संदेश

जून 15, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

वह कौन थी जिसने गुरु को बचाने अपने प्राण न्यौछावर किये

चित्र
19 जून 1947 : तेरह वर्षीय वनवासी बालिका कालीबाई का बलिदान यह घटना उन दिनों की है जब अंग्रेजों ने भारत से जाने की घोषणा कर दी थी और भारत विभाजन की प्रकिया भी आरंभ हो गई थी। लेकिन अंग्रेज जाते जाते कुछ ऐसा करके जाना चाहते थे चर्च की जमाशट पर कोई अंतर न आये और न उनकी कोई सांस्कृतिक परंपरा प्रभावित हो। इसके लिये उनके कुछ "स्लीपर सेल" सक्रिय थे जो देशभर में काम रहे थे। इसी षड्यंत्र में इस बालिका का बलिदान हुआ।  कालीबाई एक तेरह वर्षीय वनवासी बालिका थी। यह राजस्थान के डूंगरपुर जिले के वनाँचल की रहने वाली थी । कालीबाई का जन्म कब हुआ इसका इसका उल्लेख कहीं नहीं मिलता । अनुमानतः कालीबाई का जन्म जून 1934 माना गया। अंग्रेजीकाल में चर्च ने वनवासी अंचलों में चर्च ने अपने विद्यालय आरंभ करने का अभियान चलाया हुआ था। जिनका उद्देश्य वनवासी समाज को उनके मूल से दूर करना था। उनकी शिक्षा की शैली कुछ ऐसी थी कि वनवासी क्षेत्र में मतान्तरण तेजी से होने लगा था । उस समय के अनेक  स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और सामाजिक साँस्कृतिक संगठन इसके लिये चिंतित थे। विशेषकर ऐसे स्वतंत्रता सं...

नरेंद्र मोदी और ट्रंप की फोन पर बातचीत: भारत की संप्रभुता पर स्पष्ट संदेश

चित्र
प्रस्तावना: 18 जून 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई 35 मिनट की फोन वार्ता ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कई नए संकेत दिए हैं। इस बातचीत में मोदी जी ने भारत की संप्रभुता, आत्मनिर्भरता और आतंकवाद के खिलाफ अपने दृढ़ रुख को पूरी स्पष्टता के साथ रखा। भारत-पाकिस्तान युद्धविराम में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं: मोदी प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप को साफ बताया कि मई 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच जो युद्धविराम हुआ था, वह दोनों देशों की सेनाओं के सीधे संवाद से हुआ। "भारत ने कभी भी किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया है, न करता है और न ही करेगा।" – पीएम मोदी यह बयान सीधे-सीधे ट्रंप के उस दावे को खंडित करता है जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिका ने इस युद्धविराम में मध्यस्थ की भूमिका निभाई। अब भारत आतंकवाद को युद्ध मानता है: मोदी का स्पष्ट रुख बातचीत के दौरान मोदी जी ने ट्रंप को बताया कि भारत अब आतंकवाद को सिर्फ "प्रॉक्सी वॉर" नहीं, बल्कि वास्तविक युद्ध के रूप में देखता है। इस बयान से यह...

भारत और इजरायल की रणनीतिक समानता: पाकिस्तान और ईरान की रक्षा-दीवारों को ध्वस्त करती सैन्य नीति

चित्र
प्रस्तावना: विश्व राजनीति में हालिया घटनाएं यह दर्शा रही हैं कि अब युद्ध केवल सीमा पर नहीं लड़े जाते, बल्कि वे शत्रु की नसों में घुसकर उसकी सुरक्षा को निष्क्रिय कर, मनोबल तोड़ने तक जा पहुंचते हैं। 13 जून की रात इजरायल द्वारा ईरान पर किए गए हमले ने एक बार फिर से भारत की 2019 की बालाकोट स्ट्राइक की याद ताजा कर दी। खास बात यह है कि पाकिस्तान के जाने-माने पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक नजम सेठी ने खुद इस तुलना को स्वीकार किया है। इजरायल-ईरान हमला: भारत-पाकिस्तान स्ट्राइक का प्रतिबिंब इजरायल ने अपने दुश्मन देश ईरान पर हमला करने के लिए वही रणनीति अपनाई जो भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनाई थी। 13 जून की रात, इजरायल ने सबसे पहले ईरान के एयर डिफेंस और रडार सिस्टम को निशाना बनाते हुए उन्हें ध्वस्त कर दिया। यही कार्य भारत ने बालाकोट स्ट्राइक में किया था, जहां लक्ष्य था – आतंक के अड्डों का खात्मा और पाकिस्तान की रक्षा व्यवस्था को चौंका देना। ईरान और पाकिस्तान – दोनों ने शुरू में "हम पर कोई नुकसान नहीं हुआ" जैसी बयानबाजी की। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ और उनके रक्...

