रक्षाबंधन: सामाजिक समरसता और समाज रक्षा के संकल्प का महापर्व
रक्षाबंधन: सामाजिक समरसता और समाज रक्षा के संकल्प का महापर्व रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के स्नेह का त्योहार नहीं, अपितु सामाजिक समरसता और समाज की रक्षा के संकल्प का उत्सव है। यह भारतीय संस्कृति में “रक्षा” के भाव को व्यापक रूप में प्रस्तुत करने वाला ऐसा पर्व है, जो केवल व्यक्तिगत रिश्तों तक सीमित न होकर पूरे समाज को जोड़ने, सहभाव का संदेश देने और धर्म-संरक्षण के महान उद्देश्य से ओतप्रोत है। रक्षा का अर्थ व्यापक है "रक्षा" का अर्थ मात्र बाह्य संकट से सुरक्षा नहीं, बल्कि मूल्य, परंपरा, आस्था, संस्कृति और समाज की समग्र चेतना की रक्षा है। रक्षाबंधन इस रक्षा को प्रतीकात्मक रूप से एक सूत्र के माध्यम से सम्पूर्ण समाज से जोड़ता है। राखी वह सूत्र है जो हमें एक-दूसरे के दुःख-सुख का सहभागी बनाता है। यह बंधन दायित्वबोध का प्रतीक है – सामर्थ्यवान अपने से निर्बल के प्रति रक्षक की भूमिका निभाएगा। समाज का सशक्त वर्ग ले संकल्प रक्षाबंधन के मूल भाव में यह दर्शन निहित है कि समाज का सशक्त वर्ग—चाहे वह भौतिक, बौद्धिक, या नैतिक दृष्टि से समर्थ हो—अपने सामर्थ्य का उपयोग वंचितों, उपेक्...