विश्व की अनुभूति, ईश्वर और आप
हां मैनें भगवान को महसूस किया है। हर पल हर समय हर जगह महसूस करता हूँ। यदि आप विज्ञान जानते है तो आप भी भगवान को अनुभव कर सकते है।
आधुनिक विज्ञान पदार्थ विज्ञान है। विश्व मे जो जो पदार्थ है वहां वहां विज्ञान है। किंतु इन भौतिक पदार्थो से परे भी विश्व है। फिलहाल हम पदार्थ विज्ञान अर्थात आधुनिक विज्ञान की बात करते है।
यदि आप जीव विज्ञान जानते है। जीवन के बारे में जानते है तो बहुत आश्चर्य होगा कि सुक्ष्म से लेकर बड़े जीव तक सभी अपनी सुरक्षा के प्रति सजग है। यह भाव सब म् समान रूप से कैसे आया? ईश्वर की उपथिति यही तो है।
जरा शरीर क्रिया विज्ञान का अध्ययन कीजिये। हमारे शरीर मे हजारों आश्चर्य भरे पड़े है। इन सब का नियमन कौन कर रहा है? आप कहेंगे मस्तिष्क। चलिए मस्तिष्क का नियमन? आप कहेंगे हार्मोन, एंजाइम। चलिए हार्मोन का? आप कहेंगे डीएनए। इस तरह आप अणु परमाणु तक प्रवेश कर जाएंगे। अर्थात रसायन विज्ञान।
आइए रसायन विज्ञान की बात करते है। पदार्थो की रासायनिक क्रिया, अक्रिय का निर्धारण कौन करता है? मैं कहूंगा ईश्वर। आप कहेंगे उनका परमाणु क्रमांक या इलेक्ट्रिन विन्यास। तो बताइए इलेक्ट्रॉन क्या है? अभी तय नहीं कि यह कोई कण भी है कि नहीं। छोड़िए, यह परमाणु के चारो और क्यो घूमता है? कौन घूमता है? आप परमाण्वीय भौतिक में प्रवेश कर जाएंगे। प्रोटोन इलेक्ट्रॉन के बल आदि।
चलिए भौतिक की बात कर लें….
समझ गए न? आधुनिक विज्ञान की जहां अंतिम सीमा आ जाती है उसके आगे भी यह जगत है। इसके आश्चर्य है। इस यूनिवर्स में करोड़ो आकाशगंगा है। प्रत्येक में करोड़ो तारे है। हर तारे का सौरमण्डल है। ये सब आकाश गंगाएं विस्तारित हो रही है। यह सब अंतरिक्ष विज्ञान कहता है। मेरा प्रश्न है कि इस क्या यूनिवर्स के बाहर भी कोई स्थान है जहां यह फैल रहा है? तो फिर इसके बाहर क्या है?
बस यही कि जहां मानवीय पदार्थ विज्ञान की तर्क क्षमता, अनुसन्धान क्षमता, प्रमाणिकता समाप्त हो जाती है वहां भी जगत है। इसका अर्थ है कि इसका कोई नियंता है जिसे हम जानते नहीं मात्र अनुभव कर सकते है। तो फिर अपने आस पास हर पल, हर क्षण, प्रति दिन भी उसकी अनुभूति कीजिये।
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