हरदिन_पावन पुण्य स्मरण





सप्तक के प्रेरणा स्रोत पूज्यनीय पंडित महावीर प्रसाद जी शर्मा की पुण्यतिथि 9 अक्टूबर 1995 और वात्सल्यमयी आदरणीय कुंती देवी शर्मा जी की पुण्य स्मृति के अवसर पर विशेष

अजमेर : उत्तर प्रदेश में टूण्डला जिले के मरसैना गांव के पंडित दामोदर प्रसाद शर्मा के घर ब्राह्मण परिवार में जन्म हुआ । पढ़ाई-लिखाई की तीव्र इच्छा के कारण वहां से अपनी बहिन के पास अजमेर आ गए । यहीं पर पढ़ाई के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में रुचि होने से वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता बने और जीवन पर्यन्त रहे । संघ के प्रचारक रहे किंतु पारिवारिक स्थिति की वजह से रेलवे में अपनी सेवाएं दी । संघ पर प्रतिबंध के समय रेलवे की सेवा को छोड़कर सत्याग्रह में गए जहां 6 महीने जेल में रहे। वहां से आने के पश्चात पुन: जीवन को सुचारू किया। अंत समय तक शिक्षा एवं समाज को समर्पित रहे।

अजमेर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जनसंघ, भारतीय जनता पार्टी के आधार स्तम्भ रहे। उन्होंने कई दायित्वों का निर्वाह किया एवं अपने सादगीपूर्ण जीवन से अनेकों को प्रेरणा प्रदान करी। चाटुकारिता से परे, निस्वार्थ भाव से अपने काम को करने में पूर्ण संतुष्ट होना, पद की लालसा न होना यही उनके जीवन का अंग था। बच्चों की हर अच्छी बात पर उनकी पीठ थप-थपाना, उन्हें अच्छाई के लिए प्रेरित करना उनकी दिनचर्या में शामिल था। उन्ही के आदर्शों को ध्यान में रखकर, प्रेरणा पाकर सप्तक की स्थापना की गई। उनके दिखाए हुए मार्ग पर चलते हुए समर्पित भाव से कला और संस्कृति की सेवा कर सकें, अपने लिए ही न जीकर समाज व देश के लिए जीएं व इस कथन को चरितार्थ करें तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें ना रहें। यही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।




-पावन स्मृति में हर वर्ष "समर्पण" कार्यक्रम

विगत 23 वर्षों से सप्तक के प्रणेता पंडित महावीर प्रसाद जी शर्मा एवं श्रीमती कुंती देवी शर्मा की पावन स्मृति में सप्तक परिवार हर वर्ष 9 अक्टूबर हो "समर्पण" कार्यक्रम आयोजित करता है जिसका मूल उद्देश्य बच्चों में उन्नत संस्कार, नैतिक मूल्य एवं सांस्कृतिक विचार, चाहे एकल नृत्य हो सामूहिक गीत हो, कवि प्रदीप के गीत, कविता, भजन, "स्वामी दयानंद बनो" जैसी रूप सज्जा प्रतियोगिताओं व अन्य कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों को निस्वार्थ भाव से मंच प्रदान करना भी है ।

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