अभी तो मीलों चलना है




हार है ना जीत है
न हार जीत का प्रश्न है
तीर अरि प्रहार कर ले
ढाल मेरी मजबूत है।

राह सत्य सनातन है
प्रहार नित नवीन है
दिव्य ज्योति प्रदीप्त है
लक्ष्य मेरा स्पष्ट है।

हम चले पड़ाव किए
पड़ाव दूरी बिंदु हुए
पग-पग पूजित शब्द हुए
राह कंटक पुष्प हुए।

कदम कदम चलना है
पुनर्जीवन देना है
भारत माँ पुकारती
अभी तो मीलों चलना है।

लेखक "सागर"महेंद्र थानवी।
फोटो साभार-मनु महाराज

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