16 दिसंबर 1971: भारत का विजय दिवस कैसे तेरह दिन में टूट गया पाकिस्तान
पाकिस्तान, जो कभी भारत का ही हिस्सा था, अपनी स्थापना से पहले ही भारत के खिलाफ षड्यंत्र रचने लगा था। विभाजन के बाद भी वह अपने "जन्मदाता" भारत को मिटाने के मंसूबे पालता रहा। इन्हीं साजिशों का परिणाम था 1971 का युद्ध, जो केवल 13 दिनों में पाकिस्तान की हार और एक नए देश, बांग्लादेश, के जन्म का कारण बना। लेकिन आज, जिस बांग्लादेश के लिए भारतीय सैनिकों ने बलिदान दिया, वही अब पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत के खिलाफ षड्यंत्र रच रहा है।
1971: दुनिया का सबसे छोटा निर्णायक युद्ध
1971 का युद्ध इतिहास में सबसे छोटे लेकिन निर्णायक युद्धों में गिना जाता है। यह संघर्ष 3 दिसंबर को शुरू हुआ और 16 दिसंबर को समाप्त हुआ, लेकिन इसकी पृष्ठभूमि बहुत पहले से तैयार हो रही थी। 1947 में विभाजन के समय, बंगाल का पूर्वी हिस्सा पाकिस्तान का हिस्सा बना और "पूर्वी पाकिस्तान" कहलाया। लेकिन भाषा और संस्कृति के मतभेद शुरू से ही गहराते गए।
पूर्वी पाकिस्तान के बंगाली लोग अपनी भाषा, संस्कृति और पहचान को बनाए रखना चाहते थे, जबकि पाकिस्तान के शासक उन पर उर्दू और अरबी थोपना चाहते थे। 1948 से ही बंगाली भाषा को लेकर आंदोलन शुरू हो गए, जो 1950 में व्यापक हिंसा और सैन्य दमन का कारण बने। यह दमन 1968 के बाद और बढ़ गया। अंततः पूर्वी पाकिस्तान के लोग "मुक्ति वाहिनी" के बैनर तले संगठित हुए और शेख मुजीबुर्रहमान उनके नेता बनकर उभरे।
बर्बरता की इंतहा और शरणार्थियों की समस्या
पाकिस्तानी सेना ने बंगालियों पर अमानवीय अत्याचार किए। महिलाओं के साथ जो बर्बरता हुई, वह मानवता को शर्मसार करने वाली थी। लाखों लोग भारत में शरण लेने को मजबूर हुए। भारत ने, अपनी सीमित आर्थिक संसाधनों के बावजूद, इन शरणार्थियों को आश्रय दिया।
25 मार्च 1971 को शेख मुजीबुर्रहमान की गिरफ्तारी ने हालात और बिगाड़ दिए। भारत ने इस पर विरोध जताया और "मुक्ति वाहिनी" को नैतिक समर्थन देने का ऐलान किया। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने खुलेआम पूर्वी पाकिस्तान के संघर्ष का समर्थन किया। पाकिस्तान ने इसका दोष भारत पर मढ़ते हुए 3 दिसंबर को भारत के 11 स्थानों पर हवाई हमला कर दिया, जिसे "ऑपरेशन चंगेज़" नाम दिया गया।
13 दिन का युद्ध: भारत का प्रहार
पाकिस्तान के हमले के जवाब में भारत ने तीनों सेनाओं को हरकत में ला दिया। भारतीय थल सेना ने पूर्वी पाकिस्तान में प्रवेश कर "मुक्ति वाहिनी" को खुला समर्थन दिया। भारतीय नौसेना ने बंगाल की खाड़ी में पाकिस्तान के नौसैनिक अड्डों को नष्ट कर दिया, और वायुसेना ने पाकिस्तानी सैन्य अड्डों पर सटीक हमले किए।
9 दिसंबर तक पाकिस्तान की सेना डिफेंसिव हो गई थी। 14 दिसंबर को भारतीय सेना ने ढाका पर कब्जा कर लिया। 16 दिसंबर को पाकिस्तानी कमांडर ने आत्मसमर्पण कर दिया। इस युद्ध में पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों और अधिकारियों को युद्धबंदी बनाया गया।
भारत का बलिदान और बांग्लादेश का कृतघ्नता
इस युद्ध में भारत ने 3843 सैनिकों को खोया, जबकि 10,000 से अधिक घायल हुए। लगभग एक करोड़ शरणार्थियों का बोझ भी भारत ने उठाया। लेकिन, 53 साल बाद भी यह सवाल बना हुआ है कि भारत को बदले में क्या मिला? बांग्लादेश, जिसे भारत ने आज़ादी दिलाई, अब चीन और पाकिस्तान के करीब जा चुका है। वह भारत के खिलाफ साजिशों का केंद्र बन गया है।
कट्टरपंथी बांग्लादेश में न केवल हिंदुओं के मंदिर तोड़ रहे हैं, बल्कि भारत के खिलाफ नारे भी लगा रहे हैं। घुसपैठियों ने असम और बंगाल में न केवल स्थानीय जनसांख्यिकी को बदला, बल्कि अब तो वे विधायक भी बन रहे हैं।
युद्ध के कुछ तथ्य
93,368 पाकिस्तानी सैनिक और अधिकारी युद्धबंदी बनाए गए।
3843 भारतीय सैनिक शहीद हुए, जबकि पाकिस्तान के 9000 सैनिक मारे गए।
भारतीय वायुसेना ने 5878 उड़ानें भरीं, जिनमें 4000 पश्चिमी मोर्चे पर और शेष पूर्वी मोर्चे पर थीं।
2 जुलाई 1972 को हुए शिमला समझौते में भारत ने युद्धबंदियों को वापस कर दिया और जीती हुई जमीन भी लौटा दी।
सबक और सवाल
1971 का युद्ध भारत के धैर्य, रणनीति और बलिदान की मिसाल है। लेकिन, आज बांग्लादेश की नीतियां और कट्टरपंथी गतिविधियां भारत के लिए चिंताजनक हैं। क्या बांग्लादेश भारत के बलिदान को समझ पाएगा, या फिर इतिहास खुद को दोहराएगा? यह सवाल आज भी प्रासंगिक है।
विश्व में इस्लामिक जनसंख्या की वृद्धि होगी वहां वहां अराजकता और अस्थिर सरकार, अराजकता, हिंसा बढ़नी ही है क्योंकि इस सभी की जड़ मदरसा है जो केवल कट्टर धार्मिक शिक्षा देता है ,जिस देश इस बीमारी को पहचान कर समय पर इलाज कर दिया बचेंगे, दूसरे तो कैंसर की बीमारी जैसे इलाज करते करते एक दिन मिट जाएंगे
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जवाब देंहटाएंShikhandi pakhandi aur akhand Di yah duniya ke vichar Pravah hai pakhandi Musalman akhand Di Hindu sanatani aur shikhandi angrej Shayad jo jis vichardhara mein hota hai use prakar ka hi vyavhar karta hai isliye hamen lok Kalyan ka vyavhar Karna he
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