आत्मनिर्भर भारत: स्वदेशी संकल्प और वैश्विक चुनौतियों का जवाब


आत्मनिर्भर भारत: स्वदेशी संकल्प और वैश्विक चुनौतियों का जवाब

"देश उठेगा अपने पैरों निज गौरव के     भान से।
स्नेह भरा विश्वास जगाकर जीयें सुख सम्मान से।।"
—  नंदलाल 'बाबा जी' 


भारत आज जिस मोड़ पर खड़ा है, वहाँ चुनौतियाँ भी हैं और अवसर भी। ट्रंप प्रशासन के 60% आयात शुल्क और H1B1 वीज़ा प्रतिबंधों जैसी वैश्विक परिस्थितियों ने भारत को झकझोरा, लेकिन यह झटका भारत के लिए आत्मविश्वास की नई यात्रा की शुरुआत बना। ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान और इसके सहायक मिशन—मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया और उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (PLI)—ने इन चुनौतियों को अवसर में बदल दिया। यह कहानी केवल योजनाओं और आंकड़ों की नहीं, बल्कि उस स्वदेशी गौरव की है, जो हमें अपने पैरों पर खड़ा होना और आत्मसम्मान के साथ आगे बढ़ना सिखाती है।

स्वदेशी गौरव की नींव

बाबा जी के इसी गीत की पंक्ति कितनी सत्य है।

“परावलम्बी देश जगत में, 

कभी न यश पा सकता है” 

यह आत्मनिर्भर भारत का सार है। 2020 में कोविड संकट के बीच इस अभियान की शुरुआत हुई और इसका लक्ष्य आर्थिक, तकनीकी और सामाजिक स्वावलंबन रहा। मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया और PLI जैसी योजनाओं को जोड़कर भारत ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में अपनी स्थिति को सुदृढ़ किया।

2014 से 2025 की उपलब्धियाँ

गीत की पंक्ति 

"आलोकित अपने वैभव से,

अपने ही विज्ञान से"   के अनुरूप, भारत ने स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा दिया

2014 में शुरू हुआ मेक इन इंडिया आज स्वदेशी उत्पादन का नया अध्याय लिख रहा है। स्मार्टफोन विनिर्माण में भारत ने 240 प्रतिशत वृद्धि हासिल की, 90 प्रतिशत मोबाइल स्वदेशी बने और रक्षा क्षेत्र में 80 प्रतिशत आयात घरेलू उत्पादन से पूरे किए जाने लगे। तेजस विमान और ब्रह्मोस मिसाइल जैसे उदाहरण स्वदेशी क्षमता का प्रमाण बने। विदेशी निवेश का प्रवाह 900 अरब डॉलर तक पहुँचा और भारत ने पहली बार अपनी ‘मेड इन इंडिया’ चिप का उत्पादन कर दिखाया।

"विविध विधाएँ फैली भू पर अपने हिन्दूस्थान से" की तरह, हमने स्वदेशी तकनीक को विश्व में फैलाया है।

2015 में शुरू हुआ डिजिटल इंडिया अभियान भारत को डिजिटल सुपरपावर बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित हुआ। आज यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल भुगतान तंत्र है, जो वैश्विक लेन-देन का 50 प्रतिशत संभाल रहा है। आधार के माध्यम से 1.3 अरब भारतीयों की डिजिटल पहचान बनी और डिजिलॉकर के 15 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता जुड़े। भारतनेट परियोजना के तहत 2.5 लाख ग्राम पंचायतें ब्रॉडबैंड से जुड़ गईं और 80 प्रतिशत शहरों में 5G सेवाएँ उपलब्ध हो चुकी हैं। CoWIN और ओएनडीसी जैसे नवाचारों ने विश्व स्तर पर भारतीय मॉडल को प्रतिष्ठा दिलाई।


2015 में शुरू स्किल इंडिया ने युवाओं को वैश्विक मांग के अनुरूप तैयार किया गया। गीत की पंक्ति "अथक किया था श्रम अनगिन जीवन अर्पित निर्माण में" इसकी प्रेरणा है।

युवा शक्ति को तैयार करने के लिए स्किल इंडिया अभियान ने 2015 से लेकर अब तक 1.3 करोड़ से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित किया है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY 4.0) के अंतर्गत 60 लाख से अधिक लोगों को कौशल प्रशिक्षण मिला, जिनमें लगभग 40 प्रतिशत महिलाएँ थीं। इस पहल के परिणामस्वरूप 50 लाख युवाओं को रोजगार मिला और भारत ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा सेमीकंडक्टर क्षेत्रों के लिए पाँच लाख से अधिक विशेषज्ञ तैयार किए। जर्मनी और यूएई जैसे देशों में भारतीय तकनीशियनों और नर्सों की मांग लगातार बढ़ रही है।


PLI योजना, जिसे 2020 में शुरू किया गया, ने भारत के औद्योगिक ढाँचे में नई ऊर्जा का संचार किया। 14 क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहन देने वाली इस योजना से 2025 तक 1.76 लाख करोड़ रुपये का निवेश आया और 12 लाख से अधिक नए रोजगार बने। इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में 240 प्रतिशत की वृद्धि हुई और फार्मा क्षेत्र अधिशेष में पहुँच गया। विशेष स्टील, सेमीकंडक्टर और सोलर पीवी जैसे क्षेत्रों में नई यूनिटें स्थापित हुईं और 48 गीगावाट की उत्पादन क्षमता तैयार हुई।

