दीपावली पर रंगोली से हर घर द्वार सजेंगे





दीपावली का अवसर हो और रंगोली का जिक्र न हो यह कैसे सम्भव है। हर दिवाली से पहले घर की बेटियां, बहुएं उत्साह के साथ तैयारी करके रखती है कि इसबार रंगोली कैसी बनेगी। हफ़्तों तक रंगोली का चिंतन और चर्चा चलती है। आइए आपके साथ कुछ विचार और डिजाइन साझा करते है।




भारत उत्सव का देश है। यहां वर्ष भर कोई न कोई उत्सव चलता ही रहता है। उत्सवों को मनाने की यहां अपनी एक परंपरा है।  उत्सव हो और  रंगोली ना बनाई जाए तो उत्सव अधूरा माना जाता है। उत्सव मानव जीवन में उत्साह को प्रदर्शित करने का एक अनूठा प्रयोग है।




भारतीय जीवन उत्साह से भरा हुआ है। यहां जीवन के प्रति दर्शन दुनिया में भिन्न प्रकार का है। जीवन भर भौतिक सुख संपदा के पीछे ना भागकर केवल अपने आनंद और सुख से जीवन व्यतीत करने की ओर ध्यान रहता है। यह अलग तरह की फिलॉसफी है।



भारत के उत्सवों में भिन्नताए तो दिखाई देती है। स्थान विशेष की विशेषताएं भी दिखाई देती है। मनाने के तरीकों में विभिन्नताए भी पाई जाती है। किंतु कुछ बातें सामान्य रूप से एक जैसी दिखाई देती है, जो यह सिद्ध करती है कि संपूर्ण राष्ट्र एकता के सूत्र में बंधा हुआ है।




1) सबसे पहली बात है उत्सव में हर भारतीय अपने घर पर स्वयं पकवान बनाते हैं। पकवान का विशेष महत्व है। सामान्य भोजन से विशेष जो पकवान बनाया जाता है, वह भगवान को प्रसाद भोग लगाकर स्वयं भी ग्रहण करते हैं और अपने अड़ोस पड़ोस तथा बंधु बंधुओं को भी वितरित कर उत्सव का आनंद लेते हैं। यह संपूर्ण भारत में एकजुटता दर्शाने का प्रतीक है।




2) दूसरी विशेषता उत्सव के दिन नए कपड़े खरीदना और पहनना सभी भारतवासियों को पसंद है।  उत्सव के दिन हर भारतीय चाहता है कि वह नए कपड़े सिलाई अथवा खरीदे और उत्सव के दिन उसे  पहनना प्रारंभ करें। यह संपूर्ण देश में समान रूप से दिखाई देता है।




3) तीसरी चीज है, प्रत्येक उत्सव के दिन किसी न किसी देवी अथवा देवता का पूजन अवश्य किया जाता है। इस प्रकार से समस्त जगत को धारण करने वाले ईश्वर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का स्वभाव समस्त भारत में दिखाई देता है।




4) चौथी बात यह है कि प्रत्येक उत्सव के मुख्य दिन के अगले दिन रामा सामा अर्थात अपने बंधुओं रिश्तेदारों की कुशलक्षेम पूछने के लिए उनसे मेल मुलाकात करने के लिए दिन तय होता है। बंधु बांधव और रिश्तेदारों से मिले बिना कोई भी उत्सव संपन्न नहीं माना जाता है। चाहे होली का त्यौहार हो, चाहे अक्षय तृतीया हो, अथवा दीपावली का त्यौहार हो। निश्चित रूप से प्रत्येक भारतीय दीपावली के अगले दिन अपने समस्त  बंधुओं से जाकर मिलता है। छोटे बड़ों से आशीर्वाद लेते हैं और इस प्रकार जीवन में आनंद बरसता है।




5) पांचवी चीज है, प्रत्येक भारतीय उत्सव के दिन अपने घर को अच्छी तरह से सजाता है।  सजावट के लिए भारतीय विभिन्न तरीके अपनाते हैं। फूल पत्तों से, रंग रोगन से और साथ ही विभिन्न कार की रौशनी से घर को सजाते हैं। सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा जो दिखाई देता है वह घर के आंगन में और घर के बाहर रंगोली का बनाना। महिलाएं सुबह जल्दी उठकर विभिन्न प्रकट की रंगोली बनाती है।




रंगोली में सूखे रंग का प्रयोग किया जाता है अथवा गीले रंग का उपयोग किया जाता है। आजकल ऑयल पेंट का उपयोग भी किया जाने लगा है। विभिन्न प्रकार के रंगोली छपे हुए स्टिकर भी बाजार में मिलने लगे हैं। इस प्रकार विभिन्न सामग्रियों का उपयोग करते हुए रंगोली का निर्माण किया जाता है।
रंगोली एक प्रकार से ज्यामितीय गणित का विशुद्ध स्वरूप प्रदर्शित करती है। रंगोली यह दर्शाती है कि प्राचीन भारत से ज्यामितीय आकृतियों का कितना गहन अध्ययन था।




रंगोली में फूल पत्ते के साथ-साथ विभिन्न आकृतियों का भी निर्माण किया जाता है। जैसे गणेश की आकृति लक्ष्मी जी की आकृति मोर की आकृति पेड़ पौधों की आकृति यह सब दर्शाती है कि भारतीयों में पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं से कितना अधिक लगाव है। वे कितने अधिक पर्यावरण प्रेमी है। रंगोली बहुत कुछ कहती है। रंगोली घर के सदस्यों के बारे में भी दर्शाती है, कि उनकी प्रकृति उनकी रूचि किस प्रकार की है। आपको भी रंगोली के बारे में कोई जानकारी हो तो कमेंट बॉक्स में अवश्य साझा करें।


जय शंकर

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