थार की अपणायत: चेतावनी और संकल्प
लेखक: मन मोहन पुरोहित दिनांक: 20 जुलाई 2025 थार के साथ छल क्यों? यह झंडा थार के साथ छल है, थार के इतिहास और संस्कृति के साथ धोखा है। थार का भूगोल पाकिस्तान तक फैला है, परंतु क्या वहां हमारी अपणायत है? नहीं! वहां है तो केवल कट्टरपन, छुरियां, कटारे और पीठ में घोंपे खंजर। 'थार की अपणायत' —यह केवल एक शब्द नहीं, बल्कि हिंदू संस्कृति और हिंदू स्वभाव की गहरी पैदाइश है। जब तक हिंदू समाज यहाँ बहुसंख्यक और प्रभावशाली है, यह अपणायत जीवित रहेगी। कश्मीर से सीख कश्मीर में भी कभी ‘कश्मीरियत’ नामक सांस्कृतिक आत्मा थी। लेकिन चालाकी और योजनाबद्ध तरीके से कश्मीरी हिंदुओं को उसी ‘कश्मीरियत’ से बाहर कर दिया गया। वह ‘कश्मीरियत’, जो ज्ञान, अनुसंधान और तर्क की आत्मा थी, धीरे-धीरे अरबी सांस्कृतिक प्रतीकों के दबाव में टूट गई। परिणाम—आज वहाँ आतंक, हत्याएँ और निर्दोषों का खून है, पर ‘कश्मीरियत’ नहीं है। आज वही षड्यंत्र थार में दोहराने की कोशिश हो रही है। संस्कृति का स्वभाव संस्कृति मनुष्य के रक्त की तरह है। यदि उसमें किसी दूसरे समूह का आक्रामक और असंगत विचार जबरन मिलाया जाए, ...