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फ़रवरी 2, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कुम्भ से विश्व में बन रही भारत की सामग्र देश की छवि

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प्रयागराज के त्रिवेणी संगम से महाकुंभ के दृश्य पूरे देश को आह्लादित कर रहा है। उन दृश्यों को देखने और वहां से निकल रहे वक्तव्यों से पूरे विश्व में फैले सनातनियों के अंदर इच्छा बलवती हो रही है एक बार प्रयागराज महाकुंभ जाकर पवित्र त्रिवेणी की डुबकी अवश्य लगायें। पहले दिन 13 जनवरी को बुधादित्य महायोग के दिन का आंकड़ा एक करोड़ 75 लाख तो 14 जनवरी को लगभग 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं के संगम स्नान करने का आया है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक आंकड़ा 9 करोड़ को पार गया था। संपूर्ण विश्व आश्चर्यचकित हो इन दृश्यों को देखकर इसके पीछे की शक्ति और भावना को समझने की कोशिश कर रहा है। आप कल्पना करिए कि फरवरी तक जन समूह की संख्या कितनी पहुंच जाएगी। मोटा - मोटी आकलन है कि लगभग 40 करोड़ लोग संपूर्ण देश और विदेश से प्रयागराज महाकुंभ पहुंचेंगे। भगवा की बहुतायत लेकिन प्रकृति में उपस्थिति हर रंगों के लहराते ध्वज, पताके और विविध वेश पहने साधु -संत, गांव, आम देसी विदेशी जनों ने ऐसा विहंगम दृश्य प्रस्तुत किया है जिसका वर्णन आसान नहीं है। लगातार बजते घड़ी घंटाल, शंखों की गूंजती ध्वनि, मंत्रोच्चार, 24 घंटे प...

ट्रंप आगमन और वैश्वीकरण का बदलता परिदृश्य

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गत 5 फरवरी को अमेरिका से 104 अवैध प्रवासी भारतीयों को सैन्य विमान से स्वदेश भेजा गया। हथकड़ियों और बेड़ियों में जकड़े इन लोगों की 40 घंटे की यात्रा न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी अपमानजनक रही होगी। ये कोई गरीब लोग नहीं थे; उन्होंने अमेरिका जाने के लिए 50 लाख से 1 करोड़ रुपये तक खर्च किए थे। दुर्भाग्यवश, ये लालच और बेईमान ट्रैवल एजेंटों के जाल में फंस गए। यह पहली बार नहीं हुआ है। पिछले वर्ष अक्टूबर में भी 100 भारतीयों को अमेरिका ने चार्टर्ड विमान से लौटाया था। अक्टूबर 2023 से सितंबर 2024 के बीच 1100 से अधिक अवैध प्रवासी भारतीय स्वदेश भेजे गए। अंतर सिर्फ इतना है कि इस बार राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे अधिक नाटकीय बनाते हुए महंगे सैन्य विमानों का उपयोग किया। यह न केवल भारत के लिए शर्मिंदगी का विषय है, बल्कि अमेरिका में वैध रूप से बसे 50 लाख भारतीय मूल के नागरिकों के लिए भी चिंता का कारण है। अमेरिकी सपने का मोह आखिर क्यों विकासशील देशों के लोग अमेरिका जाने के लिए इतने उत्सुक रहते हैं? अमेरिका, जिसे 1492 में कोलंबस ने भारत समझकर खोज लिया था, आज एक आर्थिक महा...

