मैं अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति हूँ आखिरी नहीं: कमला हैरिस
मैं अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति हूँ आखिरी नहीं: कमला हैरिस ने यह कहकर लोकतंत्र में सम्भावनाओं के खुले द्वार का संकेत किया है। कौंन है कमला हैरिस? भारत से इनका क्या सम्बन्ध है? कमला हैरिस के चुने जाने से भारत में उत्साह क्यों है? आइए जानते है...
अमेरिका से हजारों मील दूर दक्षिण भारत के सुदूर एक गांव में अमेरिकी चुनाव में कमला हैरिस की जीत का जश्न मनाया जा रहा है। तमिलनाडु के तिरुवरुवर के गांव थुलासेंद्रापुरम में लोग रंगोली बना रहे हैं, कमला हैरिस की फोटो साथ में लेकर खूब आतिशबाजी की जा रही है। मीडिया भी इसको लेकर बहुत उत्साहित है। भारतीय मीडिया में विशेष उत्साह नजर आ रहा है।
दरअसल, यही वो गांव है जहां अमेरिका की उपराष्ट्रपति बनने जा रहीं कमला हैरिस की मां श्यामला गोपालन रहती थीं। श्यामला गोपालन मात्र 19 साल की उम्र में भारत से अमेरिका चली गई थीं। अब 150 घरों के इस गांव में कमला की जीत का जश्न मनाया जा रहा है।
रविवार सुबह इस गांव के घर के बाहर रंगोली बनाई गई और लिखा गया 'बधाई हो कमला हैरिस', 'आप हमारे गांव का गर्व हो', 'वनक्कम अमेरिका।'
इस गांव के लोगों ने पटाखे जलाए और मिठाइयां बांटी साथ ही कमला हैरिस को बधाई दी।
इस गांव के कालिदास वांद्यार नाम के शख्स ने कहा, ये बेहद गर्व भरा एहसास है कि हमारी अपनी लड़की अमेरिका की उपराष्ट्रपति बन रही है, हमें उम्मीद है कि वह किसी दिन यहां आएंगी, जब नतीजे आए तो हमने मिठाइयां बांटी।
वैसे तो किसी भी देश के चुनावों की तुलना में अमेरिका के चुनाव पर हर देश के नागरिकों की दृष्टि रहती है और फिर इस बार विशेष ध्यान था। पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प की हार और बाइडेन की जीत उलटफेर के रूप में देखी जा रही है। किंतु भारत में राष्ट्रपति चुनाव से अधिक अमेरिका के उपराष्ट्रपति चुनाव की चर्चा अधिक होने लगी है। कारण स्पष्ट है भारतीय मूल्य की कमला हैरिस का उप राष्ट्रपति चुना जाना।
भारतीय परंपरा में पली बढ़ी-
कमला हैरिस की मां भारतीय हैं और उनके पिता जमैका के हैं। 5 वर्ष की आयु में पिता के अलग होने के बाद अकेली मां श्यामला गोपालन ने कमला और उनकी बहन माया का पालन पोषण किया। मां ने कमला का पालन पोषण भारतीय संस्कृति के अनुरूप किया।
साझा संस्कृति का गर्व-
कमला हैरिस वर्तमान में कैलिफोर्निया की सीनियर सेनेटर है। वे 2018 में अपनी आत्मकथा "द ट्रुथ वी टोल्ड" में लिखती है-
लोग मेरा नाम किसी विराम चिन्ह यानी, comma- la की तरह बोलते हैं। वह अपने नाम का अर्थ बताते हुए कहती है कमला का मतलब है, कमल का फूल भारतीय संस्कृति में इसका बहुत महत्व है। कमल का पौधा पानी के नीचे होता है। फूल पानी के सतह के ऊपर खिलता है। जड़े नदी के तल से मजबूती से जुड़ी होती है। कमला को अपनी साझा संस्कृति पर गर्व है। वह और उनकी बहन माया ऐसे घर में बड़ी हुई जो ब्लैक अमेरिकी कलाकारों के संगीत से गूंजता रहता था।
