नेपाल की आग भारत की चिंता
नेपाल में हाल की अराजकता ने न केवल काठमांडू की सड़कों को, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता को हिला दिया है। एक मामूली सोशल मीडिया प्रतिबंध से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन "Gen Zee" (डिजिटल पीढ़ी) के नेतृत्व में एक बड़े आक्रोश में बदल गया, जिसने सत्ता के हर स्तंभ को निशाना बनाया। ऐसा माना जा रहा है। सच्चाई कुछ और है। दरअसल नेपाल में डीप स्टेट के दंगाई गुर्गों की गुंडागर्दी हुई है, इसको मीडिया द्वारा जेन-जी की क्रांति कहना बंद होना चाहिए । वर्तमान की भयावहता और अराजकता इस आंदोलन ने सबसे पहले कार्यपालिका पर हमला किया। प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को इस्तीफ़ा देना पड़ा, और पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड के आवास पर भीड़ ने हमला किया। गृह और वित्त मंत्रियों सहित कई कैबिनेट सदस्यों को सुरक्षित ठिकानों की तलाश में भागना पड़ा, जिससे सरकार का केंद्र बिखर गया। इसके बाद, लोकतंत्र के अन्य स्तंभ भी सुरक्षित नहीं रहे। संसद भवन और सुप्रीम कोर्ट की ऐतिहासिक इमारतों में आग लगा दी गई। नेपाल की प्रशासनिक धड़कन माने जाने वाले सिंग्हा दरबार को ध्वस्त कर दिया गया। यह केवल सरकारी इमारतों का विध्व...