रिया का इंटरव्यूह एक षड्यंत्र


जब इंटरव्यू राजदीप सरदेसाई जैसा कुख्यात, कुकर्मी, पक्षपाती और लतखोर पत्रकार ले रहा है, प्रसारण आजतक जैसे अहंकारी और trp में पिछड़ने पर असहज दिखने वाले चैनल पर हो रहा है, तब यह निश्चित है कि इसके पीछे कोई षड्यंत्र अवश्य है और कोई बड़ी योजना के तहत एडवांस में पाल बांधी जा रही है।

पूरे इंटरव्यू को मैनेज किया गया है, कई टेक में पूरा किया गया है, प्रतीत होता है रिया के वकीलों ने प्रश्नावली बनाकर राजदीप को थमाई है और कहीं भी पूरक प्रश्न नहीं किया गया है। इंटरव्यू के दौरान राजदीप की चिरपरिचित मक्कारी गायब है, ऐसा लगता है पास ही नेपथ्य में रिया से सम्बंधित कोई बहुत बड़ी टीम भी खड़ी है।

रिया चक्रवर्ती की अभिनय क्षमता का पूरा प्रदर्शन हुआ है। साउंड, हावभाव और कैमेरा एकदम फिल्मी है। मेकअप, वस्त्रों का चयन, बहुत कम भाव परिवर्तन और जितना हो सके सहज दिखने की कोशिश की गई है, हालांकि जो गांजा के अनुभवी हैं वे यह बात ताड़ जाएंगे कि जब कोई ड्रग छोड़ रहा होता है तो जो हावभाव होते हैं, कुछ वैसा ही यहाँ भी दिखता है।
बताने ज्यादा यह छिपाने का खेल लग रहा है।

AU के प्रश्न पर आदित्य की बजाय उसे एक सहेली पर शिफ्ट करना, मैं उनसे कभी मिली ही नहीं जैसे उत्तर और सत्य की जीत होती है जैसी पटकथा पर जो एक्टिंग की गई है, भारतीय जनमानस की बुद्धि को कुंद करने के लिए पर्याप्त है। गैंग के प्रश्न पर अनजान बनना और कुछ ऐसे संकेत देना जिससे कि बाहर की कथाएँ, अफवाहें और भ्रम और पुष्ट हो, ऐसा तानाबाना स्पष्ट दिखाई देता है। मुंबई पुलिस और महेश भट्ट मुद्दे को बाईपास दिया गया है।

कुछ ऐसी बातें बताई गई है जिनका उत्तर केवल सुशांत ही दे सकता था, जैसे कि वह ड्रग एडिक्ट था और वह उसे उबारना चाहती थी, metoo कैम्पेन, बहिन की बुरी आदतें, माँ के अभाव में उसके लिए कुर्बानी देना, परिवार की कमी को पूरा करना, यह सब कुशल षड्यंत्र के अंग दिखते हैं। 

 विक्टिम कार्ड खेलना, जैसे कि इतनी सुंदर लड़की, ये तो बिचारी सुशांत को संभाल रही थी। मिडल क्लास फेमिली, कभी नशा नहीं किया, माँ बीमार होने वाली है, डिप्रेशन, मैं खुद भी आत्महत्या कर लूँगी, मेरे परिवार को गोली मार दो…. कुल मिलाकर मनोरंजन में कोई कमी नहीं है। 

और अंत में हम आप जैसे लोगों को एक सलाह।

ये जो चैनल कह रहे हैं वह सब trp युद्ध है, सबकुछ ध्यानाकर्षण की स्टोरीज हैं, इतना जल्दी कोई निर्णय नहीं होने वाला। सीबीआई अपने हिसाब से काम करेगी। न्यायालय में ये मुद्दे वर्षों तक लटके रहेंगे। नई नई कहानियां भी बनती रहेंगी। अतः भटकें नहीं। हम अपने लक्ष्य की तरफ केंद्रित रहें। अभी तो आरम्भ है, कई मोर्चों पर सुसन्देश आने शेष हैं।

सुशांत सिंह को सादर श्रद्धांजलि!!

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