जीवन का हर पल ईश्वर का उपहार है: AI-171 हादसे से मिली चमत्कारी कहानियाँ और जीवन मंत्र

चित्र
✨ जीवन का हर पल ईश्वर का उपहार है: AI-171 हादसे से मिली चमत्कारी कहानियाँ और जीवन मंत्र ✨ 12 जून 2025 को जब अहमदाबाद एयरपोर्ट से लंदन के लिए उड़ान भर रही एयर इंडिया फ्लाइट AI-171 ने टेक-ऑफ किया, किसी को अंदाजा नहीं था कि यह उड़ान देश के इतिहास की सबसे बड़ी विमान दुर्घटना में बदल जाएगी। 242 में से 241 लोग जान गंवा बैठे, पर कुछ लोग ऐसे थे जो या तो चमत्कारिक रूप से बच गए या जिनकी किस्मत ने उन्हें इस त्रासदी से दूर रखा। ये कहानियाँ केवल संयोग नहीं, बल्कि जीवन में ईश्वर की अदृश्य योजना और कृपा की झलक हैं। 🌟 1. विश्वास कुमार रमेश: मलबे से निकली ज़िंदगी ब्रिटिश-भारतीय नागरिक, 40 वर्षीय विश्वास कुमार रमेश अपने भाई अजय कुमार रमेश के साथ भारत यात्रा के बाद लंदन लौट रहे थे। उनका बोर्डिंग पास कहता था – सीट नंबर 11A, जो इमरजेंसी एग्जिट के पास थी। जब विमान ने उड़ान भरी, तो मात्र 30 सेकंड बाद जोरदार धमाका हुआ और विमान मेघानीनगर इलाके में बी.जे. मेडिकल कॉलेज हॉस्टल से जा टकराया। धमाके के बाद विमान दो हिस्सों में टूट गया। विश्वास जिस हिस्से में बैठे थे, वह ज़मीन पर गिरा और आग की लपटों से क...

🌧️ मन के बादल: मानसून की वापसी और भारत की फिर उभरती ताकत

चित्र
🌧️ मन के बादल: मानसून की वापसी और भारत की फिर उभरती ताकत ✍️ प्रस्तावना: जब आसमान से धरती की ओर गिरती पहली बूंद मिट्टी से टकराती है, तो केवल धूल नहीं उड़ती—उम्मीदें भी जन्म लेती हैं। भारत के लिए मानसून केवल मौसम नहीं, बल्कि आर्थिक ऊर्जा, कृषि की जान और जनमानस की मुस्कान है। इस वर्ष, दो सप्ताह की निराशाजनक ठहराव के बाद, मानसून की वापसी ने पूरे देश में राहत और संभावनाओं की नमी भर दी है। 🌿 1. मानसून की वापसी: उम्मीद की बौछार भारत मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून अब अपनी सामान्य गति से आगे बढ़ रहा है। महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य अब लगातार बारिश की चपेट में हैं। इससे न केवल लू से राहत मिली, बल्कि किसानों के चेहरों पर भी उम्मीद की हरियाली लौट आई है। 🌾 2. कृषि का संजीवनी मंत्र भारत की 50% से अधिक खेती वर्षा पर निर्भर है। मानसून की अनिश्चितता किसानों के लिए एक स्थायी चिंता रही है। इस वापसी से खरीफ फसलों—जैसे धान, कपास, मक्का और सोयाबीन—की बुवाई समय पर और सही ढंग से हो सकेगी। जलाशयों का जलस्तर भरने से सिंचाई की व्यवस्था सुधरेगी, जिससे ग्र...

"ईरान का परमाणु संकट: इतिहास, वर्तमान और एक संभावित टकराव की ओर बढ़ता विश्व"

चित्र
भूमिका: विश्व राजनीति में यदि कोई मुद्दा दशकों से अनसुलझे तनाव और शक्ति संघर्ष का प्रतीक रहा है, तो वह है — ईरान का परमाणु कार्यक्रम। यह केवल ईरान बनाम पश्चिम नहीं है, बल्कि इसमें इज़राइल, सऊदी अरब, रूस, चीन, और अमेरिका जैसे अनेक हितधारी शामिल हैं। हाल ही में इज़राइल द्वारा ईरानी परमाणु ठिकानों पर किए गए हमलों ने एक बार फिर इस मुद्दे को वैश्विक चिंता के केंद्र में ला दिया है। 1. ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: ईरान का परमाणु कार्यक्रम कैसे शुरू हुआ? 1950 के दशक में आरंभ: ईरान का परमाणु कार्यक्रम अमेरिका की मदद से 1957 में "Atoms for Peace" पहल के तहत शुरू हुआ। उस समय ईरान में शाही शासन था और अमेरिका का सहयोगी था। 1979 की इस्लामी क्रांति: अयातुल्लाह खोमैनी के नेतृत्व में सत्ता परिवर्तन हुआ। इसके बाद पश्चिमी देशों का सहयोग समाप्त हो गया और परमाणु कार्यक्रम ठप पड़ गया। 1990 के दशक में पुनर्जीवन: नए सिरे से परमाणु गतिविधियों को गति दी गई। पश्चिम को संदेह होने लगा कि ईरान गुप्त रूप से परमाणु हथियार विकसित कर रहा है। 2. 2002–2015: बढ़ते तनाव और अंतर्राष्ट्रीय निगरानी ...