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अंडकोष की सौगंध: इतिहास की एक विचित्र दास्तान

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बहुत समय पहले, जब चर्च के गलियारों में रहस्यमय अफवाहें मंडरा रही थीं, 855 ईस्वी का वह दौर आया जब एक चतुर महिला ने अपनी होशियार चालों से पोप का पद अपने काबू में कर लिया। चर्च के संगमरमर के दरबार में उसकी अनोखी पहचान ने सबकी जुबान पर चर्चा ला दी, परन्तु असली सच्चाई तो अभी सामने आने वाली थी। दो साल बाद, 857 में, उस पोप जॉन के साथ ऐसा अजीबोगरीब प्रसंग घटा कि पूरा चर्च हड़कंप में आ गया। कहा जाता है कि एक अप्रत्याशित प्रसव पीड़ा ने पोप के गुप्त रहस्य का पर्दाफाश कर दिया। जैसे ही उसका असली स्वरूप उजागर हुआ, उसे तत्काल सत्ता से हटाकर सज़ा दे दी गई। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। इस घटना के बाद पोप पद के लिए उम्मीदवारों को एक अत्यंत विचित्र परीक्षा से गुजरना पड़ता था। नए अभ्यर्थी को एक विशेष रूप से सजाई गई कुर्सी पर बैठाया जाता, और एक जिम्मेदार अधिकारी बड़ी ही गंभीरता से उसकी शारीरिक स्थिति का परीक्षण करने लग जाता। अधिकारी अपनी नज़रों से सावधानीपूर्वक जांचते हुए घोषणा करता, “बिल्कुल ठीक हैं… दो हैं पूरे… और लटक भी रहे हैं…” इतना ही नहीं, कुछ स्थानों पर तो पोप के अभ्यर्थी के टेस्टिक...

भारत-अमेरिका मैत्री का नया युग: एक दृष्टिकोण

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भारत-अमेरिका मैत्री का नया युग: एक दृष्टिकोण भारत और अमेरिका के संबंधों को लेकर दुनिया की निगाहें टिकी हुई थीं, और हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बहुप्रतीक्षित मुलाकात ने इन संबंधों को एक नई दिशा दी। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह मुलाकात न केवल द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण रही, बल्कि इससे वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में भी नए बदलाव की संभावनाएं बनीं। आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता इस बैठक में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई रहा। साझा पत्रकार वार्ता में पाकिस्तान, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों का नाम लेकर स्पष्ट संकेत दिया गया कि दोनों देश आतंकवाद के खात्मे के लिए प्रतिबद्ध हैं। इससे पहले, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन की नीतियों को आतंकवाद के खिलाफ ढुलमुल माना जाता था, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने इसे गंभीरता से लिया। व्यापार और रक्षा सहयोग प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। अमेरिक...

क्योंकि भारत यदि विश्व की आत्मा है, तो प्रयागराज उसका प्राण!

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महाकुंभ: आस्था, अध्यात्म और एकता का महासंगम प्रयागराज की पवित्र धरती पर… सर्दी की हल्की ठिठुरन के बीच प्रयागराज की त्रिवेणी तट पर हलचल बढ़ चुकी थी। गंगा, यमुना और सरस्वती के पावन संगम पर आस्था का महासमुद्र उमड़ पड़ा था। दूर-दूर से आए संत, महात्मा, गृहस्थ, सन्यासी, विदेशी श्रद्धालु और कल्पवासी—सबकी आंखों में एक ही लक्ष्य था—महाकुंभ में संगम स्नान और पुण्य लाभ। वह माघी पूर्णिमा की शुभ घड़ी थी। सूरज धीरे-धीरे क्षितिज पर उग रहा था, और उसी के साथ ही आस्था की लहरें संगम में प्रवाहित होने लगीं। श्रद्धालु गंगा मैया की गोद में डुबकी लगा रहे थे, और हर डुबकी के साथ ‘हर हर गंगे’, ‘जय श्रीराम’, ‘हर हर महादेव’ के गगनभेदी जयघोष गूंज रहे थे। कल्पवास: तप, त्याग और साधना का अनूठा अनुभव माघ महीने में लाखों श्रद्धालु अपनी सांसारिक जिंदगी को छोड़कर यहां कल्पवास के लिए आते हैं। एक महीने तक संगम तट पर रहकर ध्यान, जप और तपस्या करते हैं। इस बार भी ऐसे हजारों परिवार आए थे, जिनमें से एक थे बनारस के रामस्वरूप जी। वे अपनी पत्नी और बेटे के साथ पूरे महीने संगम किनारे एक छोटी सी कुटिया बनाकर र...

