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रामराज्य और राम मंदिर: आधुनिक भारत में प्रासंगिकता और वर्तमान भारत

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              चित्र साभार गूगल रामराज्य और राम मंदिर: आधुनिक भारत में प्रासंगिकता और वर्तमान भारत  रामराज्य की स्थापना कोई एक दिन का काम नही है। इसके लिए एक तरफ भगवान श्रीराम को 14 वर्ष वन में तपना पड़ा तो दूसरी तरफ भरत को नगर से बाहर रहकर शासन प्रशाशन सम्भालते हुए तपस्या करनी पड़ी थी।                चित्र साभार गूगल रामराज्य भरतीय हिन्दू संस्कृति का आदर्श शासन प्रतिरूप है, जिसमें नागरिकों की धर्म, न्याय, समानता में निष्ठा और उनकी समृद्धि सर्वोपरि हैं। तुलसीदासजी ने रामचरित्र मानस में इसे शोक और भयमुक्त समाज का प्रतीक बताते हुए लिखा: "राम राज बैठे त्रिलोका। हरषित भए गए सब सोका।।" भारत में 2024 में 500 वर्ष के राममंदिर संघर्ष के बाद राममंदिर की पुनर्स्थापना रामराज्य स्थापना का प्रतीक है। किन्तु इसका प्रारम्भ पहले हो चुका। आज, आधुनिक भारत में रामराज्य की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में सरकार की अनेक योजनाएँ और प्रयास देखे जा सकते हैं, जो समाज के हर वर्ग को सशक्त और समृद्ध बनाने का लक्ष्य रखते हैं...