के घोड़े के ढाई घर

कभी कभी सोचते है तो बहुत ही आश्चर्य होता है कि हमारा नेतृत्व कहाँ तक सोच लेता है।

अब ध्यान से सोचें तो समझ आएगा कि बीजेपी ने ... शिवसेना से अलग होना मंजूर किया था लेकिन उद्धव को मुख्यमंत्री बनाना स्वीकार नहीं किया था ऐसा क्यों?

सोशल मीडिया में ज्यादातर लोगों का आकलन था कि बीजेपी ने सत्ता लोभ के कारण मुख्यमंत्री पद शिवसेना को नहीं दे रही है।

लेकिन, अब शायद ये समझ आ गया होगा कि बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद शिवसेना को क्यों नहीं दिया।

क्योंकि, शिवसेना और बीजेपी 30 से भी ज्यादा वर्षों से एक-दूसरे के सहभागी रहे थे, इसीलिए बीजेपी को शिवसेना की कार्यप्रणाली अच्छे से मालूम होगी।

इसीलिए, कुछ विद्वानों आकलन है कि.... बीजेपी को ये अंदरूनी बात भी मालूम होगी कि.... शिवसेना के बॉलीवुड माफिया, मुंबई के ड्रग माफिया, दाऊद आदि के साथ कैसे संबंध हैं ???

साथ ही बीजेपी को शिवसेना के "हिंदूवादी पार्टी" की असलियत भी मालूम होगी।

लेकिन, चूँकि.... शिवसेना की छवि एक कट्टर हिंदूवादी पार्टी की ही थी इसीलिए जनता उस सच को स्वीकार नहीं करती।

इसीलिए... शिवसेना को नंगा करने करने के लिए उसे दुश्मन खेमे के साथ जाने दिया गया।

और, राजनीतिक रूप से नौसिखुआ और राजनीति की जगह गुंडई पर विश्वास करने वाली शिवसेना पूरी तरह जाल में उलझ गई।

पहले खान्ग्रेस और NCP के साथ गठबंधन...

फिर , पालघर मामला और अब कंगना के साथ किए गए इस व्यवहार ने .... जनता के सामने शिवसेना की कलई पूरी तरह खोल के रख दी है।


चित्र साभार


भारत के जनता (हिन्दुओं) की एक खूबी यह भी है कि वो बोलती कम है लेकिन समझती ज्यादा है।

और फिर...
महाराष्ट्र तो वीर शिवाजी की धरती है जिन्होंने मुगलों की ईंट से ईंट बजा दी थी...!

जाहिर सी बात है कि महाराष्ट्र की जनता भी हर एक घटना को बारीकी से देख और समझ रही है अपने तथाकथित हिंदूवादी पार्टी की असलियत।

इस तरह.... बीजेपी के किसी को कुछ नहीं बताया ....

बल्कि, राजनीतिक नौसिखुएपन में शिवसेना खुद ही सबको चीख चीख के बता रही है कि वो हिंदूवादी पार्टी नहीं है बल्कि....
बॉलीवूड के खान गैंग, ड्रग माफिया और क्राइम माफिया की सरपरस्त पार्टी है।

और... ये बताने की आवश्यकता नहीं है कि सत्ता कभी किसी के पास आजीवन नहीं रहती है... क्योंकि, हर 5 साल में चुनाव आते हैं।

इस बार के आगामी चुनाव में बीजेपी के सामने हिंदूवादी पार्टी के रूप में कोई प्रतिद्वंदिता नहीं रहेगी।

शिवसेना का खेल खत्म हो चुका है और अब वो चाहकर भी एक हिंदूवादी पार्टी होने का दावा नहीं कर पायेगी क्योंकि अब चुनाव में उससे कई चुभते सवाल किए जाएँगे जिसका कोई जबाब उसके पास नहीं होगा।

अंत में इस सवाल का जबाब कि इन सब घटनाक्रम में आखिर बीजेपी कर क्या रही है तो इसका जबाब के कोई भी न्यूज चैनल खोल कर देख लें। हर न्यूज चैनल में मुसरिम, जेहादी तत्व, ड्रग माफिया और वामपंथी शिवसेना का बचाव कर रहे हैं और बीजेपी के प्रवक्ता कंगना के साथ खड़े हैं।

जानकारी के अनुसार बीजेपी... BMC के मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने जा रही है। बीजेपी ने अपने सभी विधायकों और पार्षदों को अपने इलाके के अवैध निर्माण की सूची तैयार करने को कहा है।

मतलब कि.... आगामी समय शिवसेना के लिए बहुत भारी पड़ने वाला है और निकट भविष्य में शिवसेना का अंत बिल्कुल साफ दिखाई दे रहा है।

इसीलिए राजनीति के संबंध में हमेशा एक बात सत्य है कि राजनीति शतरंज के घोड़े की तरह ढाई घर चलती है।

राजनीति में जो दिखता है वो होता नहीं है और जो होता है वो दिखता नहीं है।

क्योंकि, राजनीति में PDP के साथ सरकार बनाकर भी PDP के नेस्तनाबूत किया जा सकता है और शिवसेना के साथ सरकार न बनाकर भी उसे ठिकाने लगाया जा सकता है।

जय महाकाल....!!!

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