विदेशी अंशदान (नियमन) कानून (एफसीआरए) में बदलाव




एफसीआरए का फुल फॉर्म “Foreign Contribution Regulation Act” होता है, जिसे हिंदी भाषा में विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम कहा जाता है। जिस एनजीओ (NGO) या समाज सेवी संस्था को यह FCRA में पंजीयन प्राप्त हो जाता है तो वह विदेशी अंशदान भी प्राप्त कर सकते हैं। एक निश्चित सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षणिक, धार्मिक या सामाजिक कार्यक्रम के लिए अंशदान लिया जा सकते है।




देश में धर्मान्तरण, नक्सली गतिविधियां विकृत संस्कृति फैलाने जैसे राष्ट्रविरोधी कार्यों में संलग्न गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) विगत 70 वर्षो से सता का संरक्षण पाकर फल- फूल रहे थे! वर्तमान सरकार ने इनकी संदिग्ध गतिविधियों पर अंकुश लगाने,विदेशों से प्राप्त चंदे की राशि में पारदर्शिता लाने के लिए किये संशोधन
अब किसी भी एनजीओ के पंजीकरण के लिए पदाधिकारियों के आधार नंबर जरूरी होंगे और लोक सेवक के विदेशों से रकम हासिल करने पर पाबंदी होगी। विदेशी कोष का 20 प्रतिशत से ज्यादा प्रशासनिक खर्चे में इस्तेमाल नहीं होगा!

राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाली गतिविधियों पर नियंत्रण रखने के लिए सरकार ने इसके अलावा भी अहम बदलाव किए हैं। जिनमें विदेश से प्राप्त चंदे को संस्था अपनी सहयोगी कंपनी या उससे जुड़े लोगों के खाते में नहीं भेज पाएगी। जबकि अब तक आमतौर पर विदेशी चंदे को एनजीओ अपनी सहयोगी कंपनी को स्थानांतरित कर,अपने घृणित/देशविरोधी गतिविधियों की पूर्ति करता था एवं विदेश से चंदा सिर्फ एक ही बैंक की एक ही शाखा में प्राप्त किया जा सकेगा। जिसे बैंक ने FCRA अकाउंट घोषित किया हैं, उस खाते में विदेशी चंदे के अलावा कोई पैसा जमा भी नहीं होगा!
एक स्वतंत्र राष्ट्र विदेशों से चंदा प्राप्त करने वाले एनजीओ एवं एनजीओ की संदिग्ध गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए सदन में बिल लाता है और विपक्ष इसके बचाव में सदन का बहिष्कार करता है। ऐसा विपक्ष केवल भारत में ही है!


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार: इतिहास की गलतियों से सबक लेने का समय"

सिंध और बंगाल के लिए स्वायत्त हिंदू अल्पसंख्यक परिक्षेत्र की आवश्यकता

बांग्लादेश में तख्ता पलट का षड्यंत्र: अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का एक नमूना