इस पोस्ट से एक सन्देश स्पस्ट है लिखने वाले को मोदीजी के भाषणों में आजतक दहाड़, आत्मविश्वास, चहरे पर तेज, भाषण में ओज, विचारों का , नयापन धाराप्रवाह और हर बार मोदीजी के भाषण सुनने की आदत और आगे भी सुनने का संकल्प नजर आता है। इसे कहते है, 'फूफाजी ना ना करते 2 किलो लड्डू खा गए।"

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जलते पुस्तकालय, जलती सभ्यताएं

करपात्री महाराज ने इंदिरा गांधी को क्यों श्राप दिया?

संघ नींव में विसर्जित पुष्प भाग १