अंडकोष की सौगंध: इतिहास की एक विचित्र दास्तान
बहुत समय पहले, जब चर्च के गलियारों में रहस्यमय अफवाहें मंडरा रही थीं, 855 ईस्वी का वह दौर आया जब एक चतुर महिला ने अपनी होशियार चालों से पोप का पद अपने काबू में कर लिया। चर्च के संगमरमर के दरबार में उसकी अनोखी पहचान ने सबकी जुबान पर चर्चा ला दी, परन्तु असली सच्चाई तो अभी सामने आने वाली थी। दो साल बाद, 857 में, उस पोप जॉन के साथ ऐसा अजीबोगरीब प्रसंग घटा कि पूरा चर्च हड़कंप में आ गया। कहा जाता है कि एक अप्रत्याशित प्रसव पीड़ा ने पोप के गुप्त रहस्य का पर्दाफाश कर दिया। जैसे ही उसका असली स्वरूप उजागर हुआ, उसे तत्काल सत्ता से हटाकर सज़ा दे दी गई। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। इस घटना के बाद पोप पद के लिए उम्मीदवारों को एक अत्यंत विचित्र परीक्षा से गुजरना पड़ता था। नए अभ्यर्थी को एक विशेष रूप से सजाई गई कुर्सी पर बैठाया जाता, और एक जिम्मेदार अधिकारी बड़ी ही गंभीरता से उसकी शारीरिक स्थिति का परीक्षण करने लग जाता। अधिकारी अपनी नज़रों से सावधानीपूर्वक जांचते हुए घोषणा करता, “बिल्कुल ठीक हैं… दो हैं पूरे… और लटक भी रहे हैं…” इतना ही नहीं, कुछ स्थानों पर तो पोप के अभ्यर्थी के टेस्टिक...