पिता डोनाल्ड हैरिस के अलग होने के बाद उनकी परवरिश उनकी मां ने सिंगल हिंदू मदर की तरह कि उनकी मां कैंसर रिसर्चर और मानव अधिकार कार्यकर्ता है। श्यामला और उनकी दोनों बेटियों को "श्यामला एंड द गर्ल" के नाम से जाना जाता है।
वाशिंगटन पोस्ट ने पिछले साल लिखा था हैरिस अपनी भारतीय संस्कृति के साथ पलती हुई बड़ी हुई है, लेकिन वह बड़े ही शान से अपनी अफ्रीकी अमेरिकी जिंदगी जीती है।
सीनेट की सदस्य 55 वर्षीय कमला कहती है कि वे अपनी पहचान से जूझने की बजाय स्वयं को अमरीकी कहलाना पसंद करती है। किंतु जो लोग उन्हें जानते हैं वह कहते हैं कि वे दोनों समुदायों में भली-भांति घुलमिल जाती है।
कुछ तथ्य
-2004 में उनकी ओबामा से दोस्ती हुई
-2010 में वे कैलिफोर्निया की अटॉर्नी बनी उन्हें 56.5% वोट मिले। वह पहली अश्वेत महिला थी।
-2014 में उन्होंने विवाह किया।
-2016 में कैलिफोर्निया से जूनियर अमरीकी सीनेटर चुनी गई।
हालांकि 2008 में रिपब्लिकन पार्टी मैं सारा पैलीन को उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया था और 1984 में डेमोक्रेटिक पार्टी ने गिरालडिन फेरारो को उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया था लेकिन यह दोनों ही चुनाव हार गई थी।
भारतीय परंपराओं से प्रेम-
भारतीय मूल की अमेरिकी कॉमेडियन और अभिनेत्री मिंडी कैनिंग ने अपने यूट्यूब पेज पर एक वीडियो पोस्ट किया। जिसमें वह भारतीय भोजन बनाते हुए दिख रही है। इसमें उनके साथ कमला हैरिस भी है। वे दोनों अपनी साझा दक्षिण भारतीय पृष्ठभूमि पर बात करती दिख रही है। उन्हें भारतीय परंपराओं से प्रेम है। बहुत से लोग उनकी भारतीय विरासत के बारे में नहीं जानते हैं। वीडियो में केलिंग हैरिस से पूछती है कि क्या वह दक्षिण भारतीय खाना खाते हुए बड़ी हुई है? इस पर कमला एक के बाद एक भारतीय भोजन का नाम लेते हुए दिखती है। वह कहती है कि वह खूब सारा चावल, दही, आलू की रसेदार सब्जी, दाल और इडली खाते हुए बड़ी हुई है।
आत्मकथा में कमला लिखती है कि कैसे वह घर पर भारतीय बिरयानी और स्पेगेटी बोलोगनीज दोनों बनाती है।
जीवन साथी-
जब कमला ने 2014 में वकील डग्लस एम्प हॉफ से शादी की तो इसमें भारतीय और यहूदी परंपरा दोनों निभाई गई। कमला ने डग्लस को फूलों की माला पहनाई, जबकि डगलस ने यहूदी परंपरा के तहत पैर से कांच तोड़ी।
अफ्रीकी अमेरिकी राजनीतिक नेता के तौर पर पहचान-
कमला हैरिस की छवि एक अफ्रीकी अमेरिकी राजनीतिक नेता के रूप में अधिक मजबूत है। खासतौर पर हाल ही में अमेरिका में "ब्लैक लाइट मैटर आंदोलन" के दौरान उन्हें अफ्रीकी अमेरिकी राजनीतिक नेता के तौर पर देखा गया। किंतु भारतीय मूल के अमेरिकी लोग भी उन्हें अपने समुदाय का ही मानते हैं।
मां का गहरा प्रभाव-