USAID द्वारा भारत को अस्थिर करने की साजिश थी - चौंकाने वाले खुलासे

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  USAID और भारत ( कैसे भारत को राजनीतिक, विधायी, मीडिया, सामाजिक और सांप्रदायिक एकता के मोर्चों पर अस्थिर किया जा रहा था - चौंकाने वाले खुलासे ) डोनाल्ड ट्रंप ने USAID को बंद कर दिया ट्रंप प्रशासन ने घोषणा की है कि अब वह USAID (यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट) के नियंत्रण में है और इस स्वतंत्र मानवीय सहायता एजेंसी के वैश्विक कार्यक्रमों को बंद कर दिया गया है। ➡️ "ट्रंप प्रशासन ने USAID पर नियंत्रण किया, इसे बंद किया" पूरा लेख पढ़ें USAID की वैश्विक हस्तक्षेप नीति USAID का उद्देश्य राजनीतिक मामलों को प्रभावित करना और कई देशों को अस्थिर करना है। ➡️ USAID ने जॉर्ज सोरोस को $260 मिलियन दिए, जिससे भारत और बांग्लादेश सहित कई देशों में अस्थिरता फैलाई गई। ➡️ ट्रंप से जुड़े एक सोशल मीडिया अकाउंट ने दावा किया कि "जॉर्ज सोरोस ने USAID से 260 मिलियन डॉलर प्राप्त किए और इस धन का उपयोग श्रीलंका, बांग्लादेश, यूक्रेन, सीरिया, ईरान, पाकिस्तान, भारत, ब्रिटेन और अमेरिका में अराजकता फैलाने, सरकारें बदलने और व्यक्तिगत लाभ के लिए किया।" ➡️ "जॉ...

मरु महोत्सव में जैसलमेर की संस्कृति पर सूफियाना तमाचा

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  मरु महोत्सव में जैसलमेर की संस्कृति पर सूफियाना तमाचा पहले तो बता दूं कि सूफिज्म भी इस्लामी आक्रमण ही है बस नाम अलग है। कम्युनिस्ट लोग फैज की प्रसिद्ध  गजल गाते हैं "नाम रहेगा अल्लाह का" तो वे वास्तव में इस्लाम की प्रशंसा में फतेह मक्का के मजहबी गीत ही गाते हैं, कहीं कोई धर्मनिरपेक्षता नहीं है। जैसलमेर में 10 फरवरी की रात मरुमेला के उपलक्ष्य में रंगारंग कार्यक्रम हुआ। ज्योति नूरान नामक कोई गुमनाम सतही "कथित सिंगर" बुलाई गई जिसने सबसे पहले अल्ला हू का 15 मिनट नॉनस्टॉप पारायण करवाया। मै गारंटी से कहता हूँ, इसके मुंह से भारत माता की जय या वंदेमातरम बुलवाओ, पहली बात, इसे उच्चारण भी ढंग से नहीं आएगा और यदि बोल भी गई तो लिबर्ल्स को मूर्च्छा आ जायेगी। दूसरा गीत अली अली था। न कभी अली जैसलमेर आये न ही उनका यहाँ की संस्कृति में कोई योगदान है। जब सिंगर यह तय करके आयी हो कि जैसलमेर अब इस्लामिक कंट्री बन गया है या बनाना है तो वह गा सकती है। उसने गाया भी।  प्रशासन के अधिकारियों सहित तमाम जनता अली के लिए ताली बजाती रही। तीसरा गीत ख्वाजा मेरे ख्वाजा था। वह...

प्रयागराज महाकुंभ 2025: ‘एक थैला, एक थाली’ अभियान ने दिया हरित और स्वच्छ कुंभ का संदेश

