अंतिम जन तक सेवा का संकल्प: पं. दीनदयाल अन्त्योदय संबल पखवाड़ा
🇮🇳 प्रस्तावना:
राजस्थान सरकार द्वारा 24 जून से 09 जुलाई 2025 तक मनाया जा रहा पं. दीनदयाल उपाध्याय अन्त्योदय संबल पखवाड़ा न केवल प्रशासनिक कार्यों की एक शृंखला है, बल्कि यह 'अन्त्योदय' के उस दर्शन को व्यवहार में उतारने का प्रयास है, जिसमें समाज के सबसे अंतिम व्यक्ति को प्राथमिकता दी जाती है।
यह अभियान सामाजिक न्याय, समग्र विकास और शासन की पहुंच को गांव-गांव तक ले जाने का स्पष्ट संकेत है।
प्रमुख कार्य और उनका सामाजिक प्रभाव:
1. भूमि विवादों का समाधान
सीमाज्ञान, पत्थरगढ़ी, नागान्तरण, रास्तों और आपसी सहमति से बंटवारे जैसे मुद्दों का त्वरित निस्तारण, ग्रामीण समाज में वर्षों से चले आ रहे विवादों को सुलझा कर सामाजिक सद्भाव को मजबूत करता है।
2. गरीबी उन्मूलन का ठोस कदम
10,000 गांवों में बीपीएल परिवारों का सर्वे और उन्हें विभिन्न योजनाओं से जोड़ना, एक दीर्घकालिक सामाजिक सुरक्षा का आधार बनाता है।
3. स्वामित्व पट्टा वितरण
भूमि पर अधिकार प्राप्त कर ग्रामीणों को आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में सशक्त किया जा रहा है।
4. जल प्रबंधन और स्वच्छता
टंकियों की सफाई, नल कनेक्शन, लीकेज मरम्मत जैसे कार्य ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में प्रभावी कदम हैं।
5. हरित पहल और कृषि सुधार
पौधा वितरण और मृदा स्वास्थ्य कार्ड से पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ कृषि दोनों को बढ़ावा मिलेगा।
6. पशुपालन सुरक्षा
मंगला पशु बीमा, पशु स्वास्थ्य प्रमाणपत्र, और टीकाकरण योजनाएं किसानों को जोखिम से बचाएंगी।
7. स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा
आयुष्मान भारत कार्ड वितरण से गरीबों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा मिल सकेगी।
8. ऊर्जा और सुरक्षा सुधार
झूलते तारों और खतरनाक विद्युत पोलों की मरम्मत से ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षा और आधारभूत ढांचे में सुधार होगा।
निष्कर्ष:
पं. दीनदयाल उपाध्याय का अन्त्योदय दर्शन आज भी प्रशासनिक योजनाओं का आधार बन रहा है। यह पखवाड़ा ग्रामीणों को केवल सरकारी सुविधाएं नहीं देता, बल्कि उन्हें सम्मान, अधिकार और सहभागिता का अनुभव कराता है।
यह अभियान सेवा, सुशासन और समर्पण का त्रिवेणी संगम है।
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