कमला के लिए उनकी मां बड़ी प्रेरणा रही है। उनकी मां श्यामला गोपालन का जन्म चेन्नई में हुआ था उनकी मां 19 वर्ष की आयु में दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन करने के बाद बर्कले ग्रैजुएट प्रोग्राम के लिए अमेरिका पढ़ने गई। 1958 में न्यूट्रीशन और एंडोक्राइनोलॉजिस्ट पीएचडी करने के लिए भारत से वे निकल पड़ी। बाद में ब्रेस्ट कैंसर के फील्ड में रिसर्चर गई। हैरिस मानती है तब उनकी मां को विदेश जाने की इजाजत देना उनकी नानी और नाना के लिए कितना मुश्किल रहा होगा। उनकी मां पढ़ाई पूरी कर वतन लौट कर घर बसाना चाहती थी। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। उनकी मां और पिता की मुलाकात बर्कले में हुई। मानव अधिकार आंदोलन में हिस्सा लेते हुए वह प्यार में पड़ गए। उनकी मां ने अमेरिका में रहने का फैसला लिया। यह आत्मनिर्णय और प्रेम की पराकाष्ठा थी। कमला के नाना पीवी गोपालन भारत सरकार में सीनियर राजनयिक थे। जमैका की आजादी के बाद उन्होंने वहां शरणार्थियों को बसाने में मदद की।
अपनी जीत के बाद वह भावुक होते हुए अपनी मां को याद करती है। भाषण देते हुए उन्होंने कहा कि मैं आज उस महिला को याद कर रही हूं जो मेरे यहां तक पहुंचने के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार है। मेरी मां श्यामला गोपालन है। जो हमेशा दिल में रहती है। जब वह भारत से यहां आए तो सिर्फ 19 साल की थी। तब उन्होंने ऐसी किसी घटना (की उनकी बेटी उपराष्ट्रपति बनेगी) के बारे में सोचा भी नहीं होगा। लेकिन वह दिल की गहराई से मानती थी कि अमेरिका में ऐसा हो जरूर सकता है। इसलिए मैं आज उनके बारे में सोच रही हूं। मैं उनके जैसी तमाम और अश्वेत महिलाओं के बारे में सोच रही हूं।
वे आगे कहती है अश्वेत महिलाओं को तो अक्सर अनदेखा किया गया। लेकिन उन्होंने हमेशा साबित किया कि वह हमारे लोकतंत्र की रीढ़ है। आज की रात में उन तमाम महिलाओं के संघर्ष, उनकी सोच, उनके मजबूत इरादों के प्रतिबिंब के रूप में आपके सामने हूं। उनके कंधों पर सवार हूं। मैं इस पद पर पहली महिला जरूर हूं मगर आखिरी नहीं। आज हर बच्ची देख रही है कि यह संभावनाओं का देश है।
वे आगे कहती है मैं यह हर बच्चे से चाहे वह लड़का हो या लड़की कहना चाहती हूं कि हमारे देश में स्पष्ट संदेश दिया है। महत्वाकांक्षाओं के साथ ख्वाब देखिए दृढ़ता से आगे बढिये, खुद को इस तरह देखिए जैसा कोई और आपको नहीं देख पाया।
ठीक ही है सांसद जॉन लेविस ने दुनिया छोड़ने से पहले लिखा था- लोकतंत्र कोई व्यवस्था नहीं है। यह एक क्रियाकलाप है। उनका मतलब यह था कि लोकतंत्र कोई गारंटी नहीं है। यह उतना ही मजबूत होगा जितनी इसके लिए लड़ने की हमारी इच्छा होगी। लोकतंत्र हमसे संघर्ष की मांग करता है, बलिदान मांगता है। उस प्रक्रिया में एक आनंद है और प्रगति भी। क्योंकि हम लोग भविष्य बनाने की ताकत रखते हैं।
भारतीय संस्कृति को सम्मान देने वाली कमला हैरिस से भारत अमरीकी सम्बन्धो को और अधिक गति मिलेगी इसी आशा के साथ एक आम भारतीय की तरफ से उन्हें बधाई
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