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प्रयागराज महाकुंभ 2025: ‘एक थैला, एक थाली’ अभियान ने दिया हरित और स्वच्छ कुंभ का संदेश — विशेष रिपोर्ट प्रयागराज महाकुंभ 2025 का नजारा इस बार कुछ अलग था। हर ओर आस्था की लहरें थीं, लेकिन उनके साथ बहने वाले प्लास्टिक और डिस्पोजेबल कचरे की मात्रा नगण्य थी। यह बदलाव आया ‘एक थैला, एक थाली’ अभियान से, जिसने इस विशाल आयोजन को हरित और स्वच्छ बनाने में ऐतिहासिक सफलता हासिल की। प्रयागराज महाकुंभ 2025 ने न केवल आध्यात्मिक आस्था और भव्यता की परंपरा को बनाए रखा, बल्कि इस बार एक अनोखी सामाजिक एवं पर्यावरणीय क्रांति का साक्षी भी बना। ‘एक थैला, एक थाली’ अभियान ने इसे विशुद्ध धार्मिक आयोजन से आगे बढ़ाकर पर्यावरणीय जागरूकता और सामाजिक सहभागिता का उत्सव बना दिया। स्वयंसेवी प्रयास से शून्य बजट पर असाधारण उपलब्धि समुदाय की भागीदारी और संगठनों के समर्पण से इस अभियान को बिना किसी सरकारी बजट के सफलतापूर्वक संचालित किया गया। 43 राज्यों में फैले 7,258 संग्रहण केंद्रों के माध्यम से 2,241 संगठनों ने इस अभियान को मजबूती दी। इस पहल से 14.17 लाख स्टील की थालियां, 13.46 लाख कपड़े क...

राहुल गांधी का हिंदू बहिष्कार: अविमुक्तेश्वरानंद की साजिश या सुनियोजित रणनीति?

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राहुल गांधी का हिंदू बहिष्कार: अविमुक्तेश्वरानंद की साजिश या सुनियोजित रणनीति? धर्म और राजनीति के रिश्ते हमेशा से जटिल रहे हैं, लेकिन जब कोई संत धर्म के नाम पर राजनीति करने लगे, तो सवाल उठना स्वाभाविक है। हाल ही में, शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने राहुल गांधी को हिंदू धर्म से बहिष्कृत करने की घोषणा की, जिसे लेकर देशभर में बहस छिड़ गई। क्या यह निर्णय धर्म की रक्षा के लिए था, या फिर इसके पीछे कोई और बड़ा खेल चल रहा था? क्या सचमुच राहुल गांधी हिंदू हैं? क्या अविमुक्तेश्वरानंद हिंदू समाज को बांटने की साजिश का हिस्सा बन चुके हैं? इन सवालों के जवाब हिंदू समाज के वर्तमान और भविष्य, दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं। राहुल गांधी: हिंदू धर्म से जुड़े या उससे परे? राहुल गांधी के हिंदू होने का दावा जितना कमजोर है, उससे कहीं अधिक गंभीर सवाल यह है कि क्या उनके हिंदू होने या न होने से वास्तव में हिंदू समाज पर कोई फर्क पड़ता है? राहुल का जन्म एक पारसी पिता और विदेशी मूल की ईसाई मां से हुआ, लेकिन उन्हें गांधी उपनाम और हिंदू पहचान देकर कांग्रेस ने अपने राजनीतिक हित साधे। न कभी उन्हें ह...

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द का राहुल गांधी पर प्रस्ताव यानी "नूरा कुश्ती"

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क्या आपने कभी नूरा कुश्ती देखी है? मैनें तो देखी और समझी भी है।  आज जब सुना कि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के शिविर में राहुल गांधी को हिंदू धर्म से बहिष्कृत करने का प्रस्ताव पारित किया गया है, मुझे "नूरा कुश्ती" याद आ गई। जानते हो क्यों? हिन्दू धर्म से बहिष्कृत करने का अर्थ है कि आप राहुल गांधी हिन्दू है इसे दूसरे मार्ग से स्थापित करते है, चाहे उनके पिता फ़ारसी माता इसाई क्यों न हो। प्रयागराज महाकुंभ में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के शिविर में आयोजित परम धर्म संसद में दो प्रमुख प्रस्ताव पारित किए गए—अमेरिकी प्रशासन के हिंदू विरोधी कृत्यों की निंदा और राहुल गांधी को हिंदू धर्म से बहिष्कृत करने का प्रस्ताव। इस घटनाक्रम को यदि "नूरा कुश्ती" (पूर्व नियोजित संघर्ष) के रूप में देखा जाए, तो इसके पीछे कई ठोस तर्क दिए जा सकते हैं, कुछ तर्क मैं लिख रखा हूँ। 1. कांग्रेस और शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का संबंध स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती कांग्रेस समर्थक माने जाते हैं। उन्होंने कई मौकों पर भाजपा की नीतियों की आलोचना की ह...