श्रद्धांजलि: राममंदिर आंदोलन के योद्धा स्वर्गीय कामेश्वर चौपाल

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श्रद्धांजलि: राममंदिर आंदोलन के योद्धा स्वर्गीय कामेश्वर चौपाल भारत के सामाजिक और आध्यात्मिक पुनर्जागरण का प्रतीक, श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन, एक ऐसा संघर्ष था जिसमें संपूर्ण हिंदू समाज प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहभागी रहा। यह केवल एक मंदिर निर्माण का अभियान नहीं था, बल्कि यह सनातन संस्कृति के गौरव की पुनर्स्थापना और राष्ट्रीय एकता का उद्घोष था। इस महायज्ञ में असंख्य रामभक्तों ने योगदान दिया, जिनमें कुछ ने अपने प्राणों की आहुति दी तो कुछ आजीवन इस पावन कार्य में लगे रहे। ऐसे ही एक महान योद्धा थे श्रद्धेय कामेश्वर चौपाल , जिनका जीवन राममंदिर आंदोलन को समर्पित रहा। राममंदिर आंदोलन: एक संगठित संघर्ष 1980 और 90 के दशक में राममंदिर आंदोलन पूरे देश में जन-जागरण का कारण बना। यह केवल एक धार्मिक आंदोलन नहीं था, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक अस्मिता को पुनः स्थापित करने का संकल्प था। हिंदू समाज की संगठित शक्ति ने इसे अंतिम परिणति तक पहुंचाया, जबकि मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले दल और हिंदू समाज को विभाजित करने वाली शक्तियाँ इसे रोकने का हरसंभव प्रयास करती रहीं। तत्कालीन उत्तर ...

भारत के पुनरुत्थान की ओर बढ़ते कदम और विरोध की निरर्थकता

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  भारत के पुनरुत्थान की ओर बढ़ते कदम और विरोध की निरर्थकता भारत वर्तमान में सांस्कृतिक पुनरुत्थान और राजनीतिक परिवर्तन के एक महत्वपूर्ण चरण से गुजर रहा है। पिछले एक दशक में जिन सांस्कृतिक और वैचारिक परिवर्तन की नींव रखी गई थी, वे अब स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रहे हैं। एक ओर, भारतीयता की पुनर्स्थापना और सनातन संस्कृति का वैश्विक प्रभाव बढ़ रहा है, तो दूसरी ओर, वामपंथी और मैकाले-पुत्रों द्वारा निर्मित भ्रामक कथाएं अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए संघर्षरत हैं। भारतीयता बनाम मैकाले मानसिकता भारत में लंबे समय तक पश्चिमी विचारधारा और वामपंथी प्रोपेगेंडा के तहत यह भ्रम फैलाया गया कि भारतीय संस्कृति, परंपराएं और धर्म केवल पिछड़ेपन का प्रतीक हैं। इस मानसिकता को बढ़ावा देने का काम ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली और बाद में तथाकथित सेक्युलर राजनीतिक दलों ने किया। इन शक्तियों ने हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति को कमजोर करने के हरसंभव प्रयास किए, जिससे भारत की आत्मा पर गहरा आघात हुआ। परंतु, अब भारत एक नए युग में प्रवेश कर चुका है। हिंदुत्व का पुनर्जागरण स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। महाकुंभ...

तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ने क्यों निकाले गैर हिन्दू कर्मचारी

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तिरूमला तिरूपति देवस्थानम का निर्णय: एक तार्किक और तथ्यात्मक विश्लेषण भारत में हिंदू धर्म को "वसुधैव कुटुंबकम्" की अवधारणा के आधार पर विश्व-कल्याणकारी धर्म माना जाता है। हिंदू धार्मिक, शैक्षणिक और सामाजिक ट्रस्टों में न केवल हिंदुओं को, बल्कि अन्य समुदायों के लोगों को भी लाभ प्राप्त होता रहा है। कई गैर-हिंदू व्यक्तियों को इन ट्रस्टों में महत्वपूर्ण पदों पर भी रखा जाता है, जिससे यह सिद्ध होता है कि हिंदू समाज समावेशी और सहिष्णु रहा है। तिरूमला तिरूपति देवस्थानम का निर्णय: न्यायसंगत या पक्षपातपूर्ण? हाल ही में तिरूमला तिरूपति देवस्थानम (TTD) द्वारा 18 गैर-हिंदू कर्मचारियों को अनुशासनात्मक कार्यवाही के तहत धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों में भाग लेने से रोका गया। इस निर्णय को लेकर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने आलोचना की और इसे पाखंड करार दिया। लेकिन यदि हम इस मुद्दे का गहराई से विश्लेषण करें, तो यह निर्णय पूरी तरह तार्किक और न्यायसंगत प्रतीत होता है। हिंदू ट्रस्टों की समावेशी नीति बनाम अन्य मजहबी ट्रस्टों की संकीर्णता हिंदू धर्म के अधिकांश धार्मिक ट्रस...