वैश्विक दबाव और भारतीय उत्तर

गीत की पंक्ति “मृग तृष्णा में मत भटको, छीना सब कुछ जा सकता है” वैश्विक दबावों के संदर्भ में भी सच प्रतीत होती है। अमेरिका के टैरिफ और वीज़ा प्रतिबंधों से उत्पन्न चुनौतियों का भारत ने आत्मनिर्भरता के माध्यम से समाधान खोजा। उत्पादन आधारित प्रोत्साहन और मेक इन इंडिया ने आयात को 50 प्रतिशत तक घटा दिया। सेमीकंडक्टर और सौर ऊर्जा मिशन ने विदेशी निर्भरता को कम किया। H1B प्रतिबंधों के दौर में भारत ने अपने युवाओं को ही कौशल प्रशिक्षण देकर पाँच लाख टेक विशेषज्ञ तैयार किए और दुनिया में ग्लोबल टेक हब के रूप में अपनी पहचान बनाई। UPI और ONDC जैसे नवाचारों को पचास से अधिक देशों ने अपनाया और भारत डिजिटल नवाचार का नेतृत्व करने लगा।


आत्मनिर्भर भारत 2.0: भविष्य की दिशा

भविष्य की ओर देखते हुए बाबा जी की पंक्ति “कर संकल्प गरज कर बोले, भारत स्वाभिमान से” प्रेरणा देती है। आत्मनिर्भर भारत 2.0 की योजनाओं में 2026 तक पाँच सेमीकंडक्टर फैक्ट्रियाँ स्थापित करने और 76,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करने का लक्ष्य है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मिशन के अंतर्गत एक लाख विशेषज्ञ और दस हजार जीपीयू क्लस्टर तैयार किए जाएँगे। ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में भारत ने 2030 तक 500 गीगावाट सौर और पवन ऊर्जा तथा 10 मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का संकल्प लिया है। कृषि में 2026 तक दाल आयात को शून्य करना और ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट’ योजना का विस्तार करना शामिल है। इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में शिपबिल्डिंग को इंफ्रास्ट्रक्चर स्टेटस मिला है और सौ स्मार्ट शहरों की दिशा में काम आगे बढ़ा है। महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए पचास महिला टेक्नोलॉजी पार्क्स और दस करोड़ लोगों को डिजिटल साक्षर बनाने की योजना है।

निष्कर्ष: स्वाभिमान की नई परवाज़

गीत की पंक्ति "धारा ‘स्व’ की पुष्ट करेंगे समरस अमृत पान से" के माध्यम से बाबा जी आश्वासन देते हैं। यह स्वाभिमान की नई ऊंचाई चुने का गौरव आज हमें मिल रहा हैं।

2020 से 2025 तक आत्मनिर्भर भारत अभियान ने भारत को डिजिटल, विनिर्माण और निर्यात शक्ति के रूप में स्थापित किया। बारह लाख नई नौकरियाँ, एक लाख छिहत्तर हजार करोड़ रुपये का निवेश और UPI जैसे वैश्विक नवाचार इस यात्रा के मील के पत्थर बने। बाबा जी की पंक्ति “धारा ‘स्व’ की पुष्ट करेंगे समरस अमृत पान से” हमें प्रेरित करती है कि हर भारतीय ‘वोकल फॉर लोकल’ बने, स्वदेशी उत्पादों को अपनाए और भारत के स्वाभिमान को नई ऊँचाइयों तक ले जाए।

भयंकर अमेरिकन दादागिरी और वैश्विक शोषण का प्रतीक टेरिफ़ हम झेल ही रहे हैं। ऐसे में इस अंग्रेजी शताब्दी के प्रारंभ में बाबा नंदलाल जी का लिखा यह गीत कुछ राह दिखा रहा है।

आइए भावों से भरकर गीत को गुन गुनाएं 


प्रचारक: नंदलाल जी जोशी, हमारे बाबाजी


देश उठेगा अपने पैरों निज गौरव के भान से।

स्नेह भरा विश्वास जगाकर जीयें सुख सम्मान से।।

देश उठेगा ।।ध्रु-।।


परावलम्बी देश जगत में, कभी न यश पा सकता है।

मृग तृष्णा में मत भटको, छीना सब कुछ जा सकता है।

मायावी संसार चक्र में कदम बढ़ाओ ध्यान से।

अपने साधन नहीं बढ़ेंगे औरों के गुणगान से।


इसी देश में आदिकाल से अन्न, रत्न भण्डार रहा।

सारे जग को दृष्टि देता, परम ज्ञान आगार रहा।।

आलोकित अपने वैभव से, अपने ही विज्ञान से।

विविध विधाएँ फैली भू पर अपने हिन्दूस्थान से।


अथक किया था श्रम अनगिन जीवन अर्पित निर्माण में।

मर्यादित उपभोग हमारा, पवित्रता हर प्राण में।

परिपूरक परिपूरण सृष्टि, चलती ईश विधान से।

अपनी नव रचनाएँ होंगी, अपनी ही पहचान से।।


आज देश की प्रज्ञा भटकी, अपनो से हम टूट रहे।

क्षुद्र भावना स्वार्थ जगा है, श्रेष्ठ तत्व सब छूटे रहे।

धारा ‘स्व’ की पुष्ट करेंगे समरस अमृत पान से।

कर संकल्प गरज कर बोले, भारत स्वाभिमन से।।


जय हिंद!




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