क्या डॉ भाभा भी सुभाष चंद्र बोस की तरह किसी षड्यंत्र के शिकार हुए थे!!!






केवल राजनेताओं की जयंतिया याद रखने वाले हे मेरे परम सम्मानीय देशवासियों!! 

आज देश की एक महान विभूति की जयंती है जिनकी प्रतिभा एवं दूर दृष्टि के कारण ही आज हम ना केवल परमाणु शक्ति संपन्न है वरन दुनिया की आंख से आंख मिलाकर बात करने का दम भी रखते हैं।

आज भारत के परमाणु कार्यक्रम के जनक संस्थापक स्वप्न द्रष्टा डॉ होमी जहांगीर भाभा का जन्मदिन है।

उनके जन्मदिन के अवसर पर आज जानिए उनके व्यक्तित्व की (होमी जहांगीर भाभा की) अनसुनी बातें।

भारत के महान परमाणु वैज्ञानिक डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 को मुंबई के एक समृद्ध पारसी परिवार में हुआ था। उन्हें भारत के परमाणु उर्जा कार्यक्रम का जनक कहा जाता है।

 उन्होंने देश के परमाणु कार्यक्रम के भावी स्वरूप की मजबूत नींव रखी जिसके चलते भारत आज विश्व के प्रमुख परमाणु संपन्न देशों की पंक्ति में आगे खड़ा है। उन्होंने जेआरडी टाटा की मदद से मुंबई में ‘टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च’ की स्थापना की और वर्ष 1945 में इसके निदेशक बने।

देश के आजाद होने के बाद उन्होंने दुनिया भर में रह रहे भारतीय वैज्ञानिकों से भारत लौटने की अपील की थी।

वर्ष 1948 में डॉक्टर भाभा ने भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना की और अंतरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया।

होमी जहांगीर भाभा 'शांतिपूर्ण कार्यों के लिए परमाणु ऊर्जा के उपयोग’ के पक्षधर थे। 60 के दशक में विकसित देशों का तर्क था कि परमाणु ऊर्जा संपन्न होने से पहले विकासशील देशों को दूसरे पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए। डॉक्टर भाभा ने इसका जोरदार खंडन किया और वह विकास कार्यों में परमाणु ऊर्जा के प्रयोग की वकालत करते थे।

बहुमुखी प्रतिभा संपन्न डॉक्टर भाभा को नोबेल पुरस्कार विजेता सर सीवी रमन भारत का लियोनार्दो द विंची बुलाते थे।

भाभा न सिर्फ महान वैज्ञानिक थे बल्कि वह शास्त्रीय, संगीत, नृत्य और चित्रकला में गहरी रूचि रखते थे और इन कलाओं के अच्छे जानकार भी थे।


डॉक्टर भाभा को 5 बार भौतिकी के नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया परन्तु विज्ञान की दुनिया का सबसे बड़ा सम्मान इस महान वैज्ञानिक को मिल नहीं पाया। उन्हें भारत सरकार ने पद्म भूषण के अवॉर्ड से अवश्य सम्मानित किया।

अक्टूबर 1965 में भाभा ने ऑल इंडिया रेडियो से घोषणा की थी कि अगर उन्हें छूट मिले तो भारत 18 महीनों में परमाणु बम बनाकर दिखा सकता है। वह मानते थे कि ऊर्जा, कृषि और मेडिसिन जैसे क्षेत्रों के लिए शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम शुरू होने चाहिए। उन्होंने पंडित नेहरू को परमाणु आयोग की स्थापना के लिए राजी किया था।

भाभा 1950 से 1966 तक परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष थे तब वह भारत सरकार के सचिव भी हुआ करते थे। कहते हैं कि सादगी पसंद भाभा कभी भी अपने चपरासी को अपना ब्रीफकेस उठाने नहीं देते थे।

डॉक्टर भाभा की मृत्यु 24 जनवरी 1966 को एक विमान दुर्घटना में हुई थी। मुंबई से न्यू यॉर्क जा रहा एयर इंडिया का बोइंग 707 जनवरी 1966 में मॉन्ट ब्लां के निकट दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस दौरान विमान में सवार सभी 117 लोगों की मौत हो गई थी। इसी विमान में होमी जहांगीर भाभा भी सवार थे। भाभा एक कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने वियना जा रहे थे। इस विमान दुर्घटना का रहस्य आज तक नहीं खुल पाया है।

एक न्यूज वेबसाइट ने अपनी रिपोर्ट में इसके संकेत दिए हैं कि भाभा के प्लेन क्रैश में अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA का हाथ था। इस प्लेन क्रैश में भारत के इस महान वैज्ञानिक की मौत हो गई थी। 

मॉन्ट ब्लां में लोगों के शवों के अवशेष मिले हैं। यह शायद उन्हीं यात्रियों के हैं जो कई साल पहले एयर इंडिया की दो दुर्घटनाओं में किसी एक का शिकार हुए थे। 1950 और 1966 में हुई दो अलग-अलग दुर्घटनाओं में कुल 165 लोगों की जान चली गई थी। 
TBRNews.org नाम की वेबसाइट की रिपोर्ट में अब होमी जहांगीर भाभा से जुड़ी यह जानकारी सामने आ रही है। दरअसल इस वेबसाइट ने 11 जुलाई 2008 को एक पत्रकार ग्रेगरी डगलस और सीआईए के अधिकारी रॉबर्ट टी क्राओली के बीच हुई कथित बातचीत को फिर से पेश किया है। इस बातचीत में सीआईए अधिकारी रॉबर्ट के हवाले से कहा गया है, 'हमारे सामने समस्या थी, आप जानते हैं, भारत ने 60 के दशक में आगे बढ़ते हुए परमाणु बम पर काम शुरू कर दिया था।' रॉबर्ट बातचीत के दौरान रूस का भी जिक्र करते हैं जो कथित तौर पर भारत की मदद कर रहा था। इसके बाद इस बातचीत में होमी जहांगीर भाभा का जिक्र आता है। भाभा का उल्लेख करते हुए सीआईए अधिकारी ने कहा, 'मुझपर भरोसा करो, वह खतरनाक थे। उनके साथ एक दुर्भाग्यपूर्ण ऐक्सिडेंट हुआ। वह परेशानी को और अधिक बढ़ाने के लिए वियना की उड़ान में थे, तभी उनके बोइंग 707 के कार्गो में रखे बम में विस्फोट हो गया...।' 


भारत सरकार ने इस महान वैज्ञानिक के योगदान को देखते हुए भारतीय परमाणु रिसर्च सेंटर का नाम भाभा परमाणु रिसर्च संस्थान रखा।
इस विमान दुर्घटना के बारे में 2 वर्ष पूर्व 30 अक्टूबर 2018 के अंक में नवभारत टाइम्स ने उपर्युक्त जानकारी प्रकाशित की है।

लेखन- सन्दीप जोशी......✒️

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