महाकुंभ और सनातन जागरण: विपक्षी दलों की बढ़ती धड़कने

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  महाकुंभ भारतीय संस्कृति का एक महान आध्यात्मिक पर्व है, जो न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सनातन धर्म की आस्था और परंपराओं का प्रतीक है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा इस महापर्व के लिए की गई उत्कृष्ट व्यवस्थाओं ने हिंदू समाज में जागृति की एक नई लहर उत्पन्न की है। यह जागरण उन राजनीतिक दलों के लिए संकट बन गया है, जिनकी राजनीति हिंदू समाज की एकता को विघटित करने पर टिकी हुई है। यही कारण है कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) जैसे दल महाकुंभ को बदनाम करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। महाकुंभ को बदनाम करने की विपक्षी रणनीति खड़गे का झूठा बयान: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा में मौनी अमावस्या के दिन हजारों लोगों की मौत की झूठी श्रद्धांजलि देकर महाकुंभ को बदनाम करने का प्रयास किया। यह बयान न केवल असत्य था, बल्कि कांग्रेस की सुनियोजित रणनीति का हिस्सा था, जिसमें खड़गे को सोनिया गांधी के दबाव में हिंदू समाज के खिलाफ बयान देने के लिए प्रेरित किया गया। जया बच्चन का दुष्प्रचार: सपा की राज्यसभा सांसद जया बच्चन ने प्रयागराज महाकुंभ...

सनातन महापर्व: आस्था का महासंगम और वामपंथी नैराश्य

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भारत में होने वाला महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति का जीवंत साक्ष्य है। यह पर्व डेढ़ महीने तक चलता है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु अपनी आस्था की डुबकी लगाकर जीवन को धन्य मानते हैं। 13 जनवरी से 28 जनवरी तक इस महायज्ञ में कहीं भी कोई विघ्न न आने से, तथाकथित प्रगतिशील वामपंथी मीडिया और छद्म सेकुलर राजनीतिक दलों को निराशा हाथ लगी। उन्हें यह सहन नहीं हुआ कि भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया से लोग यहाँ आकर ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ की भावना के साथ सनातन की भव्यता का अनुभव कर रहे थे। हिंदुत्व जागरण और वामपंथियों की व्याकुलता महाकुंभ में लाखों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं के मन में अध्यात्मिकता का संचार हुआ। यह जाग्रत हिंदू चेतना उन लिबरल और वामपंथी शक्तियों के लिए असहनीय थी, जो वर्षों से सनातन पर प्रहार करने में लगी थीं। उन्हें उम्मीद थी कि यह आयोजन विघ्नग्रस्त होगा, प्रशासन असफल होगा, और वे अपनी एजेंडा-धारित पत्रकारिता के माध्यम से सनातन संस्कृति को बदनाम कर सकेंगे। लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ, तो वे मायूस होकर बैठे रहे। भगदड़: वामपंथियों के...

महाकुंभ हादसा: साजिश या संयोग?

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योगी सरकार पर विपक्ष की गिद्ध दृष्टि महाकुंभ जैसे दिव्य और विराट आयोजन में जो हुआ, उसने पूरे देश को झकझोर दिया। अभूतपूर्व व्यवस्थाओं के बावजूद यह हादसा हुआ या इसे जानबूझकर रचा गया, यह सवाल हर भारतवासी के मन में उठ रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूरी ताकत से इस रहस्य से पर्दा उठाने में लगे हैं, लेकिन विपक्ष इस आपदा को अवसर में बदलने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है। विपक्ष का प्रोपेगेंडा: सनातन संस्कृति पर वार राहुल गांधी, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी और अन्य विपक्षी नेता इस त्रासदी को योगी सरकार को अस्थिर करने के लिए भुना रहे हैं। चुनावी राजनीति का स्तर इतना गिर गया है कि धार्मिक आस्था के केंद्र महाकुंभ को भी साजिशों का अड्डा बनाया जा रहा है। कांग्रेसी शंकराचार्य के रूप में चर्चित स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद भी इस खेल में मोहरा बन गए हैं। अखाड़ा परिषद की दो टूक: सनातन पर हमला बर्दाश्त नहीं भारतीय अखाड़ा परिषद ने अविमुक्तेश्वरानंद की नीयत पर सवाल उठाते हुए उनकी वसीयत को ही फर्जी करार दे दिया। परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सनातन...